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बड़े नक्सली प्रवक्ता ने NDTV से कहा- मार्क्सवाद पत्थर की लकीर नहीं, 15 फरवरी तक वक्त दें तभी होगा सरेंडर

Naxal Spokesperson Interview: MMC ज़ोन के प्रवक्ता अनंत ने सरेंडर की पहल पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि मार्क्सवादी सिद्धांत पत्थर की लकीर नहीं है, इसलिए वे परिस्थितियों के साथ बदलेंगे. साथ ही, उन्होंने कहा कि हिड़मा जननायक थे और समर्पण के लिए तीनों राज्यों से लिखित आश्वासन के साथ 15 फरवरी तक का समय चाहिए.

बड़े नक्सली प्रवक्ता ने NDTV से कहा- मार्क्सवाद पत्थर की लकीर नहीं, 15 फरवरी तक वक्त दें तभी होगा सरेंडर

Chhattisgarh Naxal Surrender:केन्द्र सरकार ने पूरे देश में नक्सलियों के खात्मे की डेडलाइन 31 मार्च 2026 तक रखी है. इसके पहले बड़े पैमाने पर कई हाई लेवल एनकाउंटर और सरेंडर हो रहे हैं. इसी माहौल में हमारे संवाददाता विकास तिवारी ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय माओवादी संगठन (MMC जोन) के प्रवक्ता अनंत से फोन पर तमाम पहलुओं पर विस्तार से बात की है. दरअसल बीते दिनों MMC जोन ने लेटर जारी कर कहा था कि सरकार हमें 15 फरवरी तक का समय दे...हम सभी सरेंडर कर देंगे.इसी लेटर के जवाब में  छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा था 10-15 दिनों का समय ही इसके लिए काफी है. नक्सली प्रवक्ता आनंद ने हमारे इंटरव्यू में एक तरफ माड़वी हिड़मा को 'जननायक' बताया वहीं कुख्यात नक्सली रामधीर के रुख पर चुप्पी भी साधा. आप भी पढ़िए इस रोचक बातचीत के अंश हमारी इस विशेष रिपोर्ट में
  
सवाल - अभी MMC ज़ोन में आपके कितने साथी होंगे.

जवाब - सटीक संख्या तो मैं अभी नहीं बता सकता, लेकिन हमारे साथी काफी तादाद में हैं.

सवाल - क्या सेंट्रल कमेटी सदस्य रामधीर आप लोगों की बात से सहमत हैं?
जवाब -
वह तो हम बाद में बताएंगे. यह एक सैद्धांतिक लड़ाई है. यह विचारधारा तक की बात है. हम संकीर्णतावादी लाइन को लेकर चलेंगे तो इस लड़ाई को आगे नहीं बढ़ा पाएंगे. परिस्थितियों के साथ बदलना होगा. हमारा मार्क्सवादी सिद्धांत कोई पत्थर की मूरत नहीं है जिसकी पूजा की जाए, यह परिस्थितियों के साथ बदलने वाला सिद्धांत है.

सवाल -आपको मध्य प्रदेश सरकार या महाराष्ट्र सरकार से कोई  जवाब नहीं आया है. तो आपका ये कहना है कि जो सरकार ज़्यादा आगे पहल करेगी, आप लोग उस तरफ समर्पण करेंगे?

जवाब - हां,ऐसा तो करेंगे ही. लेकिन हमारा MMC ज़ोन मध्य प्रदेश-महाराष्ट और छत्तीसगढ़ तीनों राज्यों में सक्रिय है. जब तक कि वहां के मुख्यमंत्रियों का हमें आश्वासन नहीं मिलता, तब तक हमारा साथियों से संपर्क करना मुश्किल है. हम छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा जी से भी यही अनुरोध करते हैं कि वे परस्पर उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी बात करें.वहां के पुलिस अधिकारियों से भी बात करें और इस पर एक सकारात्मक समाचार हमें दें.

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सवाल - क्या 1 जनवरी तक सारे लोग आपसे लाइन-अप हो जाएंगे?

जवाब - वही तो मुश्किल है, इसलिए हमने विजय शर्मा जी से 15 फरवरी तक का वक्त मांगा था. तीनों मुख्यमंत्रियों से अपील करते हुए. लेकिन फिर विजय शर्मा जी ने कहा था- 10-15 दिन काफी है. यह उनकी दृष्टि से काफी हो सकता है लेकिन हमारे लिए नहीं. हमारे पास कम्यूनिकेट करने के उन्नत साधन नहीं होते.और आप जानते ही हैं, हमारे कई साथियों से आप मिले हैं तो उन्हें ये तमाम साधनों का उपयोग करना भी नहीं आता. दिक्कत वहां है. हमारे पास कोई घोड़ा गाड़ी तो नहीं है, पहाड़ें लांघनी पड़ती हैं, पगडंडियां चलनी पड़ती हैं और मीलों चलना पड़ता है. फिर हमारा एक सिस्टम होता है, वह सिस्टम के साथ ही हमारे साथी संपर्क में आते हैं.

सवाल - हथियारों के साथ ही आएंगे ना?
जवाब - हां, हथियारों के साथ तो आएंगे ही.

सवाल - अगर मान लीजिए सरकार तारीख नहीं बढ़ाती है, तो उस मामले में फिर आप लोगों का क्या फ़ैसला होगा?

जवाब - नहीं ऐसे में, हमारे बाकी साथियों की राय सुनने के बाद ही हम अगली डेट तय करेंगे.मतलब हम हम जो भी करेंगे, हमारे साथियों के साथ संवाद स्थापित करके ही करेंगे. यहीं हमारे लिए अच्छा रहेगा.बिना संवाद स्थापित किए, मैं अपने हिसाब से निकल जाऊँगा, कोई अपने हिसाब से निकल जाएगा तो इसे पार्टी कैसे कहेंगे? यह तो फिर भगोड़ापन हो जाएगा.

सवाल - दण्डकारण्य ज़ोन के प्रवक्ता विकल्प ने एक प्रेस नोट जारी किया है, जिसमें उन्होंने 30 नवंबर को बंद का आह्वान किया है और पुलिस पर माड़वी हिड़मा की हत्या का आरोप लगाया है?

जवाब - जी, जी मैंने पूरे वीडियोज़ नहीं देखे, लेकिन ग्रामीणों के आरोप मैंने सुने हैं. प्रेस नोट तो आज ही आया है, लेकिन इस घटना के बाद एक-दो डाउनलोड मैंने देखे हैं. जिसमें ग्रामीण कह रहे हैं कि वे आत्मसमर्पण करने आए थे, लेकिन पुलिस ने उनको गिरफ़्तार करके मार दिया. अगर इस तरह से होता है तो यह बहुत गलत है. इससे देश भर में हमारे जो साथी हैं, उनमें प्रशासन या पुलिस के प्रति विश्वास कायम नहीं होता है. माड़वी हिड़मा एक बड़े जननायक थे. 

सवाल - मनीष कुंजाम जी का बयान आपने सुना, उन्होंने आरोप लगाया कि देवजी ने ही हिड़मा को मरवाया?

जवाब - नहीं, यह गलत आरोप है. ऐसा नहीं होता. देवजी हमारे बहुत आदर्श नेता हैं. वह इस तरह से विश्वासघात के काम नहीं कर सकते, नहीं करेंगे.इसके अलावा दोनों के बीच आपसी विश्वास काफी रहा है.यह तो मनीष कुंजाम अपनी तरफ से बेहद गलत आरोप लगा रहे हैं, बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं. ऐसा कुछ नहीं है.

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