
Chhattisgarh Dog Bite Cases: छत्तीसगढ़ में कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है. राजधानी रायपुर में ही तीन साल के भीतर कुत्तों के काटने के इतने मामले सामने आ गए हैं कि आंकड़े देखकर कोई भी हैरान हो सकता है. खुद छत्तीसगढ़ सरकार ने विधानसभा में जानकारी दी है कि रायपुर जिले में पिछले तीन सालों में कुत्तों के काटने के 51,730 घटनाएं हुई हैं.
भाजपा विधायक सुनील सोनी के एक अतारांकित प्रश्न के लिखित उत्तर में मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि रायपुर नगर निगम की सीमा में कुत्तों के लिए आश्रय गृह का निर्माण किया जा रहा है.
प्रश्न में सोनी ने रायपुर जिले (जिसमें राज्य की राजधानी रायपुर शहर भी शामिल है) में सड़कों पर आवारा मवेशियों के रखरखाव के लिए किए जा रहे उपायों के बारे में जानना चाहा. उन्होंने जिले में पिछले तीन सालों में कुत्तों के काटने के मामलों के बारे में भी जानना चाहा और पूछा कि ऐसी घटनाओं के लिए कौन जिम्मेदार है.
क्या बोले सीएम साय?
सीएम साय ने अपने जवाब में कहा कि तीन साल में कुत्तों द्वारा इंसानों को काटने के 51,730 मामले सामने आए- 2022-2023 में 13,042 मामले, 2023-2024 में 24,928 मामले और 2024-2025 (जनवरी तक) में 13,760 मामले. इसी तरह, तीन साल में कुत्तों द्वारा जानवरों को काटने के 2,803 मामले दर्ज किए गए - 2022-2023 में 879 मामले, 2023-2024 में 986 मामले और 2024-2025 (जनवरी तक) में 938 मामले.
जिम्मेदार कौन?
सीएम ने कहा कि चूंकि स्ट्रीट डॉग सड़कों पर रहते हैं, इसलिए उनके काटने की जिम्मेदारी निर्धारित करना संभव नहीं है. जवाब में आगे कहा गया है कि रायपुर नगर निगम में डॉग शेल्टर का निर्माण किया जा रहा है. आवारा कुत्तों की संख्या कम करने और कुत्तों के काटने की घटनाओं से निपटने के लिए स्थानीय प्राधिकारी - रायपुर नगर निगम - प्रतिदिन (पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम के तहत) गली के कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण (एंटी-रेबीज) कर रहा है.
‘पीड़ितों का मुफ्त इलाज...'
साथ ही, स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त उपचार सुविधाएं उपलब्ध हैं. पीड़ितों का मुफ्त इलाज किया जाता है. रायपुर जिले की सड़कों पर आवारा घूमने वाले मवेशियों को काऊ कैचर द्वारा पकड़कर गौशालाओं, कांजी हाउस और गौशालाओं में बनाए गए अतिरिक्त शेड में रखा जाता है. गौशालाओं में चारे और पानी की व्यवस्था की जाती है और समय-समय पर पशु चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य जांच की जाती है. जिला प्रशासन और राज्य सरकार समय-समय पर सड़कों पर घूमने वाले गायों और बैलों को रखने की व्यवस्था की समीक्षा करती है, जो यातायात को बाधित करते हैं और दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. इन आवारा जानवरों को शहरी निकायों में काऊ कैचर द्वारा पकड़कर गौठानों (गौशालाओं), कांजी हाउस और गौशालाओं (गौशालाओं) में बनाए गए अतिरिक्त शेड में रखा जाता है. इसके अलावा, इन आवारा पशुओं पर रेडियम पट्टी बांधकर दुर्घटनाओं को रोकने का भी प्रयास किया जाता है.