![अंग्रेजों के बनाए डैम को संभाल लेते तो.... पानी की नहीं होती इतनी किल्लत अंग्रेजों के बनाए डैम को संभाल लेते तो.... पानी की नहीं होती इतनी किल्लत](https://c.ndtvimg.com/2024-07/cb6n2rd8_chhattisgarh-_625x300_02_July_24.jpeg?im=FaceCrop,algorithm=dnn,width=773,height=435)
Water Crisis in Chhattisgarh : एमसीबी जिले के चिरमिरी को नगर निगम बने 22 साल हो चुके हैं, लेकिन यहां के वार्डवासी आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. इसके लिए शासन, प्रशासन और चुने गए जनप्रतिनिधि जिम्मेदार हैं. वार्ड नंबर 1 साजापहाड़ में लोग शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं और गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. निगम प्रशासन टैंकर भेजने का दावा करता है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि टैंकर कभी-कभार ही पहुंचता है. यहां कच्ची सड़क भी नहीं बनी है, जिससे लोग पगडंडियों पर चलने को मजबूर हैं.
ब्रिटिश कालीन डैम की अनदेखी
साजापहाड़ के घने जंगल के बीच ब्रिटिश कालीन एक डैम बना हुआ है, जिसकी दीवारें आज भी मजबूत हैं. डैम के पास एक ब्रिटिशकालीन टंकी भी बनी है, लेकिन प्रशासन ने इसका इस्तेमाल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया. साल 2015-16 में तत्कालीन महापौर के. डोमरु रेड्डी और कलेक्टर नरेंद्र दुग्गा ने डैम का निरीक्षण किया था. जल संसाधन विभाग ने भी डैम का निरीक्षण किया था, लेकिन अफसरों के ट्रांसफर के बाद यह परियोजना फाइलों में ही दब गई.
स्थानीय लोगों की मांग
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन ब्रिटिशकालीन डैम की मरम्मत कर इसे शुरू कर दें, तो पानी की समस्या का समाधान हो सकता है. डैम की दीवारें आज भी इतनी मजबूत हैं, जिससे पता चलता है कि उस समय की तकनीक और इंजीनियरिंग कितनी बेहतरीन थी. लेकिन प्रशासन की अनदेखी के कारण यह डैम बेकार पड़ा है.
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निगम प्रशासन की प्रतिक्रिया
नगर पालिक निगम चिरमिरी के कमिश्नर राम प्रसाद आंचला से साजापहाड़ के पेयजल संकट पर पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि वहां पानी के टैंकर भेजे जाते हैं. लेकिन लोगों का कहना है कि टैंकर कुछ इलाकों में कभी-कभार ही पहुंचते हैं और साजापहाड़ के अन्य इलाकों में टैंकर नहीं पहुंच पाते, क्योंकि वहां सड़क नहीं बनी है.
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