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यहां की महिलाएं क्यों पकड़ती हैं पुरुष के छोड़े हुए मुर्गे और खरगोश ? अजीब है ये परंपरा

Holi 2025 : गांव के सरपंच रामप्रसाद कहते हैं कि ये परंपरा हमारे पूर्वजों से मिली है. इसे हम हर साल खुशी से मनाते हैं. गांव वालों का मानना है कि अगर यह आयोजन नहीं किया गया तो गांव में सूखा पड़ सकता है.

यहां की महिलाएं क्यों पकड़ती हैं पुरुष के छोड़े हुए मुर्गे और खरगोश ? अजीब है ये परंपरा
यहां की महिलाएं क्यों पकड़ती है पुरुष के छोड़े हुए मुर्गे और खरगोश ? अजीब है ये परंपरा

Chhattisgarh in Hindi : छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ जिले के एक छोटे से गांव बैरागी में होली के बाद एक बेहद दिलचस्प परंपरा निभाई जाती है. ये परंपरा सालों से चली आ रही है और आज भी गांव वाले इसे बड़े जोश और श्रद्धा के साथ निभाते हैं. होली के तीसरे दिन गांव के सभी लोग एक जगह जमा होते हैं. इस दिन गांव में खास खेलों का आयोजन किया जाता है. गांव के लोग दो हिस्सों में बंट जाते हैं, एक तरफ महिलाएं होती हैं और दूसरी तरफ पुरुष... एक तालाब जैसा ढांचा बनाया जाता है. उसमें एक ओर मछली डाली जाती है और दूसरी ओर केकड़ा. महिलाएं मछली पकड़ती हैं और पुरुष केकड़ा. जो भी जीतता है, उसे इनाम मिलता है.

खरगोश और मुर्गा पकड़ने का खेल सबसे खास

इस आयोजन में सबसे मजेदार हिस्सा होता है – खरगोश और मुर्गा पकड़ना. पुरुष एक खुली जगह में खरगोश और मुर्गा छोड़ते हैं. वहां महिलाएं उन्हें पकड़ने की कोशिश करती हैं. अगर महिलाएं इन्हें पकड़ लेती हैं, तो पुरुष उन्हें खाना बनाकर खिलाते हैं. लेकिन अगर महिलाएं हार जाती हैं, तो पुरुष उन्हें मजाक में हल्का दंड देते हैं.

ये सब खेल और परंपरा का हिस्सा होता है. इसके बाद पकड़े गए जानवरों को गांव वाले मिलकर पका कर खा लेते हैं.

परंपरा से जुड़ी क्या है मान्यता ?

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गांव के सरपंच रामप्रसाद कहते हैं कि ये परंपरा हमारे पूर्वजों से मिली है. इसे हम हर साल खुशी से मनाते हैं. गांव वालों का मानना है कि अगर यह आयोजन नहीं किया गया तो गांव में सूखा पड़ सकता है. इसलिए इसे पूरी श्रद्धा के साथ निभाया जाता है. एक महिला ने बताया कि हमारी दादी-नानी भी ये खेल खेलती थीं. हम भी इसे पूरे मन से करते हैं ताकि गांव में सुख-शांति बनी रहे.

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