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New Guidelines: शिक्षा विभाग की गाइडलाइन से पेरेंट्स परेशान और स्कूल हैरान, आदेश सस्ती लोकप्रियता की कोशिश तो नहीं ?

Chhattisgarh school new Guidlines: राज्य में शिक्षा विभाग ने अप्रैल नहीं, बल्कि 25 जून को अचानक आदेश निकाल दिया, जैसे गर्मी की छुट्टियों के बाद आदेश भी छुट्टी से लौटा हो. ऐसे में अभिभावकों को अब समझ में नहीं आ रहा है कि उन्होंने अपने बच्चों की किताबें पढ़ाई के लिए खरीदी थीं, या फिर टाइमपास के लिए?

New Guidelines: शिक्षा विभाग की गाइडलाइन से पेरेंट्स परेशान और स्कूल हैरान, आदेश सस्ती लोकप्रियता की कोशिश तो नहीं ?

Chhattisgarh School New Guidlines: छत्तीसगढ़ में पढ़ाई अप्रैल से शुरू होती है, लेकिन शिक्षा विभाग का आदेश जून के आखिरी हफ्ते में ऐसे आता है, जैसे बच्चों के सिलेबस से ज़्यादा विभाग को सरप्राइज टेस्ट पसंद हो. दरअसल, रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी ने 25 जून को ऐसा फरमान जारी किया, जिससे किताबें पहले खरीद चुके मां-बाप और स्कूल दोनों उलझन में पड़ गए हैं. अभिभावक पूछ रहे हैं कि ये आदेश पढ़ाई के लिए है, या परेशानी बढ़ाने के लिए?

राज्य में शिक्षा विभाग ने अप्रैल नहीं, बल्कि 25 जून को अचानक आदेश निकाल दिया, जैसे गर्मी की छुट्टियों के बाद आदेश भी छुट्टी से लौटा हो. ऐसे में अभिभावकों को अब समझ में नहीं आ रहा है कि उन्होंने अपने बच्चों की किताबें पढ़ाई के लिए खरीदी थीं, या फिर टाइमपास के लिए? रायपुर के ढालेन्द्र साहू की तीन बेटियां हैं. वे आठवीं, तीसरी और नर्सरी में पढ़ती हैं. ढालेन्द्र ने अप्रैल में ही दस हज़ार की किताबें खरीद डालीं, क्योंकि स्कूलों ने कहा था. अब शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर दिया है कि अब प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबें नहीं पढ़ाई जाएंगी. अब किताबें सिर्फ सरकार ही बांटेगी.

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स्कूल संचालकों ने आदेश का शुरू किया विरोध

ऐसे में सबसे बड़ी बात ये है कि किताबें ही नहीं आईं, पर गाइडलाइन पहले आ गई.  जैसे शादी का कार्ड पहले छप गया और बारात ही गायब है. इस आदेश से पैसे की बर्बादी के साथ ही अभिभावक और स्कूल संचालक मानसिक परेशानी से भी दो चार हो रहे हैं. लिहाजा, 25 जून को शिक्षा विभाग ने आठ बिंदुओं वाला जो आदेश जारी किया था. निजी स्कूल संचालक अब इसका विरोध कर रहे हैं.

मांगने के बावजूद नहीं मिली किताबें

निजी स्कूल एसोसिएशन की अध्यक्ष राजीव गुप्ता बताते हैं कि  16 जून से  प्रदेश के स्कूल खुल गए हैं. आज 15 दिन होने वाले हैं. शासन से किताबें अभी तक नहीं मिली हैं. समय लगातार बीतता जा रहा था, तो हमने अपने स्कूलों से कहा कि अपने प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें लगा लें, जब यह किताबें आएगी तब देखा जाएगा. बीच में हमने मांग भी की थी, लेकिन किताब नहीं मिली. पाठ्यपुस्तक निगम ने किताब बांटने का जो शेड्यूल जारी किया है. उसके मुताबिक एक जुलाई से किताबें बांटी जाएंगी. लेकिन, रायपुर अकेले जिले में आठ सौ से ज़्यादा स्कूल हैं और दो लाख बच्चे हैं. ऐसे में किताबें 20 जुलाई तक भी नहीं बंट पाएंगी?

राज्य में गरमाई सियासत

कांग्रेस का आरोप है कि शिक्षा विभाग और निजी स्कूलों की मिलीभगत है. फ्री की SCERT की किताबें समय पर नहीं बांटी गई, ताकि प्राइवेट पब्लिशर्स की दुकान चले और कमाई की गाड़ी रफ्तार पकड़े. इस मामले में कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने सरकार पर करारा प्रहार करते हुए आरोप लगाया है कि शिक्षा विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों और निजी स्कूल के संगठन की मिलीभगत के कारण राज्य के लाखों छात्रों अब तक किताबों से वंचित हैं. उन्होंने कहा कि सीजी बोर्ड के इंग्लिश और और हिंदी मीडियम की फ्री मिलने वाली किताबें, प्रदेश के स्कूलों में अब तक नहीं बांटी जा सकी हैं, जबकि शासन के नियमानुसार छात्र-छात्राओं को पाठ्य पुस्तक निगम से सिलेबस फ्री में मिलना था, लेकिन, सीबीएसई के नाम पर गुमराह किया जा रहा है.

हालांकि, विपक्ष के वार पर सत्ता पक्ष ने पलटवार किया है. बीजेपी प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि फैसला शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के साथ ही छात्र हित में है. यानी किताबें भले न हों, नीयत शुद्ध है. 

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