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This Article is From Nov 22, 2024

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी पर मंडराया खतरा! क्यों राइस मिलरों ने कस्टम मिलिंग न करने की दी चेतावनी?

Surguja News: राइस मिलरों का दावा है कि उनकी आर्थिक स्थिति लगातार बकाया राशि नहीं मिलने से खराब हो रही है. मजदूरों को देने के लिए और ट्रांसपोर्ट तक के लिए उनके पास पैसा नहीं बचा. वहीं राइस मिलरों का का 125 करोड़ से अधिक का भुगतान बकाया है.

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी पर मंडराया खतरा! क्यों राइस मिलरों ने कस्टम मिलिंग न करने की दी चेतावनी?

Paddy Procurement in Chhattisgarh: सरगुजा राइस मिल एसोसिएशन ने शासन से बकाया राशि भुगतान करने की मांग को लेकर कलेक्टर सरगुजा को ज्ञापन सौंपा है. जिसमें उन्होंने सरगुजा के राइस मिलरों के बकाया राशि 125 करोड़ रुपये भुगतान करने की मांग की है. साथ उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर समय से उनका भुगतान शासन नहीं करता है तो वो इस वर्ष ना तो समिति से धान का उठाव करेंगे ना ही कस्टम मिलिंग करेंगे.

राइस मिलरों ने दी चेतावनी

वहीं सरगुजा राईस मिल एसोसिएशन की इस चेतावनी को लेकर खाद्य व विपणन विभाग परेशान हैं. दरअसल, छत्तीसगढ़ में जहां एक ओर धान खरीदी चल रही है तो वहीं दूसरी ओर सरगुजा राइस मिलर प्रोत्साहन राशि का बकाया भुगतान हो जाने के बाद ही मिलिंग करने की बात पर अड़े हैं. प्रदेश के साथ सरगुजा जिले के राइस मिलर भी बकाया न मिलने से आर्थिक रूप से परेशान है.

राइस मिलरों का करोड़ों का बकाया

राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने बताया कि जिले के राइस मिलरों का करोड़ों रुपये बकाया है, जिसे राइस मिलर भुगतान की मांग कर रहे हैं. राइस मिलरों ने पूरा चावल जमा कर चुके हैं,  लेकिन राइस मिलरों को बकाया राशि नहीं दी गई है. साथ ही नई कस्टम मिलिंग को उन्होंने मिलरों के लिए राइस मिल एसोसिएशन ने घातक बताता है.

कस्टम मिलिंग करने से राइस मिलर्स ने किया इनकार

सरकार पुराना भुगतान नहीं करती है तो मिलर कस्टम मिलिंग नहीं करने की बात कह रहे हैं. राइस मिलर्स ने अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है और बकाया भुगतान के साथ नई नीति को लेकर भी कई सवाल खड़े किए है. वहीं दूसरी ओर राइस मिलरो की चेतावनी को लेकर खाद्य विभाग व विपणन विभाग के अधिकारियों इसे गंभीरता से लेते हुए कहा है कि किसी भी चुनौती को लेकर प्रशासन अलर्ट है. जिले में दो स्थानों पर धान संग्रहण केन्द्र बनाया गया है, ताकि उठाव नहीं होने पर धान को सुरक्षित स्थानों पर जमा किया जा सके.

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