Saffron cultivation in Indore: केसर (Saffron) का जिक्र होते ही कश्मीर (Kashmir) का ही नाम याद आता है. भारत में इसकी खेती कश्मीर में ही होती है. दरअसल, केसर की खेती (Saffron cultivation) ठंडे इलाके और एक खास प्रकार की मिट्टी में ही संभव है और मैदानी इलाके में तो केसर की खेती की संभावनाएं ना के बराबर होती हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के एक किसान ने गजब का दिमाग लगाकर भारत के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में 'कश्मीर की केसर' (Saffron cultivation in Indore) की खेती कर डाली.
दरअसल, इंदौर के अनिल जायसवाल ने अपने दो मंजिली घर की एक मंजिल को केसर फार्म में बदल दिया है और इसके लिए एरोपोनिक्स तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें पौधे उगाने के लिए मिट्टी की जरूरत नहीं होती. इस विधि में पौधों पर विकास के लिए सिर्फ पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाता है.
कश्मीर टूर से आया केसर की खेती करने का विचार
अनिल जायसवाल ने एनडीटीवी को बताया कि जब वे अपने परिवार के साथ जम्मू कश्मीर घूमने गए और श्रीनगर से 14 किमी दूर पम्पोर पहुंचे, तब यहां से गुजरते समय पास में ही उगे इन परपल रंग के फूलों ने ध्यान आकर्षित किया और वही से इसकी खेती इंदौर में करने का विचार आया.
क्या है एरोपोनिक्स तकनीक?
इस तकनीक में बिना मिट्टी के पौधे उगाए जाते है और अभी तक इसे विश्व में सर्वश्रेष्ठ तकनीक माना गया है. 1990 में नासा ने इसका अविष्कार किया था. काफी देश इस तकनीक का इस्तमाल 20-25 साल से करते आ रहे है.
इंदौर में बनाया छोटा कश्मीर
अपनी बातचीत में उन्होंने बताया कि पम्पोर से ही यह बीज मंगवाए गए. यह पौधे कश्मीर में ही उगते हैं, इसलिए सबसे पहले इन्होंने पम्पोर के मौसम को जाना और बिल्कुल वही मौसम इंदौर में लाने के लिए कमरे में कई इंतजाम किए, जिनमें मुख्य रूप से कश्मीर अनुरूप तापमान के लिए चिल्लर, ग्रोथ के लिए सही लाइटिंग और तमाम जम्मू कश्मीर का वातावरण यहां बनाया गया.
मध्य प्रदेश में केसर की खेती करने में इतनी रहीं लागत
पूरे रूम को तैयार करने में साढ़े छह लाख रुपये लगे, जबकि बीज मध्य प्रदेश के इंदौर तक मंगाने में 7 से 8 लाख रुपये की लागत लगी है.
इंदौर में पौधों के स्वास्थ्य का कैसे ध्यान रखा जाता है?
तापमान, सही रोशनी के अलावा यहां इन्हें संगीत भी सुनाया जाता है, जिसमें मुख्य रूप से गायत्री मंत्र तो वहीं पक्षी और कीड़े की आवाज़ सुबह शाम सुनाई जाती है. जायसवाल ने बताया कि इन पौधों में भी जान होती है. ऐसे में इनकी कोशिश रहती है कि पौधों को उनके घर जैसा माहौल मिले और उन्हें कश्मीर में होने का ही एहसास हो.
उनके द्वारा एक कमरे में 320 वर्ग फुट में वर्टिकल खेत बनाया है और उनका पूरा परिवार इस आधुनिक खेत में केसर की खेती कर रहा है. केसर का इस्तेमाल कॉस्मेटिक्स, खाना और फार्मास्युटिकल्स जैसे कई उद्योगों में होता है. जायसवाल ने कश्मीर से केसर के बल्ब (बीज) खरीदे थे. इस साल उन्हें दो-तीन किलो केसर उगने की उम्मीद है.
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