Weather of Chhattisgarh: आम तौर पर ऐसा माना जाता है कि जैसे-जैसे जंगल कम हो रहे हैं वैसे-वैसे ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) विकराल होता जा रहा है. लेकिन छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh News) में जहां का 44.21 फीसदी हिस्सा जंगलों से ढका है वहां भी आसमान से आग बरस रही है. प्रदेश के ज्यादातर हिस्से में तापमान 45 डिग्री के ऊपर बना हुआ है. 28 मई को प्रदेश के मुंगेली में तापमान 47.3 डिग्री पहुंच गया जो कि बीते 10 सालों में सबसे ज्यादा है. यहां तक की छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से मशहूर मैनपाट (Mainpat) भी अब ठंडा नहीं रहा. यहां का तापमान 42 डिग्री पार कर चुका है. इसके अलावा घनघोर वन और अभ्यारण्य क्षेत्र वाले बलरामपुर और सूरजपुर (Balrampur and Surajpur) में पारे के तेवर चौंका रहे हैं. आखिर इसकी वजह क्या है? इस पर विस्तार से बात करेंगे लेकिन पहले ये जान लेते हैं कि प्रदेश के किस हिस्से में तापमान का कैसा खेल चल रहा है?
दरअसल सच्चाई ये है कि छत्तीसगढ़ लगातार वन क्षेत्र कम हो रहे हैं. वन भूमि लगातार पट्टे पर दिए जा रहे हैं. इसके अलावा यहां की प्राकृतिक चट्टान भी बाक्साइट उत्खनन के कारण खत्म हो रहे हैं. जिससे कई तरह की वनस्पतियां कम हो रही हैं. पेड़-पौधे ऑक्सीजन छोड़ते हैं जिससे ठंडक और नमी बनी रहती है. मौसम विभाग के वैज्ञानिक एच पी चंद्रा का कहना है छत्तीसगढ़ में गर्मी उत्तर पश्चिम दिशा से गर्म शुष्क हवाओं की वजह से है. गर्मी के बढ़ने के अन्य कारण भी है. जिसमें जंगलों का धीरे धीरे कम होना, गाड़ियों, इंडस्ट्री और AC का बढ़ता उपयोग भी तापमान में वृद्धि का कारण है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ कर्क रेखा में पड़ता है. कर्क रेखा के निकट होने और बारिश के लिए मानसून पर निर्भरता के कारण यह इलाका गर्म और आर्द्र रहने लगा है. घटते जंगलों की वजह से गर्मी और बढ़ रही है. हालांकि अच्छी खबर ये है कि जून के पहले पखवाड़े में मॉनसून छत्तीसगढ़ पहुंच सकता है. जिसके बाद हीटवेव से राहत मिलने के आसार हैं.