Train Accident: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में हुए दो ट्रेनों के बीच हुए बड़े ट्रेन हादसे में 11 पैसेंजर की मौत और 20 लोगों के घायल होने की पुष्टि हो चुकी है. मेमू पैसेंजर ट्रेन और मालगाड़ी के बीच हुई टक्कर में यात्रियों की मौत ने एक बार फिर ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
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बिलासपुर हादसे में लोको पायलट समेत 11 मौत, बिलासपुर कलेक्टर ने की पुष्टि
गौरतलब है 4 नवंबर को शाम 4 बजे हुई रेल हादसे में मेमू ट्रेन गतोरा स्टेशन के आसपास मालगाड़ी से टकरा गई थी. 4- 5 नवंबर की दरमियानी रात 2:30 बजे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में लोको पायलट समेत 11 मौत की बिलासपुर कलेक्टर संजय अग्रवाल ने पुष्टि की है. हादसे में घायल दो की हालत गंभीर है, जबकि, एक की हालत अति गंभीर बताई जा रही है.
हादसे के 15 घंटे बाद सामान्य हुआ बिलासपुर के पास हावड़ा मुंबई ट्रेन रूट
रिपोर्ट के मुताबिक हादसे के बाद बिलासपुर के पास हावड़ा मुंबई ट्रेन रूट सामान्य हो गया है. अप और डॉउन की सभी चार लाइनों पर ट्रेनों की आवाजही शुरू हो गई है. हादसे के बाद रेल प्रशासन द्वारा शुरू किए गए बचाव-राहत कार्य में घायलों को नजदीकी अस्पतालों में पहुंचा दिया गया, जहां घायलों को समुचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है.
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ऑटोमैटिक सिग्नलिंग या कवच प्रणाली फेल्योर थी ट्रेन हादसे की वजह
प्राथमिक जांच में ऑटो सिग्नल के फेल्योर को हादसे की का कारण माना जा रहा है. रेलवे की कवच प्रणाली को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. हालांकि रेलवे की कवच प्रणाली को आमने-सामने की टक्करों को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है. फिलहाल, सिग्नल ओवरशूट को बिलासपुर रेल हादसे की मुख्य वजह की तरह देखा जा रहा है.
क्या हादसे की वजह बना ड्राइवर द्वारा सिग्नल को अनदेखा किया जाना?
मेमू लोकल ट्रेन और मालगाड़ी ट्रेन में हुई टक्कर के पीछे अन्य संभावनाओं में एक बड़ी वजह ट्रेन को गलत सिग्नल मिलने को माना जा रहा है. रेल हादसे के लिए दूसरी बड़ी वजह यह भी माना जा रहा है कि ड्राइवर ने सिग्नल को अनदेखा किया हो, जिससे ट्रेन निर्धारित स्थान से आगे बढ़ गई होगी.
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कैसे काम करता है रेलवे द्वारा विकसित स्वदेशी कवच रक्षा प्रणाली
दो ट्रेनों के टक्कर को रोकने के लिए विकसित कवच प्रणाली को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि लाल सिग्नल पार करने पर यह स्वचालित रूप से ट्रेन की ब्रेकिंग सिस्टम को सक्रिय कर देती है. हालांकि स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली को ट्रेनों की टक्कर रोकने और रेल संचालन को सुरक्षित बनाने के लिए विकसित किया है.
क्या है ट्रेनों के टकराव रोधी स्वदेशी कवच प्रणाली की मुख्य विशेषता
उल्लेखनीय है स्वचालित ट्रेन सुरक्षा यान कवच प्रणाली की प्रमुख विशेषता यह है कि जब लोको पायलट ब्रेक लगाने में विफल रहता है या ओवर-स्पीडिंग करता है, तो सिस्टम स्वचालित रूप से ब्रेक लगा देता है. दो ट्रेनों के टकराव में कारगर कवच प्रणाली एक ही ट्रैक पर एक-दूसरे की ओर आ रही ट्रेनों को स्वतः ब्रेक लगाकर रोक देती है.
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कवच प्रणाली खराब मौसम में भी लोको पायलट की करती है मदद
कवच प्रणाली घने कोहरे या खराब मौसम में भी सिग्नलिंग सिस्टम की मदद से सुरक्षित ट्रेन संचालन सुनिश्चित करता है. यह अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी के माध्यम से अन्य उपकरणों के साथ संचार करता है और आपातकाल में SOS संदेश भेजता है. यह अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी (UHF) के जरिए लगातार जानकारी भेजता है, जिसमें लोकेशन और गति शामिल है.
आपात स्थिति में कवच प्रणाली खुद ही ट्रेन के ब्रेक लगाने में सक्षम है
अगर कोई खतरा दिखाई देता है, तो यह पहले लोको पायलट को सतर्क करता है और अगर लोको पायलट प्रतिक्रिया नहीं करता है, तो यह खुद ही ट्रेन के ब्रेक लगा देता है. भारतीय रेलवे पूरे नेटवर्क में कवच प्रणाली को चरणबद्ध तरीके से लागू कर रहा है. फिलहाल, कुछ चुनिंदा मार्गों पर इसे स्थापित किया गया है, जिसे जल्द पूरे देश में लागू करने की योजना है.