छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में सत्ता परिवर्तन के साथ ही अध्यक्षों के हटने और उसे हटाने का दौर शुरू हो गया है. दरअसल, बीते 17 दिनों में बेमेतरा (Bemetara) जिले के तीन कांग्रेस (Congress) समर्पित अध्यक्षों को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी. जिसके चलते कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है.
नवगढ़ विधानसभा से दो नगर पंचायत के अध्यक्ष हटे
नवागढ़ विधानसभा (Navagarh Assembly) से कैबिनेट मंत्री बने दयाल दास बघेल (Dayaldas Baghel) को मात्र 20 दिन हुए हैं और 17 दिनों में दो नगर पंचायत के अध्यक्षों की कुर्सी चली गई. कांग्रेस समर्पित नगर पंचायत नवागढ़ के अध्यक्ष तिलक घोष (Tilak Ghosh) को अविश्वास प्रस्ताव के चलते अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी. वहीं नगर पंचायत मारो के परमेश्वर मिरी के खिलाफ 23 जनवरी को अविश्वास प्रस्ताव को लेकर सम्मेलन होना था, लेकिन इसके पहले वो 11 जनवरी को कलेक्टोरेट पहुंचकर अपना इस्तीफा सौंप दिया.
जनपद पंचायत अध्यक्ष उपाध्यक्ष की भी गई कुर्सी
जिला मुख्यालय की जनपद पंचायत बेमेतरा में सबसे बुरा हाल रहा, जहां पर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ जनपद सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव का आवेदन कलेक्टर को सौप था. अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ 12 जनवरी को मतदान हुआ जिसमें जनपद पंचायत की अध्यक्ष रेवती साहू और उपाध्यक्ष मिथलेश वर्मा को 23 सदस्यों में से 19-19 ने अध्यक्ष उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान किया, जिसके चलते दोनों कांग्रेस समर्पित को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा.
अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ तीसरी बार अविश्वास प्रस्ताव
बेमेतरा जिला मुख्यालय के जनपद पंचायत में तीसरी बार अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. हालांकि इसके पहले लाये गए अविश्वास प्रस्ताव में दोनों की कुर्सी बच गई थी. वहीं दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव में जनपद पंचायत के अध्यक्ष कुमारी बाई जायसवाल को हटाया गया था. हालांकि इस दौरान उपाध्यक्ष की कुर्सी बच गई थी. भाजपा से कांग्रेस में आए रेवती साहू को जनपद पंचायत अध्यक्ष बनाया गया था. तीसरी बार फिर अविश्वास प्रस्ताव सदस्यों के द्वारा लाया गया जिस पर 13 जनवरी को हुए मतदान में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी चली गई.
तीनों अध्यक्षों की कहानी अलग-अलग
नगर पंचायत नवागढ़ और मारो के साथ ही जनपद पंचायत बेमेतरा के तीनों अध्यक्षों की कहानी अलग-अलग है.15 पार्षदों वाले नवागढ़ नगर पंचायत में कांग्रेस के पास 08 पार्षद हैं. अध्यक्ष का पद अनुसूचित जाति मुक्त के लिए आरक्षित था. भाजपा से इस वर्ग का कोई भी प्रत्याशी चुनाव जीत कर नहीं आया था. इसके बाद तात्कालिक विधायक गुरुदयाल सिंह बंजारे ने लॉटरी निकालकर तिलक घोष को अध्यक्ष बनाया था. सत्ता बदलने के बाद आए अविश्वास प्रस्ताव में 8 पार्षद होने के बाद भी कांग्रेस समर्पित अध्यक्ष तिलक घोष को मात्र दो मत मिले.
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वहीं 15 पार्षदों वाले नगर पंचायत मारो की कहानी काफी दिलचस्प है. यहां 09 कांग्रेस समर्पित पार्षद के होते हुए अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. अविश्वास प्रस्ताव पर 23 जनवरी को मतदान होना था, लेकिन इसके पहले ही नगर पंचायत अध्यक्ष परमेश्वर मिरी कलेक्टोरेट पहुंच कर कलेक्टर को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
सत्ता परिवर्तन के बाद मंत्री दयाल दास बघेल को दिया तोहफा
राजनीति के जानकार कहते हैं कि खाद्य मंत्री दयाल दास बघेल को नवागढ़ विधानसभा के भाजपा समर्पित पार्षद व जनपद सदस्यों ने बड़ा तोहफा दिया है.दरअसल, मंत्री बनने के मात्र 20 दिनों के अंदर ही उन्होंने तीन अध्यक्षों को उनके पद से हटकर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है.
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