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शिक्षकों की हड़ताल से छत्तीसगढ़ के स्कूल बंद ! सरकार के सामने रखी ये मांगें

Chhattisgarh News : धरना प्रदर्शन में शिक्षक नेताओं ने कहा कि सरकार ने चुनाव के समय जो 'मोदी गारंटी' दी थी... उसे अब पूरा करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जातीं तो आंदोलन और भी बड़ा किया जाएगा.

शिक्षकों की हड़ताल से छत्तीसगढ़ के स्कूल बंद ! सरकार के सामने रखी ये मांगें
शिक्षकों की हड़ताल से छत्तीसगढ़ के स्कूल बंद ! सरकार के सामने रखी ये मांगें

Teacher Strike in Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में आज 24 अक्टूबर को शिक्षकों ने राज्यभर में हड़ताल की. इस हड़ताल से कई जिलों के स्कूल बंद रहे. सरगुजा, बिलासपुर, बालोद और बलौदा बाजार समेत कई जिलों के शिक्षक इस हड़ताल में शामिल हुए. शिक्षकों का कहना है कि चुनाव के समय किए गए वादों को नहीं पूरा गया. ऐसे में तमाम टीचरों की मांग रही कि 'मोदी की गारंटी' वाले चुनावी वादे अब लागू किया जाना चाहिए. इन वादों में सैलरी और पुराने पेंशन नियमों को बहाली को लेकर आवाज़ उठाई गई. धरने के दौरान शिक्षकों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. साथ ही मांगे पूरी न होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी. शिक्षकों ने यह भी कहा कि उनकी पुरानी सेवा अवधि को नकार दिया गया है जिससे उन्हें पेंशन और अन्य लाभ नहीं मिल रहा. वे चाहते हैं कि 1998 से उनकी सेवा को गिना जाए और 20 सालों की सेवा पर पूरी पेंशन दी जाए अंबिकापुर के मनोज वर्मा ने कहा कि संघर्ष हमारे खून में है. अभी तक हमारी कोई भी मांग बिना आंदोलन के पूरी नहीं हुई है. हम सड़क पर उठे जिसके बाद ही सरकार को मजबूर होकर हमारी बात सुननी पड़ी.

मांगें क्या हैं?

  • पुरानी पेंशन की बहाली की जाए.
  • सैलरी से जुड़ी खामियों का समाधान किया जाए.
  • शिक्षकों को प्रमोशन आदि का लाभ दिया जाए.
  • लंबित महंगाई भत्ते का भुगतान किया जाए.
  • पुरानी सेवा अवधि की गिनती कर उसे मान्यता देना.

राज्यभर में रहा हड़ताल का असर

इस हड़ताल में सरगुजा, बिलासपुर, बालोद और बलौदा बाजार समेत कई जिलों के शिक्षक शामिल हुए. इस कारण कई स्कूलों में तालाबंदी हो गई. शिक्षक संघों ने जिला मुख्यालयों पर धरना दिया. उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा. धरना प्रदर्शन में शिक्षक नेताओं ने कहा कि सरकार ने चुनाव के समय जो 'मोदी गारंटी' दी थी... उसे अब पूरा करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जातीं तो आंदोलन और भी बड़ा किया जाएगा.

पेंशन को लेकर क्या है मुद्दा ?

शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने उनकी पुरानी सेवा अवधि को नकार दिया है. इससे उन्हें पेंशन और अन्य लाभों में नुकसान हो रहा है. उनका कहना है कि 1998 से उनकी सेवा को गिना जाना चाहिए. साथ ही, 33 वर्षों के बजाय 20 वर्षों की सेवा पर पूरी पेंशन का प्रावधान लागू किया जाए.

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बलौदा बाजार में हुआ सुआ नृत्य

बलौदा बाजार में शिक्षकों ने दशहरा मैदान में धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान महिला शिक्षकों ने सुआ नृत्य किया और सरकार के खिलाफ गीत गाए. उन्होंने 'मोदी गारंटी' की याद दिलाई और कहा कि पुरानी सरकार की तरह यह सरकार भी वादे न निभाने पर गिर सकती है. सरकार ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है. वहीं, शिक्षकों का कहना है कि अगर जल्दी समाधान नहीं हुआ वे उग्रा आंदोलन करेंगे.

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