विज्ञापन

व्हाट्सऐप, कोडवर्ड और सत्ता की चेन, छत्तीसगढ़ के कोयला-शराब घोटाले में खुलीं सिंडिकेट की परतें, बिट्टू यानी चैतन्य बघेल

Chhattisgarh Coal Liquor Scam: छत्तीसगढ़ के कोयला और शराब घोटालों में व्हाट्सऐप चैट और कोडवर्ड ने बड़े सिंडिकेट का खुलासा किया है. चार्जशीट के अनुसार अवैध वसूली, फाइल मूवमेंट और लेनदेन को कोड भाषा में अंजाम दिया गया. जांच में मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच, आईएएस व आईपीएस अधिकारियों की भूमिका, करीब 540 करोड़ की वसूली के ठोस सबूत सामने आए हैं. 

व्हाट्सऐप, कोडवर्ड और सत्ता की चेन, छत्तीसगढ़ के कोयला-शराब घोटाले में खुलीं सिंडिकेट की परतें, बिट्टू यानी चैतन्य बघेल
Chhattisgarh Coal and Liquor Scam: 1500 पन्नों की चार्जशीट में वॉट्सऐप चैट, ग्रुप एक्टिविटी और तीन IPS अफसरों के नाम.

WhatsApp Chats Expose Chhattisgarh Coal and Liquor Scam: छत्तीसगढ़ में कोयला और शराब दोनों ही घोटालों में व्हाट्सऐप और कोडवर्ड ने कई किरदारों की परतें खोल दी हैं. शराब घोटाले में बिग बॉस ग्रुप, जिसमें शामिल कोड 'बिट्टू' यानी चैतन्य बघेल, कैश के लिए 'सामान' जैसे कोड थे. वहीं, कोयला घोटाले में शामिल सिंडिकेट ने पैसों का हिसाब किताब रखने के लिए वॉट्सऐप पर पाल, दुर्ग, वीकली, टावर और जुगनू नाम से ग्रुप बनाए गए थे. बातचीत में कोडवर्ड का इस्तेमाल होता था. ‘गिरा' या ‘इन' का मतलब होता था कि पैसा आ चुका है. 

Latest and Breaking News on NDTV

मुख्यमंत्री कार्यालय तक बताई जा रही पहुंच

1500 पन्नों की चार्जशीट में वॉट्सऐप चैट, ग्रुप एक्टिविटी और तीन IPS अफसरों के नाम भी शामिल हैं, जो सूर्यकांत तिवारी और सौम्या चौरसिया के संपर्क में थे. सौम्या चौरसिया प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव थीं. व्हाट्सऐप चैट, कोडवर्ड, सरकारी फाइलों की आवाजाही तत्कालीन मुख्यमंत्री कार्यालय तक बताई जा रही पहुंच ने इस पूरे मामले को और गंभीर बना दिया है. जांच एजेंसियों की चार्जशीट और एफआईआर में दर्ज तथ्यों के अनुसार यह पूरा घोटाला एक संगठित सिंडिकेट की तरह संचालित किया जा रहा था, जिसमें हर व्यक्ति की भूमिका पहले से तय थी. 

व्हाट्सऐप ग्रुप में कोड भाषा का इस्तेमाल

घोटाले की जांच में सामने आया है कि अवैध कोयला लेवी की वसूली और उसका हिसाब किताब रखने के लिए कई व्हाट्सऐप ग्रुप बनाए गए थे. इन ग्रुप्स में सीधे पैसों का जिक्र नहीं होता था, बल्कि कोड भाषा का इस्तेमाल किया जाता था. दुर्ग और अन्य ग्रुप्स की चैट्स में रेत और मुरुम के ट्रिप, एडवांस और ओके जैसे शब्दों के जरिए लेनदेन की पुष्टि की जाती थी. जांच एजेंसियों का दावा है कि गिरा या इन जैसे शब्दों का मतलब होता था कि पैसा मिल चुका है.
Latest and Breaking News on NDTV

जय के हाथ में रहती थीं मुख्यमंत्री निवास से जुड़ी महत्वपूर्ण फाइलों

चार्जशीट में सबसे अहम नाम आरोपी जयदत्त कोसले उर्फ जय का सामने आया है. एजेंसियों के मुताबिक जय की भूमिका किसी सामान्य कर्मचारी की नहीं थी. डिजिटल साक्ष्यों और गवाहों के बयानों के आधार पर दावा किया गया है कि जय मुख्यमंत्री कार्यालय और मुख्यमंत्री निवास से जुड़ी महत्वपूर्ण फाइलों की आवाजाही का काम करता था. फाइलों का सुरक्षित परिवहन और मुख्यमंत्री से हस्ताक्षर करवाने जैसे अत्यंत संवेदनशील कार्य नियमित रूप से जय के माध्यम से कराए जाते थे.

जय का था दबदबा, सौम्या के निर्देश पर करता था काम 

जांच एजेंसियों के अनुसार व्हाट्सऐप चैट में यह बात सामने आई है कि फाइलों को जांच के बाद तुरंत वापस मंगवाने और जय को सीधे मुख्यमंत्री के पास ले जाकर हस्ताक्षर करवाने के निर्देश दिए जाते थे. एजेंसियों का कहना है कि इससे जय की पहुंच, भरोसेमंद स्थिति और भूमिका स्पष्ट होती है. ईओडब्ल्यू और एसीबी का दावा है कि जय को सीजी शून्य दो नंबर प्लेट की दो सरकारी गाड़ियां दी गई थीं. इन गाड़ियों का इस्तेमाल फाइल मूवमेंट और कथित तौर पर अवैध वसूली से जुड़े कामों में किया जाता था. जय तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया के निर्देशों पर काम करता था, ऐसा जांच में सामने आया है. 
Latest and Breaking News on NDTV

कारोबारियों से दोहरी वसूली

एफआईआर और चार्जशीट के अनुसार जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच कोयला लेवी सिंडिकेट ने लगभग 540 करोड़ रुपये की अवैध वसूली की. जांच में यह भी सामने आया है कि कोयला वॉशरी संचालकों से 100 रुपये टन और परिवहन के नाम पर 25 रुपये प्रति टन अलग से वसूले जाते थे, यानी कारोबारियों से दोहरी वसूली की जा रही थी. 

253,02,26,525 की अवैध वसूली 

चार्जशीट में यह भी दावा किया गया है कि करीब ₹253,02,26,525 (दो सौ तिरेपन करोड़, दो लाख, छब्बीस हजार, पांच सौ पच्चीस रुपये) की अवैध वसूली के ठोस साक्ष्य जांच एजेंसियों के पास हैं. एजेंसियों के मुताबिक इस रकम से करोड़ों रुपये की अचल संपत्तियां खरीदी गईं और कुछ मामलों में फर्जी लोन और कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स के जरिए काले धन को सफेद करने की कोशिश की गई.

तिवारी के निर्देश पर इकट्ठा की जाती थी अवैध लेवी की रकम 

जांच में यह भी सामने आया है कि मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी के निर्देश पर अवैध लेवी की रकम इकट्ठा की जाती थी. दलालों और ट्रांसपोर्टरों के जरिए यह पैसा अलग-अलग जगहों तक पहुंचाया जाता था और फिर हवाला जैसे तरीकों से इसे खपाने की कोशिश की जाती थी. खनिज विभाग के अधिकारियों और अन्य प्रभावशाली लोगों की भूमिका की भी जांच एजेंसियों ने चार्जशीट में चर्चा की है.

IAS Meenakshi Singh: सवर्णों पर निशाना... IAS मीनाक्षी बोलीं- 'आज जातिवादी सोच की जरूरत, सरनेम देख पक्षपात करते हैं'

घोटाला योजनाबद्ध और संगठित नेटवर्क का हिस्सा  

अब तक इस मामले में पैंतीस से ज्यादा लोगों को आरोपी बनाया जा चुका है और पंद्रह से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. जांच एजेंसियां अब तक 222 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति जब्त कर चुकी है. गिरफ्तार आरोपियों में निलंबित आईएएस अधिकारी, कारोबारी और सिंडिकेट से जुड़े प्रमुख चेहरे शामिल हैं. जांच एजेंसियों का कहना है कि व्हाट्सऐप चैट्स, ग्रुप एक्टिविटी और डिजिटल साक्ष्य यह साबित करते हैं कि यह घोटाला किसी एक व्यक्ति का नहीं बल्कि एक योजनाबद्ध और संगठित नेटवर्क का हिस्सा था. अब सवाल यह है कि क्या अदालत में ये डिजिटल साक्ष्य इस पूरे सिंडिकेट की परतें पूरी तरह खोल पाएंगे या यह मामला लंबी कानूनी लड़ाई में उलझ कर रह जाएगा। फिलहाल जांच एजेंसियों के दस्तावेज यह संकेत जरूर देते हैं कि यह घोटाला सिर्फ पैसों का नहीं बल्कि सत्ता, सिस्टम और भरोसे की उस चेन की कहानी है, जो कथित तौर पर वर्षों तक बिना रुकावट चलती रही. 

'CM साय से भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष नवीन ने बंटोरे 1500 करोड़', विधायक ने दर्ज कराई शिकायत; जानें मामला

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close