Most Wanted Naxalite Madvi Hidma: कुख्यात माओवादी कमांडर माडवी हिड़मा मारा गया. सूत्रों की मानें तो खूंखार नक्सली माडवी हिड़मा को सुरक्षाबलों ने आंध्र प्रदेश में ढेर कर दिया है. ऐसे में यहां जानते हैं कैसी थी उसकी सुरक्षा? क्या खाता था? नक्सल संगठन में उसकी हैसियत कैसी थी? वो कैसे सोचता था?...इन सवालों के जवाब आसान नहीं था, क्योंकि दशक भर से ज्यादा वक्त बीत चुका है नक्सलियों के अलावा किसी ने भी उसे देखा तक नहीं था. हालांकि इन सवालों का जवाब ढूंढने के लिए निकले थे NDTV संवाददाता विकास तिवारी. इस मुहिम में उनकी मुलाकात दो ऐसे किरदारों से हुई थी जो साये की तरह सालों तक हिड़मा के साथ रह चुके थे...आइए पढ़ते-जानते हैं.
हिड़मा की पूर्व बॉडीगार्ड ने बताया- ऐसा रहता था सुरक्षा घेरा
विकास की मुलाकात सबसे पहले सुंदरी नाम की पूर्व नक्सली से हुई. वो फिलहाल दंतेवाड़ा में DRG में तैनात होकर माओवादियों से लोहा ले रही हैं. उन्होंने साल 2014 में माओवाद का दामन छोड़ कर समर्पण किया. इसके बाद वो अब DRG बतौर कमांडो तैनात हैं. इससे पहले वो 15 सालों तक माओवादी संगठन में रही. इस दौरान वो कई सालों तक हिड़मा की सुरक्षा में तैनात रही थी. वो बतौर गनमैन उसकी सुरक्षा में तैनात थी और उसने बेहद करीब से हिड़मा को देखा-समझा था. उनके मुताबिक हिड़मा बस्तर के ही जंगलों में रहता है और उसके साथ जर्बदस्त सुरक्षा घेरा रहता है. सुंदरी के मुताबिक हिड़मा की सुरक्षा संभवत: प्रदेश के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी से भी ज्यादा है.

सुंदरी के मुताबिक हिड़मा बहुत अनुशासित जीवन जीता है. वो रोज सुबह 4 बजे उठ जाता है और नित्यकर्म के बाद पूरी बटालियन से पीटी करवाता है. इसके सा ही वो देश-दुनिया की खबरों की जानकारी जुटाता है. साथियों के साथ आगे की गतिविधि की प्लानिंग करता है. रात के देर तक किताब पढ़ता है और साथियों के साथ मंत्रणा करता है. सुंदरी के मुताबिक हिड़मा किसी तरह का कोई नशा नहीं करता लेकिन गौमांस, देशी मुर्गा और दूध की चाय काफी पसंद करता है. उसे शुगर की बीमारी है इसलिए वो केवल रोटी खाना पसंद करता है.

Hidma Naxalite: सुरक्षाबलों की फाइलों में माड़वी हिड़मा की जानकारी कुछ ऐसे दर्ज है.
रमन्ना ने हिड़मा को बनाया खतरनाक लीडर
इसके बाद हमारे संवाददाता ने माड़वी हिड़मा के गुरु पूर्व माओवादी नेता बदरन्ना उर्फ रमेश से मुलाकात की. बदरन्ना पहले बासागुड़ा क्षेत्र में एलजीएस कमांडर हुआ करते थे. इसी क्रम में वो हिड़मा के गांव पुवर्ती में जन सहयोग से तालाब का निर्माण करवा रहे थे तभी उनकी मुलाकात हिड़मा से हुई. तब वो बहुत ही छोटा था. माओवादियों द्वारा जनता के लिए तालाब निर्माण करवाए जाने को देखते हुए वह भी प्रभावित हुआ और उसने संगठन से जुड़ने की मंशा जाहिर की. बदरन्ना ने उसके जोश को देखते हुए उसे माओवादी संगठन में भर्ती कराया. दो साल तक साथ काम करने के बाद उन्होंने उसे अपने प्लाटून का नेतृत्व सौंप दिया.
कमजोर हो चुका हिड़मा, सरेंडर करे: IG सुंदराजन
सुरक्षाबलों के लिए हिड़मा कितनी बड़ी चुनौती थी, बस्तर में लम्बे समय से सुरक्षा बलों का नेतृत्व कर रहे बस्तर आईजी पी सुंदरराजन ने बताया था कि माओवादियों से अब अंतिम लड़ाई चल रही है. अब तक माओवादी छुपकर वार किया करते थे और बड़ा नुकसान पहुंचाया करते थे. चार दशक से उन्होंने बस्तर में दहशत के दम पर राज किया और हिड़मा जैसे बस्तर के आदिवासी युवा को भड़का कर सरकार के खिलाफ खड़ा किया. ये सच है कि बस्तर में हुए बड़े हमले के पीछे हमेशा हिड़मा का ही नाम आया. पर हमने हिड़मा के गांव पुवर्ती में ही कैंप लगाकर यह साबित कर दिया कि वह कितना कमजोर हो चूका.
उन्होंने अपील करते हुए कहा था कि वो हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौट आएं और इस अपील में हिड़मा भी शामिल था. यदि वो समर्पण करते हैं तो उन्हें भी सरकार की समर्पण नीति का पूरा लाभ दिया जाएगा.
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