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गैंगस्टर मयंक सिंह ने उगले बड़े राज: वसूली के लिए ऐसे तय होते थे कोडवर्ड, सिग्ना-जंगी एप से कैसे बचता था पुलिस से?

रायपुर पुलिस की पूछताछ में गैंगस्टर मयंक सिंह ने वसूली के कोडवर्ड, सिग्ना-जंगी एप के इस्तेमाल और विदेश से इंटरनेट कॉल के जरिए रंगदारी मांगने के तरीकों का खुलासा किया है. कोर्ट ने उसे 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है.

गैंगस्टर मयंक सिंह ने उगले बड़े राज: वसूली के लिए ऐसे तय होते थे कोडवर्ड, सिग्ना-जंगी एप से कैसे बचता था पुलिस से?

Gangster Mayank Singh Raipur CG:  छत्तीसगढ़ की रायपुर पुलिस की चार दिन की पूछताछ में गैंगस्टर मयंक सिंह उर्फ सुनील सिंह मीणा ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. पूछताछ में सामने आया कि मयंक सिंह और उसकी गैंग कारोबारियों से वसूली के लिए खास कोडवर्ड तय करती थी और पुलिस की नजरों से बचने के लिए सिग्ना और जंगी जैसे सुरक्षित एप का इस्तेमाल किया जाता था.

रिमांड अवधि पूरी होने के बाद शनिवार को गैंगस्टर मयंक सिंह को रायपुर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है. अब मयंक सिंह 9 जनवरी 2026 को दोबारा रायपुर कोर्ट में पेश होगा. अज़रबैजान से पकड़कर भारत लाया गया मयंक सिंह इन दिनों झारखंड की रामगढ़ जेल में बंद था. रायपुर पुलिस ने उसे 24 दिसंबर 2025 को ट्रांजिट रिमांड पर रायपुर लाया था. उस पर रायपुर में PRA ग्रुप के कारोबारी पर फायरिंग कराने का आरोप है. 

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सूत्रों के मुताबिक रायपुर पुलिस की चार दिन की पूछताछ में मयंक सिंह से कई अहम इनपुट मिले हैं. उसने बताया कि अलग-अलग राज्यों के लिए अलग कोडवर्ड तय किए जाते थे. छत्तीसगढ़ के लिए गैंग ने 29-29 कोडवर्ड निर्धारित कर रखे थे. पूछताछ में अमन साव गैंग के हाईटेक रंगदारी नेटवर्क की भी परतें खुली हैं. 

Gangster Mayank Singh Raipur CG

Gangster Mayank Singh Raipur CG

आपात स्थिति में एक्टिव होते थे कोडवर्ड

पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि कोडवर्ड का इस्तेमाल केवल आपात स्थिति में किया जाता था. गैंग के सदस्य आम कॉल या सोशल मीडिया की जगह सिग्ना और जंगी जैसे एन्क्रिप्टेड एप पर संपर्क में रहते थे. इन एप्स पर बने ग्रुप में सिर्फ कोडवर्ड के जरिए ही जानकारी साझा की जाती थी.

सूत्रों के अनुसार, यदि गैंग का कोई सदस्य गिरफ्तार हो जाता या पुलिस की गतिविधि तेज होती, तो कोडवर्ड ग्रुप में डाल दिया जाता था. इसके बाद बाकी सदस्य तुरंत ग्रुप छोड़ देते थे ताकि कोई डिजिटल ट्रेल न मिले.

मयंक सिंह स्थानीय मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल नहीं करता था. वह मलेशिया, थाईलैंड और अज़रबैजान जैसे देशों से इंटरनेट कॉल के जरिए कारोबारियों को रंगदारी की धमकी देता था.

राजस्थान का रहने वाला है मयंक सिंह

उल्लेखनीय है कि गैंगस्टर मयंक सिंह मूल रूप से राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के घड़साना क्षेत्र की पुरानी मंडी इलाके का निवासी है. वह लॉरेंस बिश्नोई गैंग का करीबी माना जाता है. झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू से नजदीकी बढ़ने के बाद वह झारखंड-छत्तीसगढ़ में सक्रिय हो गया. अमन साहू के एनकाउंटर के बाद मयंक विदेश में बैठकर उसकी गैंग का संचालन कर रहा था.

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