
Kargil Vijay Diwas: कारगिल की बर्फीली चोटियों पर लगभग दो महीने तक चली लड़ाई के बाद, जिसमें तोलोलिंग और टाइगर हिल जैसे अत्यधिक ऊंचाई वाले स्थान भी शामिल थे, भारतीय सेना ने विजय की घोषणा की. हर साल 26 जुलाई को भारत में कारगिल विजय दिवस उन सैनिकों के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दी थी. कैप्टन मनोज कुमार पांडे, कैप्टन विक्रम बत्रा, कैप्टन अमोल कालिया, लेफ्टिनेंट बलवान सिंह से लेकर ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव और नायक दिगेंद्र कुमार समेत कई वीर कारगिल के ऐसे 'हीरो' थे, जिन्हें देश भूल नहीं सकता है.
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— Indian Air Force (@IAF_MCC) July 26, 2025
The Indian Air Force pays heartfelt tribute to the valiant Warriors of the Kargil War. Their courage, sacrifice, and unwavering resolve continue to inspire a nation united in gratitude.#KargilVijayDiwas #26YearsOfKargil#OpVijay#OpSafedSagar… pic.twitter.com/PX4cZfBkYa
वीर सैनिकों को सलाम Tribute to Brave Soldiers
कारगिल विजय दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भारतीय वायु सेना और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले वीर सैनिकों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए नेताओं ने सैनिकों के अदम्य साहस और शौर्य को याद करते हुए देश के लिए उनके योगदान को नमन किया.
कारगिल युद्ध इतिहास Kargil War History
यह युद्ध मई से जुलाई 1999 तक चला था. 10 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित, बटालिक, कारगिल, लेह और बाल्टिस्तान के बीच अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण कारगिल युद्ध का केंद्र बिंदु था. कारगिल युद्ध के दौरान बटालिक मुख्य युद्ध क्षेत्रों में से एक था. दुश्मन से लड़ने के अलावा, सैनिकों को दुर्गम इलाकों और ऊंचाई पर भी संघर्ष करना पड़ा. भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय' के तहत पाकिस्तानी घुसपैठियों से कारगिल की रणनीतिक ऊंचाइयों को हासिल किया था. यह युद्ध भारतीय सशस्त्र बलों की राजनीतिक दृढ़ता, सैन्य कौशल और कूटनीतिक संतुलन का प्रतीक माना जाता है.
संघर्ष की शुरुआत पाकिस्तानी सैनिकों की घुसपैठ से हुई. 'ऑपरेशन बद्र' के तहत पाकिस्तान ने कारगिल क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के पार अपने सैनिकों और आतंकवादियों को गुप्त रूप से भेजा. भारतीय सेना ने मई 1999 के पहले हफ्ते में ही घुसपैठ का पता चला.
कारगिल युद्ध के हीरो Kargil War Heroes
कैप्टन सौरभ कालिया सहित 5 भारतीय गश्ती सैनिकों को पाकिस्तानी सेना ने पकड़ लिया और उन्हें बेरहमी से प्रताड़ित करके मार दिया था, जिसका खुलासा ऑटोप्सी रिपोर्ट से हुआ था. 9 मई को पाकिस्तानियों ने भारी गोलाबारी शुरू कर दी. यह भारतीय सैनिकों को घेरने के लिए कवर फायर के रूप में था, ताकि घुसपैठिए नियंत्रण रेखा के साथ भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर सकें. द्रास, मुश्कोह और काकसर सेक्टरों में घुसपैठ हुई.
शुरुआत में भारतीय सेना को हैरानी भी हुई, लेकिन दृढ़ निश्चयी भारतीय सेना ने दूसरी तरफ से कई ठिकानों और चौकियों पर कब्जा कर लिया. सैनिकों ने पहाड़ी इलाकों, अत्यधिक ऊंचाई और कठोर ठंडे मौसम जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों में बहादुरी से लड़ाई लड़ी. भीषण संघर्ष में 13 जून को तोलोलिंग की चोटी भारतीय सेना के कब्जे में आ चुकी थी. कारगिल युद्ध के दौरान यह पहली और एक महत्वपूर्ण जीत थी, जिसने युद्ध का रुख बदला. 4 जुलाई को भारतीय सेना ने 11 घंटे चली लड़ाई के बाद टाइगर हिल पर कब्जा कर लिया. अगले दिन, भारत ने द्रास पर कब्जा कर लिया. ये बड़ी सफलताएं थीं.
इस लड़ाई में एक और सफलता 20 जून को मिली, जब लेफ्टिनेंट कर्नल योगेश कुमार जोशी के नेतृत्व में भारतीय सेना इस पॉइंट पर कब्जा करने में सफल रही. अगली बार में भारतीय फौज ने 'थ्री पिंपल्स' एरिया पर कब्जा किया. 'थ्री पिंपल्स' एरिया में नॉल, ब्लैक रॉक हिल और थ्री पिंपल्स शामिल थे. 2 दिन तक चला युद्ध चला, जिसमें 29 जून को सेना ने कब्जा किया. जुलाई महीने की शुरुआत में एक निर्णायक स्थिति की ओर बढ़ती लड़ाई में 'टाइगर हिल' भारत के कब्जे में आ चुकी थी. 4 जुलाई को भारतीय फौज ने यहां झंडा फहराया.
पाकिस्तान घुटने टेकने लगा था. हालांकि भारतीय फौज रुकने वाली नहीं थी. एक छोटे से संघर्ष के बाद सेना ने प्वाइंट 4700 पर कब्जा कर लिया. इससे पाकिस्तान के हौसले पूरी तरह ध्वस्त हो चुके थे. मजबूरन 25 जुलाई को पाकिस्तान को पीछे हटना पड़ा. 26 जुलाई को आधिकारिक तौर पर कारगिल में इस युद्ध की समाप्ति हुई, जिसमें भारत विजयी रहा. हालांकि, भारत ने इस जंग में अपने 527 वीर सबूतों को गंवाया था, जबकि 1363 जवान आहत हुए थे. उन्हीं की याद में 26 जुलाई को भारत कारगिल की जीत को विजय दिवस के रूप में मनाता है.
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