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This Article is From Nov 01, 2023

Chhattisgarh का 24वां स्थापना दिवस आज, जानें कैसे पड़ा राज्य का 'छत्तीसगढ़' नाम

Chhattisgarh Foundation Day: छत्तीसगढ़ का गठन 1 नवंबर, 2000 को मध्य प्रदेश से अलग कर किया गया था. मध्य प्रदेश के दक्षिण-पूर्व के हिस्से को अलग कर छत्तीसगढ़ राज्य बनाया गया.

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Chhattisgarh का 24वां स्थापना दिवस आज, जानें कैसे पड़ा राज्य का 'छत्तीसगढ़' नाम

Chhattisgarh Foundation Day: देश के 26वें राज्य छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) का आज स्थापना दिवस है. छत्तीसगढ़ ने अपना 23 साल का सफर पूरा कर लिया. इस राज्य का गठन 1 नवंबर, 2000 को मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) से अलग कर किया गया था. छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश राज्य का करीब 30 फीसदी हिस्सा है. दरअसल, मध्य प्रदेश के दक्षिण-पूर्व के हिस्से को अलग कर छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया गया है.  

छत्तीसगढ़ का गठन 1 नवंबर, 2000 को हुआ और ये भारत का 26वां राज्य बना. एक समय में इस क्षेत्र में 36 गढ़ थे, इसीलिए इसका नाम छत्तीसगढ़ पड़ा. हालांकि गढ़ों की संख्या बढ़ने के बावजूद इसके नामों में कोई बदलाव नहीं हुआ. बता दें कि छत्तीसगढ़ भारत का ऐसा राज्य है जिसे 'महतारी'(मां) का दर्जा दिया गया है. ये राज्य वैष्णव, शैव, शाक्त, बौद्ध संस्कृतियों के विभिन्न कालों के प्रभाव में रहा है. 

छत्तीसगढ़ नाम की उत्पत्ति 

'छत्तीसगढ़' एक प्राचीन नाम नहीं है. इस नाम का प्रचलन 18वीं सदी के दौरान मराठा काल में शुरू हुआ. प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ 'दक्षिण कोशल' के नाम से जाना जाता था. ऐतिहासिक शिलालेख, साहित्यिक और विदेशी यात्रियों के लेखों के अनुसार,  इस क्षेत्र का नाम पहले  दक्षिण कोशल था. हालांकि आधिकारिक दस्तावेज में 'छत्तीसगढ़' का प्रथम प्रयोग 1795 में किया गया था.

बता दें कि छत्तीसगढ़ शब्द के अस्तित्व में आने को लेकर इतिहासकारों में कोई एक मत नहीं है. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि कलचुरी काल में आधिकारिक रूप से छत्तीसगढ़ 36 गढ़ों में बंटा था और ये गढ़ एक आधिकारिक इकाई थे, ना कि किले. इन्हीं '36 गढ़ों' के चलते दक्षिण कोशल का नाम 'छत्तीसगढ़' पड़ा.

जानें छत्तीसगढ़ का इतिहास

छत्तीसगढ़ प्राचीनकाल के दक्षिण कोसल का एक हिस्सा है और पहले इसकी राजधानी सिरपुर थी. वहीं इसका इतिहास पौराणिक काल के दौरान की है. पौराणिक काल का 'कोशल' प्रदेश, कालान्तर में 'उत्तर कोशल' और 'दक्षिण कोशल' नाम से दो भागों में बंटा था. दरअसल, पहले जो 'दक्षिण कोशल' था वो वर्तमान में छत्तीसगढ़ कहलाता है.

वहीं दक्षिण-कौसल के नाम से प्रसिद्ध इस प्रदेश में प्राचीन काल में मौर्या, सातवाहन, वकाटक, गुप्त, राजर्षितुल्य कुल, शरभपुरीय वंश, सोमवंशी, नल वंशी, कलचुरी का शासन था. साथ ही क्षेत्रीय राजवंश का भी शासन था. इन क्षेत्रीय राजवंशों बस्तर के नल और नाग वंश, कांकेर के सोमवंशी और कवर्धा के फणि-नाग वंश मुख्य थे.

राज्य के अस्तित्व में आने के समय समय बने थे 16 जिले

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत 1 नवंबर, 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई. छत्तीसगढ़ देश का 26वां राज्य बना. छत्तीसगढ़ का निर्माण मध्यप्रदेश के तीन संभाग रायपुर, बिलासपुर और बस्तर के 16 जिलों, 96 तहसीलों और 146 विकासखंडों से किया गया. वहीं प्रदेश की राजधानी रायपुर को बनाया गया था और बिलासपुर में उच्च न्यायालय की स्थापना की गई थी.

छत्तीसगढ़ के जिले 

इस राज्य की स्थापना के समय इसमें 16 जिले थे जो वर्तमान समय में बढ़कर 33 हो गए हैं. ये सभी 33 जनपद 5 संभागों के अंतर्गत शामिल किये गए हैं. दरअसल, गठन के बाद 1 मई, 2007 को 2 नए जिलों का गठन किया गया. इसके लगभग 5 साल बाद 1 जनवरी, 2012 को इस राज्य में फिर से 9 जिले बनाये गए. जिसके बाद इनकी संख्या 27 हो गयी. इसके बाद सितंबर 2022 में 5 नए जिलों का गठन किया गया जिसके बाद इनकी कुल संख्या 33 पहुंच गयी.

पोला से तीजा महोत्सव तक मनाये जाते हैं ये त्योहार

छत्तीसगढ़ में त्योहार को तिहार कहा जाता है. यहां अलग-अलग जनजातियों के द्वारा अलग-अलग त्योहार मनाया जाता है.  जिसमें बस्तर दशहरा, बस्तर लोकोत्सव, राजिम कुंभ मेला, कोरिया मेला, फागुन वडाई, मडई महोत्सव, गोंचा महोत्सव, तीजा महोत्सव, पोला महोत्सव और अन्य त्योहार शामिल हैं.

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खनिज संसाधन से भरपूर है छत्तीसगढ़

ये कोयला, लौह अयस्क और डोलोमाइट जैसे खनिजों का प्रमुख उत्पादक है. इसके अलावा इस राज्य में बॉक्साइट, चूना पत्थर और क्वार्टजाइट के पर्याप्त भंडार भी मौजूद हैं. इस राज्य में भारत के टिन अयस्क भंडार का 35.4% हिस्सा है. बता दें कि छत्तीसगढ़ भारत का एकमात्र राज्य है जहां टिन कंसन्ट्रेटस (tin concentrates) का उत्पादन होता है.

महानदी से गोदावरी तक बहते हैं ये नदियां

छत्तीसगढ़ में महानदी, गंगा, गोदावरी और नर्मदा यहां बहती है. वहीं महानदी, शिवनाथ, अर्पा, इंद्रावती, सबरी, लीलागर, हसदो, पैरी और सोंदूर इसके सहायक नदियां हैं.

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