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कहीं निजी भवन में, तो कहीं मंदिर परिसर में लग रही Class, राजगढ़ में 526 स्कूल भवन जर्जर, नहीं है फंड

Government Schools: राजगढ़ जिले में करीब 526 स्कूल भवनों की हालत ऐसी है, जिसमें विद्यार्थियों की कक्षा नहीं चलाई जा सकती है. कई स्कूल की कक्षाएं मंदिर परिसर में संचालित हो रही है. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.

कहीं निजी भवन में, तो कहीं मंदिर परिसर में लग रही Class, राजगढ़ में 526 स्कूल भवन जर्जर, नहीं है फंड
राजगढ़ में सरकारी स्कूलों की हालत खस्ता

Rajgarh Government Schools: राजगढ़ के सीमावर्ती जिले राजस्थान (Rajasthan) के झालावाड़ में स्कूल भवन की छत गिरने से सात बच्चों की मौत हो गई और कई बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए थे. यहां के नौनिहाल जर्जर भवनों में पढ़ने को मजबूर थे. ठीक इसी तरह मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के राजगढ़ जिले में बच्चे जर्जर भवनों में पढ़ने को मजबूर हैं. राजगढ़ जिले के 526 स्कूल भवन जर्जर हालत में हैं. हैरानी की बात यह है कि दो साल से इन स्कूल भवनों के लिए कोई फंड जारी नहीं हो सका है. ऐसे में कहीं स्कूल निजी भवनों में चल रहे हैं, तो कहीं पर मंदिर प्रांगण में स्कूल संचालित है. उधर खस्ताहाल भवनों में बच्चे जान जोखिम में डालकर अध्ययन करने को मजबूर हैं.

सरकारी स्कूलों की हालत बेहाल

सरकारी स्कूलों की हालत बेहाल

शिक्षा के लिए जान को रखते हैं ताक पर

राजस्थान के सीमावर्ती जिले राजगढ़ के स्कूलों की हालत भी ठीक नहीं है. यहां पर कई स्कूल भवन जर्जर हैं. जिले में सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों को मिलाकर कुल 526 स्कूल भवन जर्जर हैं. इनमें 339 प्राथमिक विद्यालय भवन हैं, तो 189 माध्यमिक विद्यालय भवन हैं. इन जर्जर स्कूलों में हर दिन बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने के लिए आते हैं.

छत के अंदर का सरिया दिख रहा

जीरापुर विकास खंड के अंतर्गत आने वाले शासकीय माध्यमिक विद्यालय कुंडीखेड़ा में 2007 में बनी हुई बिल्डिंग का हालत बहुत खस्ता है. यहां की छत पूरी तरह गीर चुकी है. अंदर के सरिए भी दिख रहे हैं. पिछले दो वर्षों से बच्चों और पैरेंट्स शिकायत कर रहे हैं. पहली से 8वीं तक की क्लॉस संचालित हो रही है, जो भवन जर्जर होने के वजह से आज से तीन दिन पहले से ही बच्चों को एक ही कमरे में बैठकर पढ़ाया जा रहा है. स्कूल में 45 बच्चों को 12 / 20 के एक ही कमरे में पढ़ाया जा रहा है.

सारंगपुर ब्लॉक के हराना स्कूल भवन का जर्जर कक्ष, बदहाल कक्ष होने के कारण इसमें स्कूल ने कक्षाएं लगाना बंद कर दिया है. अब मात्र पांच कक्षों में 175 बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं. यहां दो कक्षों की और जरूरत है.

इंजीनियर ने बताई सच्चाई

नीरज व्यास, इंजीनियर, डीपीसी ने बताया कि जिले में 526 स्कूलों को मरम्मत की जरूरत है. जानकारी भेज दी गई है. गत वर्ष 453 की जानकारी भेजी थी, 90 स्कूलों के लिए राशि आई थी. कई स्कूल भवनों की छत झूल रही है, तो कई में से पानी टपक रहा है. इतना ही नहीं, कई स्कूल भवनों में ऊपर का प्लास्टर गिर रहा है. ऐसे में इनको मरम्मत की सख्त जरूरत है.

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फंड की भारी कमी

खास बात यह है कि राज्य शिक्षा केंद्र और शासन द्वारा इन जर्जर भवनों को दुरुस्त करवाने के लिए पिछले दो साल से अति आवश्यक पर्याप्त फंड जारी नहीं किया गया है. पिछले साल डीपीसी कार्यालय से 453 स्कूलों को जर्जर बताते हुए फंड की मांग की गई थी, जिनमें से मात्र 90 स्कूलों की मरम्मत के लिए राशि आई थी. इस साल, 526 स्कूलों को जर्जर भवनों के रूप में बताते हुए राशि की डिमांड केंद्र को भेजी गई है.

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