Mystrious Mount Kailash: दुनिया के सबसे रहस्यमयी पर्वत चोटियों में शुमार कैलाश पर्वत सनातन धर्मावलंबियों में एक पवित्र पर्वत चोटी है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं में भगवान शिव का स्थान कैलाश पर्वत तिब्बत के न्गारी प्रांत में स्थित है. भारत, नेपाल और चीन की सीमाओं के पास स्थित दुर्गम कैलाश पर्वत पर आज तक कोई भी चढ़ाई नहीं कर पाया है.
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रहस्यमयी है पवित्र कैलाश पर्वत की आकृति
पिरामिड जैसी आकार वाले कैलाश पर्वत की आकृति उसे और भी रहस्यमयी बनाती है. कहा जाता है कि यह पर्वत धरती का केंद्र है, जहां से पूरी सृष्टि की ऊर्जा फैलती है. हर साल हजारों श्रद्धालु यहां कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए आते हैं. इस यात्रा में करीब 52 किलोमीटर की पैदल परिक्रमा करनी पड़ती है, जो तीन दिनों में पूरी होती है.
आसान नहीं होती है कैलाश पर्वत की यात्रा
कैलाश पर्वत की ऊंचाई, ऑक्सीजन की कमी और ठंड के कारण कैलाश पर्वत की यात्रा आसान नहीं होती है. सवाल उठता है कि आज तक कोई कैलाश पर्वत पर क्यों नहीं चढ़ पाया? तो इसके कई कारण हैं. सबसे पहले तो धार्मिक मान्यता है कि कैलाश पर चढ़ना भगवान शिव की मर्यादा का उल्लंघन माना जाता है.
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बर्फीले तूफान कैलाश को बनाते हैं दुर्गम
कैलाश पर्वत पर चढ़ाई को भगवान शिव की मर्यादा उल्लंघन मानने वाले श्रद्धालु सिर्फ इसकी परिक्रमा करते हैं, चढ़ाई नहीं की कोशिश तक नहीं करते हैं. कैलाश पर्वत पर चढ़ाई नहीं कर पाने का भौगोलिक वजहें भी है, क्योंकि कैलाश पर्वत का मौसम बहुत दुर्गण है, जहां पलभर में बर्फीले तूफान आ जाते हैं और हमेशा जान का खतरा बना रहता है.
नहीं चलते कंपास व इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस
वैज्ञानिकों का कहना है कि कैलाश के आसपास चुंबकीय क्षेत्र बहुत अधिक है, जिसके कारण कंपास और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण काम करना बंद कर देते हैं. कैलाश पर्वत का दिशा का अंदाजा न लगने से पर्वतारोहियों का आगे बढ़ना मुश्किल हो जाता है. पर्वतारोहियों का दावा है कि कैलाश के पास पहुंचते ही सिर घूमने लगता है.
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कैलाश पर होता है अजीब ऊर्जा का एहसास
पर्वतारोहियों को मुताबिक कैलाश पर्वत पर अजीब ऊर्जा का एहसास होता है, सिर घूमने लगता है और शरीर बेहद थका हुआ महसूस करता है. कुछ लोगों ने तो यह भी दावा किया है कि यहां समय की गति तेज है और कुछ ही घंटों में उनके बाल-नाखून बढ़ जाते हैं.