
Archaeologist Arun Kumar Sharma Passed Away: छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध पुरातत्वविद और पद्मश्री से सम्मानित अरुण कुमार शर्मा (Padma Shri Arun Kumar Sharma) का गुरुवार को निधन हो गया. वह छत्तीसगढ़ सरकार (CG Government) के पुरातत्व सलाहकार (Archaeological Consultant) भी रहे थे. शर्मा के बेटे मनीष शर्मा ने बताया कि आज तड़के राज्य की राजधानी रायपुर (Raipur) स्थित अपने आवास पर उनके पिता ने अंतिम सांस ली. वह 91 वर्ष के थे. राज्य के प्रसिद्ध पुरातत्वविद अरुण कुमार शर्मा ने अयोध्या के विवादित स्थल पर एक हिंदू मंदिर के अस्तित्व के समर्थन में पुरातात्विक साक्ष्य एकत्र किए थे.
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय (CM Vishnu Deo Sai) ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, ''डॉक्टर अरुण कुमार शर्मा छत्तीसगढ़ की माटी के सपूत हैं, जिन्होंने न सिर्फ छत्तीसगढ़ में अपितु देश के विभिन्न स्थलों पर पुरातात्विक सर्वेक्षण और उत्खनन में महत्वपूर्ण योगदान दिया. छत्तीसगढ़ में सिरपुर और राजिम में उन्होंने उत्खनन के कार्य कराए. पुरातत्व के क्षेत्र में डॉक्टर अरुण शर्मा जी का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा.''
अयोध्या विवाद पर क्या रही अरुण कुमार की भूमिका?
मनीष शर्मा ने बताया कि उनके पिता द्वारा एकत्र किए गए सबूतों को पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय और फिर उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में विवादित स्थल पर सुनवाई के दौरान स्वीकार किया था. उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के निवासी उनके पिता 1959 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) में शामिल हुए थे और विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं प्रदान करने के बाद, वह 1992 में अधीक्षण पुरातत्वविद के रूप में सेवानिवृत्त हुए.
मनीष शर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में सेवा के दौरान अरुण कुमार शर्मा सिरपुर, तरीघाट, सिरकट्टी, आरंग, ताला, मल्हार जैसे कई स्थानों पर खुदाई में शामिल थे. उन्होंने बताया, ''सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्होंने पुरातत्व स्थलों-- सिरपुर (छत्तीसगढ़) और मानसर (महाराष्ट्र) में खुदाई में एएसआई की सहायता की थी. एएसआई में अपनी सेवा के दौरान उन्होंने पूरे भारत में, विशेषकर गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, जम्मू, महाराष्ट्र, लक्षद्वीप, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पुरातात्विक स्थलों की खुदाई की और उनके बारे में रिपोर्ट प्रकाशित की.''
अयोध्या मामले के प्रमुख गवाह थे अरुण कुमार
मनीष ने कहा, '' पुरातत्व पर उनकी 35 किताबें प्रकाशित हुईं. जब बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि अयोध्या मामले की सुनवाई इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में चल रही थी तब अरुण कुमार शर्मा इस मामले के प्रमुख गवाह थे. उन्होंने अदालत की संतुष्टि के लिए यह साबित किया कि वहां भगवान राम का मंदिर था और मस्जिद को मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाया गया था.''
उन्होंने बताया कि 2016 में बस्तर क्षेत्र के दंतेवाड़ा जिले के ढोलकल पर्वत पर भगवान गणेश की मूर्ति को खंडित करने के एक सप्ताह के भीतर अरुण कुमार शर्मा ने अपनी टीम के साथ मिलकर मूर्ति को फिर से स्थापित किया था. अरुण कुमार शर्मा 2004 में राज्य सरकार के पुरातत्व सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था और वह 2017-18 तक सक्रिय रहे। उन्हें 2017 में प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
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