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वनों का विकास नहीं यहां हो रहा विनाश! मोहंदी में हजारों वृक्षों पर चली 'कुल्हाड़ी', ये सब होगा प्रभावित

Deforestation in Chhattisgarh: मोंहदी ग्राम से लगे जंगल में तेन्दू, अचार, महुआ, हर्रा, बहेरा आदि वृक्षों की कटाई की गई है. जंगल के ये फलदार वृक्ष ग्रामीणों के आजीविका के प्रमुख साधन होते हैं. जंगल मे होने वाले यह फलदार वृक्ष रोजगार के साथ औषधि निर्माण के काम आते हैं.

वनों का विकास नहीं यहां हो रहा विनाश! मोहंदी में हजारों वृक्षों पर चली 'कुल्हाड़ी', ये सब होगा प्रभावित
Deforestation in Chhattisgarh: वनों का हो रहा विनाश

Deforestation in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में "वन विकास निगम" (Van Vikas Nigam) के हैरतअंगेज कारनामों को देखकर ग्रामीण इसे "वन विनाश निगम" का तमगा दे रहे हैं. महासमुंद जिले के ग्राम मोंहदी से लगे हुए वन विकास निगम के सघन जंगल मे पिछले 02 माह से वनों की कटाई चल रही है. यहां अब तक हजारों की संख्या मे जीवित एवं हरे-भरे वृक्षों की कटाई की गई है. सबसे अधिक हैरान-परेशान करने वाली बात यह है कि वनों की कटाई का काम स्वयं "वन विकास निगम" करा रहा है. वन विकास निगम द्वारा की जा रही कटाई मे इमारती वृक्ष, जलाऊ वृक्ष सहित फलदार वृक्षों की कटाई भारी मात्रा में की गई है.

Deforestation in Chhattisgarh: पेड़ों की कटाई

Deforestation in Chhattisgarh: पेड़ों की कटाई

3 से 30 साल पुराने पेड़ों की हुई कटाई

मोंहदी के विशाल घने जंगल मे 03 साल से लेकर 30 साल उम्र तक के वृक्षों की कटाई की गई है. ग्रामीणों की सबसे बड़ी चिंता और आपत्ति इस बात पर है कि नियम विरूद्ध होने के बावजूद फलदार वृक्षों की कटाई भारी संख्या मे धड़ल्ले से की गई है. 11 साल से कम आयु के वृक्षों को नहीं काटने का नियम है, इसके बावजूद 3 साल, 5 साल एवं 7 साल की आयु वाले वृक्षों की कटाई की गई है.

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Deforestation in Chhattisgarh: कम उम्र के पेड़ों की कटाई

Deforestation in Chhattisgarh: कम उम्र के पेड़ों की कटाई

ग्रामीणों का आरोप है कि वन कटाई को लेकर वन विकास निगम के अधिकारी ना तो कोई सूचना दी, ना ही वन सुरक्षा समिति से कोई सलाह मशविरा किया गया है.
Deforestation in Chhattisgarh: जंगल का विनाश

Deforestation in Chhattisgarh: जंगल का विनाश

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रोजगार पर असर

फलदार वनों की अंधाधुंध कटाई से ग्रामीणों के रोजगार पर बेहद बुरा असर पड़ेगा. वनोपज पर आधारित रोजगार प्रभावित होगा. वन विकास निगम मनमानी तरीके से पिछले 02 माह से वनो की भारी मात्रा मे कटाई कर रहा है.
वन विकास निगम मोंहदी ग्राम से लगे जंगल मे कटाई के दौरान फलदार वृक्षों की कटाई भी नियम विरूद्ध की गई है. इस जंगल में तेन्दू, अचार, महुआ, हर्रा, बहेरा आदि वृक्षों की कटाई हुई है. जंगल के ये फलदार वृक्ष ग्रामीणों के आजीविका के प्रमुख साधन होते हैं. जंगल मे होने वाले यह फलदार वृक्ष रोजगार के साथ औषधि निर्माण के काम आते हैं.

Deforestation: जंगल की कटाई

Deforestation: जंगल की कटाई

नाराज ग्रामीणों का वन विकास निगम पर आरोप

ग्राम मोंहदी के वन विकास निगम के जंगल मे हो रही कटाई से ग्रामीण क्षुब्ध हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि वन विकास निगम यहां जंगलों मे नियम के नाम पर नियम विरूद्ध कटाई करा रहा है. ग्रामीण मानते हैं कि कटाई आरा के बजाय कुल्हाड़ी से होना चाहिए, क्योंकि आरा से काटे गए वृक्ष दोबारा बढ़ नहीं पाते हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम मे वन सुरक्षा समिति को कटाई से पहले सूचना भी नहीं दी गई, इसीलिए फलदार और छोटे वृक्षों की गलत कटाई पर रोक नहीं लगा पाए.

वन विकास निगम के आफसर ने क्या कहा?

वन विकास निगम के अधिकारी अपनी ढपली अपना राग आलाप रहे हैं. कटाई के बावजूद अधिकारी कह रहे हैं कि फलदार वृक्षों की कटाई नहीं की गई है. वन विकास निगम के रेंज आफिसर एच आर पैकरा का कहना है कि वहां पर हो रही कटाई नियम के अनुसार की जा रही है.

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