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छत्तीसगढ़ के भू माफिया तो गजब के निकले ! सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीनों का कर दिया सौदा, बैंक से लोन भी उठाया

छत्तीसगढ़ में बड़ा जमीन घोटाला हुआ है. सरकार की ऑनलाइन भूइयां साइट में गड़बड़ी कर सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीन को निजी व्यक्तियों के नाम दर्ज कर दिया गया है. इतना ही नहीं सरकार की इन जमीनों को बैंकों में बंधक रख निजी व्यक्तियों द्वारा करोड़ों रुपये लोन लेने का भी आरोप है. ताजा मामला दुर्ग जिले के मुरमुंदा पटवारी हल्का से जुड़ा है. जिला प्रशासन ने राज्य सरकार के भू-राजस्व अभिलेख शाखा के आयुक्त को भी मामले की जानकारी दी है.

छत्तीसगढ़ के भू माफिया तो गजब के निकले ! सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीनों का कर दिया सौदा, बैंक से लोन भी उठाया

CG Land Scam: छत्तीसगढ़ में बड़ा जमीन घोटाला हुआ है. सरकार की ऑनलाइन भूइयां साइट में गड़बड़ी कर सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीन को निजी व्यक्तियों के नाम दर्ज कर दिया गया है. इतना ही नहीं सरकार की इन जमीनों को बैंकों में बंधक रख निजी व्यक्तियों द्वारा करोड़ों रुपये लोन लेने का भी आरोप है. ताजा मामला दुर्ग जिले के मुरमुंदा पटवारी हल्का से जुड़ा है. मुरमुंदा हल्का के मुरमुंदा, अछोटी, चेटुवा, बोरसी गांवों में बड़े पैमाने पर जमीनों की हेराफेरी पकड़ी गई है. इन गांवों में 250 एकड़ से अधिक शासकीय और निजी जमीनों का फर्जी तरीके से बटांकन कर अलग-अलग व्यक्तियों के नाम दर्ज कर दिया गया है. मामले की जानकारी लगते ही विभाग ने आनन-फानन में जांच शुरू कर दी है. जिला प्रशासन ने राज्य सरकार के भू-राजस्व अभिलेख शाखा के आयुक्त को भी मामले की जानकारी दी है. साथ ही इस बात का पता लगाने का अनुरोध किया है कि आखिर ऑनलाइन किसकी आईडी से गड़बड़ी हुई.  

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अकेले  अछोटी गांव में 191 एकड़ का घपला

जमीन घोटाला मामले के इनपुट पर NDTV की टीम ने भी पड़ताल की तो कई हैरान करने वाले तथ्य सामने आए हैं. तहसील कार्यालय, पटवारी दफ्तर, राजस्व विभाग के अधिकारियों से मिले इनपुट से हमें पता चला कि सबसे बड़ी गड़बड़ी अछोटी गांव में हुई है. यहां बेशकीमती शासकीय जमीनों पर 52 बोगस खसरा नंबर जारी कर 191 एकड़ से ज्यादा जमीनों की हेराफेरी की गई है. इन जमीनों का बड़ा पैच मुख्य मार्गों से लगा है, जिसकी बाजार में वर्तमान कीमत 100 करोड़ रुपये से अधिक है. मामला सामने आने के बाद सभी बोगस खसरा को संदिग्ध मानकर तहसीलदार स्तर पर जांच की जा रही है. ऑनलाइन डिजिटल सिग्नेचर बी-1 की कॉपियों से हटा दिए गए हैं. फिलहाल इतने बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ी से विभाग में हड़कंप मचा हुआ है.

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अवैध करोबार का बड़ा सिंडिकेट

पड़ताल में हमें पता चला कि जमीनों की हेराफेरी को लेकर बड़ा सिंडिकेट काम कर रहा है. इस सिंडिकेट के तार रायपुर, दुर्ग, कोरबा समेत अन्य जिलों से भी जुड़े हैं. हमनें पड़ताल आगे बढ़ाई तो दीनूराम यादव पिता सूरज यादव, एसराम पिता बुधराम, शियाकांत वर्मा, हरिशचन्द्र निषाद, सुरेन्द्र कुमार, जयंत समेत कुछ नाम सामने आए. ये वही संदिग्ध हैं, जिनके नाम पर फर्जी तरीके से शासकीय जमीनों का बोगस खसरा दर्ज कर दिया गया है. दीनूराम के नाम से बनी फर्जी ऋृण पुस्तिका में दुर्ग तहसीलदार के मुहर और हस्ताक्षर हैं, जबकि अछोटी गांव अहिवारा तहसील के अंतर्गत आता है. हमने गांव में इन नामों के बारे में पूछताछ की. गांव के कोटवार नंदलाल चौहान ने बताया कि कुछ दिन पहले पटवारी भी गांव में आए थे, उन्होंने भी इन लोगों के बारे में पूछा था, लेकिन हमने बताया कि इनमें से कोई भी गांव का रहने वाला नहीं है. इनके नाम पर कोई रिकॉर्ड पंचायत में भी दर्ज नहीं है. पटवारी के कागजी रिकॉर्ड में भी इनका नाम नहीं है.

ऑनलाइन गड़बड़ी, फिर फर्जी दस्तावेज

पड़ताल में हमें पता चला कि पहले पटवारी और तहसीलदार की आईडी में छेड़छाड़ कर ऑनलाइन भूइयां साइट में शासकीय जमीनों का बोगस खसरा जारी कर संदिग्धों के नाम और ब्योरे दर्ज किए गए. फिर अवैध कागजात तैयार करवाए गए, फर्जी ऋृण पुस्तिका भी बनवा ली गई. इन बोगस खसरा और अवैध दस्तावेजों के आधार पर उस राष्ट्रीयकृत बैंक की एक शाखा दीनूराम यादव को 25 जून 2025 को करीब 46 लाख और एक अन्य शाखा से एसराम पिता बुधराम को 2 जुलाई 2025 को 36 लाख रुपये लोन जारी कर दिया गया, जो दस्तावेजों के परीक्षण के मामले में सबसे कड़क माना जाता है.दीनूराम की ऋृण पुस्तिका की ही गंभीरता से अगर जांच की गई होती तो गड़बड़ी पकड़ी जाती.

जमीनों के इस घोटाले की खबर गांवों में चर्चा का विषय है...जांच के बाद सामने आएगा कि किस-किस की मिलीभगत से इसे अंजाम दिया गया.

जमीनों के इस घोटाले की खबर गांवों में चर्चा का विषय है...जांच के बाद सामने आएगा कि किस-किस की मिलीभगत से इसे अंजाम दिया गया.

इतना ही नहीं मौके का भौतिक परीक्षण करने पर भी पता चलता कि जिस जमीन का खसरा नंबर पेश किया जा रहा है, वो शासकीय है. हालांकि हमें पता चला कि फर्जीवाड़ा सामने आने पर दोनों ही लोन खातों को होल्ड कर दिया गया है. जब यह प्रक्रिया की गई तो दीनूराम के खाते में करीब 9 लाख और एसराम के खाते में करीब 6 लाख रुपये ही थे. पड़ताल में हमें यह भी पता चला कि कोरबा जिले में 250 एकड़ से अधिक शासकीय जमीनों पर इसी तरह की गड़बड़ी पकड़ी गई. कोरबा में भी जमीन घोटाला कर बैंकों से लाखों रुपये लोन लिया गया और इस मामले में तत्कालीन पटवारी को जनवरी 2025 में निलंबित किया गया है. कुछ निजी लोगों के खिलाफ भी प्रकरण दर्ज कर जांच की जा रही है.

दुर्ग संभाग के आयुक्त सत्य नारायण राठौर ने एनडीटीवी से कहा- मेरी जानकारी में मामला आया है. मुरमुंदा पटवारी हल्के के अछोटी और आसपास के कुल चार गांवों में जमीनों की हेराफेरी की शिकायत प्राप्त हुई है, चारों गांव में चार त्रुटि सुधार के केस दर्ज कर लिए गए हैं. हमारा पहला उद्देश्य है कि जो जमीनें गड़बड़ी कर निजी लोगों के नाम दर्ज कर ली गई हैं, उन्हें वापस शासकीय खाते में डलावाया जाए. यह प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जांच की जा रही है, जो भी इस मामले में दोषी मिलेंगे उनपर कार्रवाई भी निश्चित ही की जाएगी.
 

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