Most Wanted Naxalite Madvi Hidma: छत्तीसगढ़–आंध्र प्रदेश की सीमा पर चला ताजा ऑपरेशन उस लंबे आतंक का अंत लेकर आया, जिसने बस्तर के लोगों को सालों तक भय में जीने पर मजबूर किया था. खूंखार नक्सली माडवी हिड़मा के मारे जाने के बाद बस्तर में एक नई उम्मीद जगी है. इस मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने खुशी जाहिर की है.
मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर
दरअसल, आंध्र प्रदेश के एएसआर जिले के मारेदुमिल्ली इलाके में सुबह 6 से 7 बजे के बीच सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच जोरदार मुठभेड़ हुई. इस दौरान कुल छह नक्सली मारे गए, जिनमें कुख्यात नक्सली कमांडर माडवी हिड़मा और उसकी पत्नी मडागम राजे भी शामिल थे. इसके अलावा लकमल, कमलू, मल्ला और देवे नाम के नक्सली ढेर हुए. देवे हिड़मा का गार्ड बताया गया है. मौके से दो AK-47, एक रिवॉल्वर और एक पिस्तौल बरामद की गई.
एक करोड़ के इनामी हिड़मा का अंत
करीब 44 वर्षीय हिड़मा पर एक करोड़ रुपये का इनाम था. उस पर 150 से ज्यादा जवानों की हत्या का आरोप था. उसने 2013 के झीरम घाटी नरसंहार और 2017 के सुकमा हमले जैसे कई बड़े घटनाओं का नेतृत्व किया था. वर्षों से वह बस्तर में हिंसा, डर और रक्तपात का चेहरा माना जाता था.
सीएम साय ने सुरक्षाबलों को दी बधाई
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर इस ऑपरेशन को नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक उपलब्धि बताया. उन्होंने कहा कि हिड़मा का अंत न सिर्फ एक नक्सली कमांडर के खत्म होने का प्रतीक है, बल्कि लाल आतंक पर गहरी चोट भी है. उन्होंने सुरक्षाबलों के साहस को सलाम करते हुए कहा कि यह ऑपरेशन बस्तर में स्थायी शांति की दिशा में एक मजबूत कदम है.
नक्सलवाद की कम होती पकड़
हाल के महीनों में सैकड़ों नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, कई टॉप कैडर गिरफ्तार हुए हैं और लगातार एक के बाद एक सफल ऑपरेशन हो रहे हैं. इन घटनाओं को सरकार नक्सलवाद के अंतिम दौर के संकेत के रूप में देख रही है. सीएम साय ने भरोसा जताया कि केंद्र और राज्य की संयुक्त रणनीति के चलते मार्च 2026 तक भारत पूरी तरह नक्सलमुक्त हो जाएगा.
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नियद नेल्ला नार और सुरक्षा कैंप की भूमिका
सरकार ने बस्तर में विश्वास बहाली के लिए नियद नेल्ला नार (आपके लिए सदैव मौजूद) जैसी योजनाएँ चलाई हैं, पुनर्वास नीति को मजबूत किया है और कई नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए हैं. इन कदमों से स्थानीय लोगों में भरोसा बढ़ा है और गांव-गांव में विकास और सुरक्षा का नया माहौल बना है.
कौन था माडवी हिड़मा?
हिड़मा का जन्म 1981 में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पुवार्ती गांव में हुआ था. वह 1996 में नक्सलियों से जुड़ा और धीरे-धीरे संगठन में शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच गया. वह पीएलजीए बटालियन नंबर-1 का कमांडर था और सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय समिति का सबसे युवा सदस्य माना जाता था. बस्तर क्षेत्र से केंद्रीय समिति में शामिल होने वाला वह एकमात्र आदिवासी था.
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दर्जनों हमलों का मास्टरमाइंड
2004 से लेकर अब तक हिड़मा 30 से ज्यादा माओवादी हमलों में शामिल रहा. इसमें झीरम घाटी हमला, बुर्कापाल हमला, बीजापुर हमला और दंतेवाड़ा में 76 जवानों की शहादत वाला हमला भी शामिल है. राज्य पुलिस के अनुसार, कई बड़े हमलों में उसने खुद मोर्चा संभाला था.