सरगुजा संभाग की सबसे हाईप्रोफाइल सीट अंबिकापुर विधानसभा है और चुनाव के लिहाज से यह काफी अहम सीट मानी जाती है. इस सीट से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए 109 लोगों ने इच्छा जाहिर करते हुए अपना आवेदन जमा किया है. इधर, 109 लोगों की ओर से विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर करते ही अंबिकापुर की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है.
तीन बार से चुनाव जीतते आ रहे टीएस सिंह देव
बता दें कि मौजूदा समय में टी. एस. सिंह देव अंबिकापुर से विधायक हैं और पिछले तीन बार से लगातार अंबिकापुर से चुनाव जीतते आ रहे हैं. हर बार इनकी जीत का अंतर बढ़ता ही गया है. वहीं भाजपा के पास ऐसा कोई दमदार प्रत्याशी नहीं है जो सिंह देव का सीधे मुकाबला कर सके, लेकिन कांग्रेस के अंदर उपजी गुटबाजी ने एक बार फिर से कांग्रेस को दुविधा में डाल दिया है.
कुछ अलग करने की मुड में कांग्रेस
आखिर क्या कारण है कि अंबिकापुर विधानसभा से 109 से ज्यादा कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर करते हुए ब्लॉक कांग्रेस में आवेदन जमा किया है? अगर राजनीति के जानकारों की मानें तो यह भी एक रणनीति है ताकि अपने विरोधियों को उन्हीं के अंदाज में जवाब दिया जा सके. साथ ही यह भी साफ हो गया है कि इस बार अंबिकापुर में कांग्रेस कुछ अलग करने की मूड में है.
1952 में अस्तित्व में आया अंबिकापुर विधानसभा सीट
सरगुजा रियासत के महाराज और छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव की बात करें तो उन्हें आज भी वनांचल क्षेत्र सरगुजा के ग्रामीण क्षेत्रों में वही सम्मान और उपाधि दी जाती है जो कभी उनके पूर्वजों को दी जाती थी. हालांकि बदलते समय में यहां काफी कुछ बदला, लेकिन नहीं बदला तो वह सरगुजा महाराज को दिया जाने वाली मान-सम्मान, जिसे सरगुजा के दशहरा में भी देखा जा सकता है. यही कारण है कि सरगुजा जिला की एकमात्र अनारक्षित सीट अंबिकापुर होने के बावजूद यह सीट सिंह देव के कब्जे में है, लेकिन इतिहास के पन्ने पलटे तो साल 1952 में अंबिकापुर विधानसभा सीट अस्तित्व में आई और तब से सरगुजा राज परिवार का सदस्य ही इसका प्रतिनिधित्व करता आ रहा है. जबकि यह सीट आरक्षित के रूप में ही अस्तित्व में आई थी.
सशक्त उम्मीदवार की तलाश में भाजपा
अगर मतदाताओं की बात करें तो अंबिकापुर विधानसभा सीट पर कुल मतदाता 2 लाख 45 हजार 158 हैं, जिसमें 50 प्रतिशत एसटी वर्ग से आते हैं जो मुख्य रूप से उरांव, कवर व गौड़ जनजाति के हैं. अनारक्षित सीट होने के बावजूद आज भी एसटी मतदाता ही अंबिकापुर विधानसभा के महत्वपूर्ण वोटर हैं. वहीं 25 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम व ईसाई समुदाय से ताल्लुक रखते हैं जो कि कांग्रेस के परम्परागत वोटर हैं और सबसे खास बात यह कि मुस्लिम और इसाई वोट 95% कांग्रेस को ही जाते रहे हैं. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मौजूदा समय में कांग्रेस की अंबिकापुर विधानसभा सीट पर किस प्रकार पकड़ है. हालांकि सरगुजा राज परिवार के समर्थकों की संख्या बहुत ज्यादा है जो कि किसी भी गुट पर हमेशा ही भारी पड़ा रहा है और यही कारण भी है कि भाजपा को इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए सशक्त उम्मीदवार की तलाश हमेशा से रही है.