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Green Jail: 100 वर्षों से भी ज्यादा पुरानी जेल बन रही है Eco फ्रेंडली! ऐसे साकार हो रही ग्रीन पहल

Bilaspur Central Jail: छत्तीसगढ़ की बिलासपुर सेंट्रल जेल देश की पहली ईको-फ्रेंडली जेल यानी ग्रीन जेल बन रही है, जो पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए कार्य कर रही है.

Green Jail: 100 वर्षों से भी ज्यादा पुरानी जेल बन रही है Eco फ्रेंडली! ऐसे साकार हो रही ग्रीन पहल
Bilaspur Central Jail: इको फ्रेंडली जेल

Bilaspur Central Jail: केन्द्रीय जेल बिलासपुर (Central Jail Bilaspur) को प्लास्टिक मुक्त (Plastic Free) एवं पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए हरित जेल (Green Jail) अभियान के तहत अभिनव पहल की जा रही है. इस अभियान के अंतर्गत जेल परिसर को स्वच्छ एवं ईको-फ्रेंडली (Eco Friendly Jail) बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. जेल में हरियाली का विशेष ध्यान रखा गया है. एनजीओ की मदद से सर्वे किया गया है और उसके आधार पर, वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण और संवर्धन के लिए रोडमैप तैयार किया जा रहा है. इस पूरे प्रोजेक्ट का उद्देश्य यह है कि जेल न केवल बंदियों के लिए एक सुधारात्मक स्थान हो, बल्कि यह बिलासपुर शहर के लिए ऑक्सीजन प्रदान करने का काम भी करे.

ग्रीन जेल के लिए क्या कुछ हो रहा है?

छत्तीसगढ़ के केंद्रीय जेल बिलासपुर में परिवार एवं बंदियों द्वारा प्लास्टिक कचरे को एकत्र कर प्लास्टिक बॉटल में भरकर ईको-ब्रिक्स बनाई जा रही हैं. इनका उपयोग जेल परिसर में सौंदर्यीकरण एवं निर्माण कार्यों में किया जा रहा है. कैदियों के परिजनों द्वारा जेल के लाने वाले प्लास्टिक के पन्नी को संग्रहित कर उसे ईको ब्रिक्स बनाए जा रहे हैं. इस पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि जितने प्लास्टिक से ये ईको ब्रिक्स बना रहे हैं, वो कई एकड़ जमीन को प्रदूषित कर सकती है, इन ब्रिक्स से  जल और मृदा प्रदूषण को रोका जा सकता है. केंद्रीय जेल के अंदर अब तक लगभग 4000 ईको-ब्रिक्स बनाए जा चुके हैं, जिससे लगभग 8 एकड़ भूमि को प्लास्टिक से होने वाले प्रदुषण को रोका जा सकता है.

जेल में स्वच्छता के लिए फिनाइल व एसिड जैसे रसायनों की जगह बायो-एंजाइम का उत्पादन किया जा रहा है. अब तक 1,072 लीटर बायो-एंजाइम बनाया गया है, जो पर्यावरण हितैषी सफाई समाधान प्रदान करता है.

जेल परिसर में स्थित गौशाला से प्राप्त गोबर और अन्य जैविक कचरे से वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जा रहा है. इससे जैविक खेती और बागवानी को बढ़ावा मिल रहा है. इस प्राकृतिक खाद का उपयोग जेल के अंदर ही हरियाली बढ़ाने के लिए किया जा रहा है.

अधिकारियों का क्या कहना है?

जेल अधीक्षक खोमेश मांडवी का कहना है कि प्लास्टिक रिसाइक्लिंग, जल संरक्षण, हानिकारक गतिविधियों पर रोक और पौधरोपण को बढ़ावा देकर जेल को हरित क्षेत्र में बदला जा रहा है. भविष्य में हर्बल गार्डन और औषधीय पौधों का रोपण किया जाएगा. इसके अलावा जेल प्रशासन का मानना है कि इन प्रयासों से पर्यावरण संतुलन बना रहेगा और जेल परिसर को ऑक्सीजोन के रूप में विकसित किया जाएगा. 

वहीं डीजी जेल ने कुछ महीने पहले कहा था कि आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ वायु और पर्यावरण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से केंद्रीय जेल, बिलासपुर को 'इको-फ्रेंडली ग्रीन जेल' बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई है. यह पहल जेल विभाग द्वारा समाज को दिया गया एक सकारात्मक उपहार है, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.

जेल में पर्यावरणीय को ध्यान में रखते हुए जल संरक्षण, ऊर्जा संरक्षण और प्लास्टिक मुक्त वातावरण बनाने के लिए काम किए जा रहे हैं. इसके अलावा, कैदी जैविक हैंडवाश बनाने से लेकर सोलर पैनल के माध्यम से बिजली उत्पादन तक कई पर्यावरण-हितैषी कार्यों में शामिल हो रहे हैं.

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