Raigarh Lok Sabha Seat: छत्तीसगढ़ के सारंगढ़ राजपरिवार (Sarangarh Rajparivar) के सदस्य लगभग 25 वर्षों तक चुनावी राजनीति से दूर रहने के बाद एक बार फिर रायगढ़ लोकसभा (Raigarh Lok Sabha) सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. सारंगढ़ में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली गोंड राजपरिवार (Gond Royal Family) की सदस्य डॉक्टर मेनका देवी सिंह (Dr Menka Devi Singh) को कांग्रेस (Congress) ने अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित रायगढ़ लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है. वह भाजपा के नये चेहरे राधेश्याम राठिया से मुकाबला करेंगी.
यहां कब है मतदान? कैसा है सीट का हाल?
रायगढ़ छत्तीसगढ़ की उन सात सीटों में से एक है, जहां सात मई को मतदान होगा. लोकसभा सीट का नाम रायगढ़ जिले से लिया गया है, जो राज्य में औद्योगिक और खनन केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है. इस सीट में तीन जिले रायगढ़, जशपुर और सारंगढ़-बिलाईगढ़ (2022 में बनाया गया जिला) जिला शामिल हैं.
डॉक्टर मेनका देवी छत्तीसगढ़ के राजघरानों से एकमात्र उम्मीदवार हैं जो इस बार लोकसभा चुनाव में मैदान में हैं. पिछले साल छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव और जूदेव परिवार के दो सदस्यों सहित पूर्ववर्ती राजघरानों के सात सदस्य मैदान में थे. लेकिन इनमें से किसी को भी सफलता नहीं मिली.
ऐसा है यहां का चुनावी इतिहास?
1962 में इस सीट के गठन के बाद से सारंगढ़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्यों ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चार बार रायगढ़ लोकसभा सीट जीती है. 1962 में इस सीट पर हुए पहले लोकसभा चुनाव में पूर्व जशपुर राजपरिवार के सदस्य विजय भूषण सिंह ने अखिल भारतीय राम राज्य परिषद के उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की थी.
डॉक्टर मेनका देवी की मां स्वर्गीय ललिता देवी 1969 में पुसौर विधानसभा सीट (रायगढ़ जिला) से निर्विरोध विधायक चुनी गईं. डॉक्टर मेनका देवी राजा नरेशचंद्र की पांच बेटियों में सबसे बड़ी हैं. उनकी बेटी रजनीगंधा 1967 में रायगढ़ से सांसद रहीं और दूसरी बेटी पुष्पा देवी सिंह ने 1980, 1984 और 1991 में रायगढ़ लोकसभा सीट जीती थी. डॉक्टर मेनका देवी की दूसरी बहन कमला देवी 18 वर्षों तक विधायक रहीं और अविभाजित मध्य प्रदेश में पंद्रह वर्षों तक मंत्री रहीं.
25 साल चुनाव से दूर रहे, राजनीति और जनसेवा से नहीं : मेनका देवी की बेटी
मेनका देवी की बेटी कुलिशा ने कहा, ''हालांकि हमने 25 वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन हम राजनीति और लोगों की सेवा से दूर नहीं थे. हमारा परिवार इस दौरान क्षेत्र में लोगों की सेवा और विभिन्न रूपों में उनका सहयोग करता रहा. इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, डॉक्टर मेनका देवी जी को टिकट मिला और वह चुनाव जीतेंगी.'
विष्णु देव साय ने 2004, 2009 और 2014 में तीन बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है. 2014 में साय को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया था. 1977 में रायगढ़ सीट जीतने वाले जनता पार्टी के नरहरि प्रसाद साय इस सीट से एक और सांसद थे जो केंद्र में केंद्रीय मंत्री बने. भाजपा के दिग्गज नेता नंद कुमार साय ने 1989 और 1996 में दो बार रायगढ़ सीट में जीत हासिल की थी.
2019 में नए चेहरे पर BJP ने लगाया दांव
2019 में भाजपा ने विष्णु देव साय को टिकट नहीं दिया था और एक नए चेहरे गोमती साय को मैदान में उतारा था. गोमती साय ने कांग्रेस के लालजीत सिंह राठिया को हराया था. पिछले राज्य विधानसभा चुनाव में गोमती साय छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए चुनी गईं, जिसके बाद इस बार भाजपा ने नए चेहरे राधेश्याम राठिया को मैदान में उतारा है.
उन्होंने कहा कि सारंगढ़ राजपरिवार की पुष्पा देवी ने इस सीट से तीन बार जीत हासिल की लेकिन 1989, 1996 और 1999 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. दास ने कहा, ''25 साल के अंतराल के बाद सबसे पुरानी पार्टी ने एक बार फिर इस परिवार पर भरोसा जताया है और डॉक्टर मेनका देवी को मैदान में उतारा है.''
दास कहते हैं कि जशपुर के जूदेव का राजपरिवार जो भाजपा से जुड़ा रहा है, सत्ताधारी दल के लिए ही काम करेगा. हाल ही में भाजपा ने रायगढ़ से गोंड राजपरिवार के वंशज देवेंद्र प्रताप सिंह को राज्यसभा भेजा है, जो सत्ताधारी दल को लाभ दिला सकता है.'' रायगढ़ सीट पर कुल 13 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है.
यह भी पढ़ें : हाथ में कभी था बम गोला, आज है भीख का कटोरा, शहजादे को PM बनाने को पाकिस्तान उतावला, मोदी का राहुल गांधी पर तंज
यह भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ की बेटी ने रचा इतिहास! NEET की असफलता से Army में लेफ्टिनेंट डॉक्टर बनने तक, ऐसी है जोया की कहानी
यह भी पढ़ें : नक्सलवाद को जाना ही पड़ेगा, कोरबा में शाह ने कहा- ST, SC व OBC आरक्षण BJP न हटाएगी न कांग्रेस को हटाने देगी