Maoist Leader Anant Surrenders: मध्यप्रदेश–महाराष्ट्र–छत्तीसगढ़ (MMC) नक्सल ज़ोन के प्रवक्ता और संगठन के अहम चेहरे विकास नागपुरे उर्फ अनंत ने आखिरकार 28 नवंबर 2025 को हथियार डाल दिए हैं. अनंत ने अपने 15 नक्सली साथियों के साथ महाराष्ट्र के गोंदिया में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है. यह वही अनंत है, जिसने कुछ दिन पहले तीनों राज्यों मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर मुख्यधारा में लौटने के लिए 15 फरवरी 2026 तो कभी एक जनवरी 2026 तक का समय मांगा था.
अनंत की चिट्ठी में यह भी मांग रखी गई थी कि आत्मसमर्पण प्रक्रिया पूरी होने तक सरकार नक्सल ऑपरेशन अस्थायी तौर पर रोक दे. अब अनंत के साथ सरेंडर करने वालों में दो नक्सली घायल और बीमार बताए गए हैं, जिन्हें मेडिकल सहायता दी जा रही है. आज 28 नवंबर 2025 को चैतू उर्फ श्याम दादा ने भी 10 साथियों के साथ सरेंडर किया है.
अनंत की रणनीति और पहले जारी पर्चे
सरेंडर से पहले अनंत ने एक और पर्चा जारी किया था, जिसमें दावा किया गया था कि MMC ज़ोन के सैकड़ों नक्सली 1 जनवरी 2026 को हथियार छोड़ सकते हैं. उन्होंने इस दौरान अपने साथियों से बातचीत के लिए 435.715 MHz की एक खुली फ्रीक्वेंसी भी जारी की थी, जहां रोजाना 11 बजे से 11:15 बजे तक संवाद की बात कही गई थी.

अनंत ने पत्र में क्या लिखा?
श्री. देवेंद्र फडणवीस (मुख्यमंत्री-महाराष्ट्र राज्य),
श्री. विष्णुदेव साय/विजय शर्मा (मुख्यमंत्री/गृहमंत्री-छत्तीसगढ़ राज्य),
श्री. मोहन यादव (मुख्यमंत्री-मध्यप्रदेश राज्य),
मैं अनंत, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ स्पेशल जोनल कमिटी (MMC) के प्रवक्ता के तौर पर आप तीनों राज्य के मुख्यमंत्रियों को एक और निवेदन पत्र जारी कर रहा हूं.
हम, MMC के तमाम साथी, 1 जनवरी 2026 को सशस्त्र संघर्ष को अस्थाई रूप से विराम देकर, हथियार त्यागकर सरकार के पुनर्वास को स्विकार करते हुए, समाज की मुख्यधारा में शामिल हो जाएंगे.
तब तक तीनों राज्यों की सरकारों से हमारा अनुरोध हैं कि वे संयम बरतें और उक्त तारिख तक सुरक्षा बलों के अभियानों को पूरी तरह से रोक दें. जोन भर में कहीं भी गिरफ्तारी, मुठभेड़ ऐसी किसी भी अप्रिय घटना को सुरक्षाबल अंजाम ना दें. इस बीच हम जोनभर में बिखरे हमारे तमाम साथियों से संपर्क स्थापित करने की कोशिश करेंगे. सुरक्षा बलों के अभियान के जारी रहने से इसमें व्यवधान उत्पन्न होगा और फलस्वरूप प्रयास में तेजी नही ला पाएंगे. हम टुकड़ों-टुकड़ों में हथियार छोड़कर आने के बजाय एकसाथ या फिर कहे, एक बड़ी तादाद में सरकार के पुनर्वास योजना को स्विकार करके मुख्यधारा में आना पसंद करेंगे.
जिसतरह छत्तीसगढ़ में सतीश दादा और महाराष्ट्र में सोनुदादा के साथ हुआ था, हम उसी तरह तीनों में से किसी एक राज्य के मुख्यमंत्री अथवा गृहमंत्री के सामने हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होना चाहते हैं. अगले एक महिने के इस पूरी प्रक्रिया को शांतिपूर्ण तरिके से संपन्न करने में जिस राज्य की सरकार हमें सबसे बेहतर सहयोग प्रदान करेगी, हम उस राज्य सरकार के सामने हथियार सौंपकर मुख्यधारा में शामिल होने को तरजीह देंगे.
इसलिए, मैं तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रीयों से यह अनुरोध करता हूं कि, इस पूरी प्रक्रिया को शांतिपूर्ण तरिके से संपन्न करने के लिए अनुकुल माहौल बनाएं. और यह तभी संभव हो पाएगा जब सुरक्षा बलों के अभियानों को उक्त तारिख तक स्थगित रखा जाएगा और वे मुठभेड़ जैसी किसी भी अप्रिय घटना को अंजाम नहीं देंगे.
हमने श्री. विजय शर्मा (गृहमंत्री-छत्तीसगढ़ राज्य) को रेडीओ पर सुना. उन्होंने इसके लिए 10 से 15 दिन का समय पर्याप्त है कहा. हम उनकी प्रतिक्रिया का सम्मान करते हैं, किंतु इतना कम समय नाकाफ़ी है. लेकिन हमने हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटने की जो ठोस तारिख (1) जनवरी 2026) तय की है, उस पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
हम, श्री. विजय शर्माजी के शुक्रगुजार हैं कि, उन्होंने बयान में आगे कहा कि, यदि हम कुछ ठोस प्रपोजल और मांगे रखना चाहते हैं तो सरकार उसे सुनेगी और पूरा करने का प्रयास भी करेगी. हम, निश्चितही सरकार के सामने कुछ ठोस प्रपोजल और मांगे रखना चाहेंगे. यह हम मुख्यधारा में शामिल होने के ठीक पहले जो प्रेस विज्ञप्ति जारी करेंगे उसमें रखेंगे या फिर पूनर्वास के बाद रखेंगे.
हमारे निवेदन पत्र पर जिसतरह श्री. विजय शर्माजी से प्रतिक्रिया आई है, उस तरह शेष दो राज्यों (महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश) की सरकारों से हमें अब तक कोई आश्वस्त करनेवाली प्रतिक्रिया नही मिली है. शेष दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रीयों से आश्वासक जवाब मिलने पर हमें प्रसन्नता होगी, और अगर वे श्री. विजय शर्मा की तरह हमसे कोई ठोस प्रपोजल और मांग रखने की बात रखते हैं तो हम जनता की ओर से जरूर रखना चाहेंगे.
मैं, जोनभर के हमारे साथियों से भी यह अनुरोध करता हूं कि, वे इस प्रक्रिया के सुखद अंजाम तक पहुंचने तक अपनी तमाम गतिविधियों को विराम दें और जोश अथवा आवेश में आकर ऐसी कोई हरकत ना करें जिससे इसमें व्यवधान उत्पन्न हो जाएं. मैं फिर एकबार दोहरा रहा हूं कि, इसबार हम PLGA सप्ताह नही मनाएंगे. हम सरकार से भी यह चाहते हैं कि, इस सप्ताह के दरम्यान वे अपने सुरक्षा बलों के गश्त को रोक दें. हम, जोनभर के तमाम साथियों के लिए एक ऑडियो अपील जारी करेंगे. तमाम साथियों से अनुरोध हैं कि, इसे सुनने सुनने के बाद या इसके बारे में जानने के बाद वे तुरंत एक-दूसरे को संपर्क करने का प्रयास करें. हम, साथियों से यह भी अनुरोध करते हैं कि वे धैर्य बनाए रखें, धीरज से काम लें, अकेले अकेले जाकर अपने-अपने हिसाब से आत्मसर्पण ना करें. हम सब मिलकर ही यह करने जा रहे हैं, किंतु आत्मसर्पण नही, पूनामार्गेम!
मैं, MMC के तमाम साथियों को खुले रूप से संपर्क करने के लिए बाउफेंग की एक खुली फ्रिक्वेंसी (नंबर) 435.715 जारी कर रहा हूं.
क्यों महत्वपूर्ण अनंत का सरेंडर?
अनंत लंबे समय से CPI (माओवादी) के MMC ज़ोन में संगठनात्मक रणनीति और प्रचार तंत्र का प्रमुख चेहरा माना जाता था. उसके सरेंडर के बाद माना जा रहा है कि नक्सलियों की नेतृत्व संरचना पर बड़ा असर पड़ेगा और संगठन का नेटवर्क कमजोर हो सकता है. सुरक्षा बल अब अनंत और उसके साथियों से हथियार सप्लाई रूट, ठिकानों और नेटवर्क से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी ले रहे हैं.