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मिलाप दास बंजारे: पंथी नृत्य को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया, अब बोले-'CM साहब, नकली पैर लगवा दो'

Chhattisgarh Panthi Dancer Milap Das Banjare: छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध Panthi Dance कलाकार मिलाप दास बंजारे ने Chief Minister Vishnu Deo Sai से मदद की अपील की है. Madhumeh (Diabetes) की वजह से उनका पैर काटना पड़ा और अब वे artificial leg लगवाने में असमर्थ हैं. उन्होंने Panthi Nritya को international level तक पहुंचाया था और कई सम्मान प्राप्त किए हैं.

मिलाप दास बंजारे: पंथी नृत्य को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया, अब बोले-'CM साहब, नकली पैर लगवा दो'

Chhattisgarh Panthi Dancer Milap Das Banjare:  “मुख्यमंत्री साहब! मैं 66 वर्ष का हो गया हूं. अब काम करने में असमर्थ हूं. मेरे कटे हुए पैर में नकली पैर लगवा दीजिए. मैं सदैव आपका आभारी रहूँगा.” यह पीड़ा उस मिलाप दास बंजारे की है, जिन्होंने छत्तीसगढ़ के पंथी नृत्य (Panthi Dance) को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया. 

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अब मिलाप दास बंजारे उम्र के उस पड़ाव पर पहुंच चुके हैं, जहां वे बेबस नजर आ रहे हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वे खुद के दम पर कृत्रिम पैर नहीं लगवा पा रहे हैं. कभी पंथी नृत्य में थिरकने वाले यह कलाकार आज चिंतित और असहाय हैं. लेकिन उन्हें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से पूरी उम्मीद है. इसी उम्मीद में उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मदद की गुहार लगाई है. 

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मिलाप दास बंजारे कौन हैं?

मिलाप दास बंजारे का जन्म छत्तीसगढ़ के दुर्ग ज़िले के जरवाय गांव में हुआ. आठ साल की उम्र में ही उनके पैर पंथी नृत्य की ताल पर थिरकने लगे थे. घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, इसलिए वे अपने माता-पिता के साथ खेतों में काम करते थे. लेकिन कला के प्रति उनका जुनून कभी नहीं टूटा. 

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मिलाप दास बंजारे ने पंथी नृत्य अपने गुरु दुकालू राम डहरिया से सीखा और इसे ही अपने जीवन का धर्म बना लिया. साल 1987 में उन्होंने रूस के 9 शहरों में लगातार तीन महीनों तक पंथी नृत्य की प्रस्तुति दी, जिससे भारत और छत्तीसगढ़ का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन हुआ.

उन्हें इशुरी, कला रत्न, धरती पुत्र और देवदास बंजारे जैसे कई सम्मान प्राप्त हुए. अब तक वे 250 से अधिक मंचों पर प्रस्तुति दे चुके हैं और सैकड़ों पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं. हालांकि, मधुमेह (Diabetes) की बीमारी के कारण उनके पैर में हुआ एक छोटा-सा घाव धीरे-धीरे नासूर बन गया, जिसके चलते डॉक्टरों को उनका एक पैर काटना पड़ा. अब वे आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और कृत्रिम पैर लगवाने के लिए उनके पास धन नहीं है. 

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पंथी नृत्य क्या है?

पंथी नृत्य छत्तीसगढ़ के सतनाम पंथ से जुड़ा एक आध्यात्मिक और धार्मिक लोकनृत्य है. इसकी शुरुआत 19वीं सदी में गुरु घासीदास जी के उपदेशों से हुई थी. यह नृत्य सामूहिक आराधना का प्रतीक है, जो भक्ति, साधना और परमानंद की अनुभूति कराता है.

यह नृत्य पुरुषों द्वारा किया जाता है और जैतखाम या गुरुगद्दी गुड़ी के सामने मांदर, झांझ, झुमका और घुंघरू की ताल पर प्रस्तुत होता है. नर्तक नृत्य करते-करते भाव समाधि की अवस्था तक पहुंच जाते हैं. आज पंथी नृत्य केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं, बल्कि लोक एवं सांस्कृतिक मंचों पर छत्तीसगढ़ की पहचान बन चुका है.

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