
MCB District Hospital : छत्तीसगढ़ के एमसीबी जिले में विवादित अस्पताल निर्माण का कार्य चर्चा में आ गया है. स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के विधानसभा क्षेत्र गोदरीपारा में निर्माणाधीन जिला अस्पताल को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया. नगर निगम चिरमिरी के पूर्व महापौर डमरू रेड्डी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रशासन ने एसईसीएल की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए डेंजर जोन में अस्पताल निर्माण शुरू कर दिया है, जिससे हजारों लोगों की जान को भविष्य में खतरा हो सकता है.
रेड्डी के अनुसार, एसईसीएल ने वर्ष 2018 में शासन को पत्र लिखकर स्पष्ट किया था कि गोदरीपारा क्षेत्र भूमिगत कोयला खदानों के ऊपर स्थित है और यह क्षेत्र धंसान और आग प्रभावित क्षेत्रों के अंतर्गत आता है. इसके बावजूद लोक निर्माण विभाग ने न केवल जिला अस्पताल का निर्माण शुरू किया, बल्कि बिना किसी वैधानिक अनुमति (NOC) के कार्य भी आगे बढ़ा दिया. SECL की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि निर्माण स्थल के नीचे पूर्व में खनन कार्य हो चुका है.
जमीन धंसने की गंभीर आशंका
चौथे सीप पर डिप्लेरिंग के चलते जमीन धंसने की गंभीर आशंका है. साथ ही सीम नंबर 3 में स्वतः सुलगने की प्रक्रिया सक्रिय है, जिससे निर्माण स्थल आग की चपेट में आ सकता है. इसके अलावा कुरासिया क्षेत्र की सीमाओं में भविष्य में ओपनकास्ट खनन की योजना भी प्रस्तावित है, जिससे यह निर्माण प्रभावित हो सकता है. यह भूमि कुरासिया कोल लीज क्षेत्र एवं वन राजस्व भूमि के अंतर्गत आती है, जहां बिना स्वीकृति के निर्माण कार्य किया जा रहा है.
एसईसीएल की चेतावनियों को अनदेखा किया
रेड्डी ने आरोप लगाया कि यह कांग्रेस सरकार की दूरदर्शिता का परिणाम था, लेकिन वर्तमान सरकार ने तकनीकी तथ्यों और सुरक्षा को नजरअंदाज कर जनता की जान जोखिम में डाल दी. उन्होंने कहा कि यह पूरा प्रकरण कमीशनखोरी की राजनीति का हिस्सा है, जिसमें अधिकारियों ने जानबूझकर एसईसीएल की चेतावनियों को अनदेखा किया.
गंभीर आपत्तियां जताई गई थीं
स्थानीय नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों ने भी इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जिस क्षेत्र में जमीन के धंसने, खिसकने और आग लगने की संभावना स्पष्ट है, वहां अस्पताल जैसे महत्वपूर्ण संस्थान का निर्माण जनहित के विरुद्ध है. उन्होंने मांग की है कि जनसुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए. निर्माण कार्य को तत्काल प्रभाव से रोका जाए. उल्लेखनीय है कि इसी क्षेत्र में करोड़ों की लागत से बन रहे लाइवलीहुड कॉलेज को लेकर भी एसईसीएल ने 2018 में चेतावनी दी थी और उस समय भी निर्माण को लेकर गंभीर आपत्तियां जताई गई थीं.
अब जिला अस्पताल निर्माण के चलते यह विवाद और गहरा हो गया. इस मामले में जब एसईसीएल के अधिकारियों और जनसंपर्क अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई, तो डेढ़ महीने बीत जाने के बाद भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.
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