
Jashpur News in Hindi: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के जशपुर जिले के मनोरा विकासखंड करदना गांव में नाशपाती और सेब का उत्पादन (Pear and Apple Farming) से किसानों की जिंदगी बदल रही है. नाशपाती और सेब की तुड़ाई कर मंडियों में भेजा जा रहा है. इस नाशपाती और सेब के उत्पादन से किसानों को अधिक आमदनी हो रही है. शुरुआती दौर में अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद से किसान उत्साहित नजर आ रहे हैं. नाशपाती का उत्पादन बगीचा ब्लॉक में 2500 और मनोरा ब्लॉक में 1200 एकड़ भू-भाग पर खेती की गई है.

जशपुर में सेब की हो रही खेती
2010 से की थी बगीचा बनाने की शुरुआत - किसान
इलाके के किसान रजनु चिक ने बताया की नाबार्ड बाड़ी विकास कार्यक्रम के तहत नाशपाती के बागान तैयार करने की शुरुआत 2010 में हुई थी. रीड्स संस्था द्वारा गांव-गांव जाकर किसानों को तैयार किया गया और उनकी जमीन पर नाशपाती के पौधे लगवाए गए थे. रीड्स वर्करों ने नियमित देखभाल कर 3700 से अधिक बागान तैयार कर दिए हैं. नाशपाती के पौधों से फल तीसरे से चौथे साल मिलने ही शुरू हो गए. लेकिन, अब पेड़ बड़े हो चुके हैं और भरपूर उत्पादन हो रहा है. किसान बताते हैं कि नाशपाती के बागान किसानों की ऐसी जमीन पर तैयार किए गए हैं, जिस जमीन को बंजर समझकर किसानों ने खाली छोड़ दिया था. नाशपाती का बागान बन जाने के बाद इन्हें हर साल अतिरिक्त लाभ हो रहा है.
किसानों का रुझान बदला
किसानों ने बताया कि कभी यहां के किसान धान के अलावा किसी और फसल की खेती के बारे में सोचते भी नहीं थे. अब किसानों की सोच बदली है. उनका रुझान बागवानी फसलों की ओर बढ़ रहा है. छत्तीसगढ़ के तुलनात्मक ठंडे जिले जशपुर में सेब उगाया जा रहा है. इस नए प्रयोग में राज्य सरकार भी किसानों को भरपूर सहयोग कर रही है. इसी का परिणाम है कि 100 किसानों ने प्रति एकड़ के हिसाब से 30 हरमन-99 और अन्ना किस्म सेब के तीन हजार पौधे लगाए हैं.

जशपुर में किसान कर रहे नासपाती और सेब की खेती
खुशनुमा मौसम होने के कारण तरह-तरह की खेती के लिए जशपुर की पहचान बन चुकी है. इस साल नाबार्ड जनजाति विकास निधि (टीडीएफ) की मदद से नाबार्ड बाड़ी विकास कार्यक्रम अंतर्गत जशपुर जिले के मनोरा अंतर्गत प्रथम चरण में मनोरा विकासखंड के तीन गांव के 100 किसानों की सेब के तीन हजार पौधे लगाए गए हैं. 50 नाशपाती कश्मीरी नख का माह-फरवरी 2023 में पौधारोपण किया जा चुका है. अगले साल भी द्वितीय चरण के अंतर्गत 100 किसानों की बंजर जमीन में सेब और नाशपाती का पौधारोपण किया जाएगा.
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कैसे संभव हुई सेब की खेती
सेब अन्ना हरमन- 99 वेरायटी का सेब जशपुर की मिट्टी में भी उगाया जा सकता है. चाहे वह जमीन पथरीली, दोमट या फिर लाल ही क्यों न हो. पौधों का विकास भी अच्छी तरह से हो रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि जिले में पैदा होने वाले सेब उसी टेस्ट, कलर और साइज का होगा, जैसा हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में होता है. सेब की खेती की लागत इकाई प्रति हेक्टेयर 2 लाख 46 हजार 250 रुपये हैं. इसकी खेती को करने के इच्छुक किसानों को कृषि विज्ञान केंद्रों पर प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. नाबार्ड और उद्यानिकी विभाग के द्वारा किसानों को मुफ्त में पौधे दिए जाते हैं. इसके अलावा, खाद और सिंचाई के उपकरणों में पर्याप्त सब्सिडी भी दी जाती है.
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