
Villagers Built Road: मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में गांववालों की सरकार से विनती के बाद जब सड़क निर्माण का कार्य नहीं हुआ, तो ग्रामीण खुद सड़क का निर्माण करने में जुट गए. यह कहानी है विदिशा के आख़िरी छोर पर बसे मोतीपुर गांव की, जहां सड़क के लिए सालों की गुहार जब अनसुनी रह गई, तो गांववालों ने खुद हाथ में फावड़ा उठाकर गांव की सड़क बना डाली.
कई बार गांव में सड़क निर्माण की मांग की गई, लेकिन मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया
गौरतलब है, मोतीपुर गांव के लोग सड़क निर्माण नहीं होने से काफी परेशान थे. कोई बीमार हो जाए तो निकलना मुश्किल हो जाता था. सड़क नहीं होने से गांव तक गाड़ी आ नहीं सकती थी. गांव वालों ने कई बार सरकार गांव में सड़क निर्माण की मांग की, लेकिन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया.
बारिश में बढ़ जाती है परेशानी, बच्चे स्कूल नहीं जा पाते
पीड़ित एक ग्रामीण ने बताया कि हर बार बारिश में कीचड़ में हो जाता हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला या कोई सुनवाई करने वाला नहीं है. कच्ची सड़क पर बारिश के चलते कीचड़ होने से बच्चे स्कूल नहीं जा पाते. इसलिए उन्होंने अपनी तकदीर खुद लिखने का फैसला किया.
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न ठेका मिला, न बजट! गांववालों ने अपनी मेहनत से बना डाली सड़क
रिपोर्ट के मुताबिक मोतीपुर के ग्रामीणों ने गांव में सड़क निर्माण के लिए न ठेका मिला, न बजट, गांववालों ने खुद अपने जमा किए पैसों से अपनी सड़क बनाई, जिसमें मिट्टी, छोटे-छोटे पत्थर, और ढेर सारा हौसला के मिश्रण से सड़क तैयार किया गया है. गांववालों के जज्बे को अब हर कोई सलाम कर रहा है.
गांव को ऐसे करना पड़ा जद्दोजहद
उल्लेखनीय है ये कहानी सिर्फ मोतीपुर की नहीं है, ये उस भारत की तस्वीर है जो सिस्टम की उम्मीद छोड़कर अब खुद रास्ता बना रहा है. सवाल सिर्फ एक है कि क्या ये विकास का भारत है या फिर खुद से जूझता भारत है, जहां आजादी के 75 वर्ष बाद एक अदद सड़क के लिए जद्दोजहद करना पड़ता है.
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