
छत्तीसगढ़ का जिला सरगुजा, राज्य के सबसे बड़े जिले के रूप में जाना जाता है. सरगुजा एक आदिवासी बहुत जिला है और ये अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. छत्तीसगढ़ का शिमला कहा जाने वाला मैनपाट भी इसी जिले में है. प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही इस जिले का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है. माना जाता है कि वनवास काल में श्रीराम, लक्ष्मण और सीता के साथ यहां स्थित रामगढ़ की पहाड़ी पर ठहरे थे. यहीं सीताबेंगरा गुफा भी है, जिसे माता सीता का कमरा कहा जाता है. यहां की लगभग 50 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है.
छत्तीसगढ़ का शिमला कहा जाता है मैनपाट
मैनपाट सरगुजा जिले में बसा एक बेहद खूबसूरत का हिल स्टेशन है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. विंध्य पर्वतमाला पर है स्थित ये हिल स्टेशन समुद्र सतह से 3781 फीट की ऊंचाई पर है. कम तापमान और सर्दियों में कभी-कभी होने वाली बर्फबारी होने की वजह से ही इसे छत्तीसगढ़ का शिमला भी कहते हैं. सरभंजा जलप्रपात, टाइगर प्वाइंट और मछली प्वाइंट यहां के खास आकर्षण हैं. टाइगर प्वाइंट पर 60 मीटर की ऊंचाई से झरना गिरता है. मैनपाट में एक जगह है, जिसे उल्टा पानी कहते हैं, यहां पानी का बहाव ऊंचाई की तरफ है. यहां एक बेहद चर्चित बौद्ध मंदिर भी है, मंदिर और बौद्ध शरणार्थियों की मौजूदगी की वजह से इसे छत्तीसगढ़ का तिब्बत भी कहते हैं.
श्रीराम के वनवास काल से जुड़ा है सीता बेंगरा
सरगुजा के रामगढ़ की पहाड़ी पर सीताबेंगरा गुफा है, जो देश भर में मशहूर है. माना जाता है कि इस गुफा में श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता अपने वनवास काल के दौरान ठहरे थे. स्थानीय भाषा में बेंगरा का अर्थ है कमरा, सीता बेंगरा यानी माता सीता का निजी कमरा.
आदिवासियों का गढ़
सरगुजा आदिवासी समुदाय के लिए भी जाना जाता है. यहां की आदिम जनजातियों के बीच पंडो और कोरवा जनजाति बेहद खास हैं. माना जाता है कि पंडो जनजाति महाभारत के ‘पांडव' कबीले के सदस्य के रूप में खुद की पहचान मानते हैं. वहीं कोरवा जनजातियों खुद को महाभारत के ‘कौरव' वंश का मानते हैं.
एक नजर में जिला सरगुजा
जिला एक नज़र में
- क्षेत्र: 5732 स्क. किमी
- जनसंख्या- 2,359,8 86 (2011 की जनगणना के मुताबिक)
- साक्षरता दर: 60.01%
- विधानसभा क्षेत्र- 3
- विकासखण्ड: 7
- ग्राम पंचायत : 439
- नगर निगम: 1
- नगर पंचायत 2