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छत्तीसगढ़ में शहरों की सरकार: बीजेपी-कांग्रेस ने नए चेहरों पर खेला दांव, 10 में से 8 को नया मेयर मिलना तय

CG Municipal Election:छत्तीसगढ़ में शहर की सरकार बनाने चुनावी बिगुल बज चुका है. प्रत्याशी तय हो गए हैं और चुनाव प्रचार भी शुरू हो चुका है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही राष्ट्रीय दलों ने मेयर के लिए पहली बार चुनाव लड़ने वालों को पहली बार प्रत्याशी बनाया है. देखिए रिपोर्ट.

छत्तीसगढ़ में शहरों की सरकार: बीजेपी-कांग्रेस ने नए चेहरों पर खेला दांव, 10 में से 8 को नया मेयर मिलना तय

Chhattisgarh Mayor Elections: छत्तीसगढ़ में शहर की सरकार बनाने के लिए चुनावी बिसात बिछ चुकी है. जीत पक्की करने के लिए राजनीतिक दल अपनी-अपनी चालें भी चल रहे हैं. इस बार दोनों ही बड़े दलों ने नगर पालिक निगमों में मेयर प्रत्याशियों को लेकर रणनीति के तहत थोड़ा चौंकाने वाला फैसला लिया है. बीजेपी के 10 में से 9 प्रत्याशी ऐसे हैं, जिन्हें पहली बार मेयर का चुनाव लड़ने का मौका दिया गया है. कुछ ऐसा ही हाल कांग्रेस का भी है. राज्य में प्रमुख विपक्षी दल ने 10 में 8 सीटों पर बिल्कुल नए चेहरों को मौका दिया है. इस रणनीति को लेकर दोनों ही पार्टियों के अपने-अपने तर्क हैं. फिलहाल आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं कि बीजेपी और कांग्रेस ने किस सीट पर कौन-कौन से मेयर प्रत्याशी उतारे हैं. 

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इन सीटों पर हैं पुराने मेयर मैदान में

आपने सबके नाम तो जान लिए अब आपको ये बता दें कि कहां पुराने चेहरों पर दांव किसने दांव खेला है. राजनांदगांव में बीजेपी ने मधुसूदन यादव पर बाजी लगाई है जो यहां से पहले भी मेयर रह चुके हैं. इसी तरह कांग्रेस अंबिकापुर और कोरबा में क्रमश: अजय तिर्की और उषा तिवारी पर दांव खेला है जो पहले भी यहां से मेयर रह चुके हैं. वैसे यहां ये जानना दिलचस्प रहेगा कि पिछली बार इन्हीं नगर निगमों में हुए चुनावों में 10 में से 10 में कांग्रेस की ही शहर सरकार बनी थी. हालांकि विधानसभा चुनाव 2023 के बाद जगदलपुर नगर निगम में दल-बदल के बाद सत्ता कांग्रेस से बीजेपी के हाथों में आ गई.

बीजेपी बोली-हम रिफॉर्म के मूड में हैं

नगर निगम चुनावों में बीजेपी की रणनीति पर पार्टी के प्रवक्ता गौरी शंकर श्रीवास्तव का कहना है कि राज्य में बीजेपी पूरी तरह से रिफॉर्म के मूड में है.कसभा और विधानसभा में भी हमने नए लोगों को मौका दिया और हमें जीत मिली. अब नगर निगम में भी 10 में से 9 नए लोगों को हमने मौका दिया है. इस चुनाव में भी निश्चित ही बीजेपी को जीत मिलेगी. दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा का कहना है कि उनकी पार्टी में शुरू से परिपाटी रही है कि वह नए लोगों को मौका देती है. कांग्रेस ने न सिर्फ नए लोगों का मौका देती है बल्कि हर वर्ग को प्रतिनिधित्व भी देती है. हमने कुछ सामान्य सीटों पर भी ओबीसी वर्ग के लोगों को प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी में लिफाफा और अधिनायक पद्धति से टिकट दिया जाता है.  अब ये देखने वाली बात होगी की कांग्रेस और बीजेपी द्वारा नए प्रत्याशियों को मौका देने का असर क्या हो सकता है?

ये प्रयोग सफलता दिलाता है: मयंक चतुर्वेदी

बीजेपी-कांग्रेस की इस रणनीति पर हमने राजनीतिक पंडितों से भी बात की. राज्य की सियासत पर नजर रखने वाले वरिष्ठ विश्लेषक मयंक चतुर्वेदी के मुताबिक जब कोई प्रत्याशी नया होता है तो जनता के पास उसकी नकारात्मकता कम होती है. जनता के पास प्रत्याशी का आकलन करने के लिए भी बहुत कुछ नहीं रहता है. इसका फायदा कई बार प्रत्याशियों को मिलता है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी हमने देखा कि भाजपा ने एक प्रयोग किया और उसे सफलता मिली. इस चुनाव में भी दोनों ही दलों ने इसी प्रयोग को आगे बढ़ाया है. 
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