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8 करोड़ खर्च करने के बाद 6 साल से ठप पड़ा साजाखाण्ड सिंचाई परियोजना का काम, बूंद-बूंद को तरसे किसान

Manendragarh-Chirmiri-Bharatpur News: जलाशय के भारी क्षेत्र को बांधने, नहर बेस पाइप व किसानों को मुआवजा आदि पर 8 करोड़ रुपये खर्च किए गए. वहीं अब 16 करोड़ से यहां अन्य बचे हुए कार्यों को पूरा किया जाना था.

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8 करोड़ खर्च करने के बाद 6 साल से ठप पड़ा साजाखाण्ड सिंचाई परियोजना का काम, बूंद-बूंद को तरसे किसान

मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (Manendragarh-Chirmiri-Bharatpur) जिले के खड़गवां ग्राम भुकभुकी में तीन गांव के हजार किसानों को सिंचाई लाभ देने के लिए बन रहे साजाखाण्ड जलाशय परियोजना (Sajakhand Reservoir Irrigation Project) में नहर लाइनिंग का प्रोजेक्ट 6 साल से ठप पड़ा है. लघु सिंचाई परियोजना के तहत जल संसाधन विभाग 8 करोड़ से अधिक राशि खर्च कर जा चुकी है, लेकिन यहां बांध से नहर निर्माण का काम पूरा नहीं हो पाया है.

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विभागीय अफसरों ने नहर के लिए 16 करोड़ का रिवाइज्ड एस्टीमेट प्रदेश सरकार को भेजकर राशि मांगी थी, लेकिन राशि की स्वीकृति नहीं मिली. वहीं 2014 में शुरू हुई योजना में अब तेजी आने की उम्मीद ग्रामीण भाजपा सरकार में जता रहे हैं.

ग्रामीणों ने क्या कहा?

ग्रामीणों का कहना है कि विधायक श्याम बिहारी जायसवाल के प्रयास से यहां बांध का निर्माण हुआ था. अब प्रदेश में फिर भाजपा की सरकार है.वहीं विधायक श्याम बिहारी जायसवाल प्रदेश में कैबिनेट मंत्री हैं, ऐसे में योजना जल्द शुरू होनी चाहिए. जल संसाधन विभाग की माने तो सिंचाई के लिए नहर निर्माण के लिए 8 करोड़ रुपये की राशि मंजूर हुई थी, लेकिन इसमें नहर के मुआवजे में किसानों को करीब डेढ़ करोड़ रुपए बांट दिये गए. रेट बढ़ने के कारण नहर का काम वापस शुरू कराने के लिए 16 करोड़ रुपए की जरूरत थी, लेकिन राशि की मंजूरी नहीं मिली. बचे हुए किसानों की जमीन का मुआवजा भी दिया जाना है.

400 हेक्टेयर खेतों की सिंचाई क्षमता 

परियोजना के पूर्ण होने से करीब 400 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई 5 किमी के परीधि में की जा सकती है. बांध से खासतौर पर भुकभुकी, भंडारदेई समेत आसपास के हजार किसानों को लाभ मिलेगा. जल संसाधन विभाग के ए.टोप्पो ने बचे हुए कार्यों को पूरा कराने के लिए 16 करोड़ का डीपीआर राज्य सरकार को भेजा था. मंजूरी मिलने के बाद कार्य शुरू होने की बात कही गई थी.

जलाशय के ये काम अब भी अधूरे पड़े

विभाग ने जलाशय के भारी क्षेत्र को बांधने, नहर बेस पाइप व किसानों को मुआवजा आदि में 8 करोड़ खर्च किये. अब 16 करोड़ से यहां अन्य बचे कार्यों को पूरा किया जाना था. परियोजना में शुटफॉल का काम अधूरा है. वहीं नहर निर्माण का कार्य केवल भुकभुकी में शुरू हो सका है.

विभाग कर रहा प्रशासकीय स्वीकृति का इंतजार

मामले के संबंध में जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता ए.टोप्पो ने बताया कि जलाशय निर्माण में हैंड वर्क का काम पूरा हो चुका है, लेकिन नहर निर्माण के लिए अब रुपए नहीं है. जैसे ही प्रशासकीय स्वीकृति मिलेगी वैसे ही नहर निर्माण का काम शुरू किया जाएगा.

जलाशय निर्माण में हुआ है बंदरबांट 

जलाशय के निर्माण को लेकर पूर्व महापौर डमरु रेड्डी ने कई आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि इस जलाशय को बनाने में पूरी तरह अपने लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए रायपुर से लेकर यहां तक सब की जेबें गर्म करती रही है. 15 साल से वह जलाशय बन नहीं पाया है, जिससे आम आदमी का एक इंच भी जमीन सिंचित नहीं हुआ है. यह सिंचाई विभाग की एक फेल्यरशिप स्कीम है. आज जो विधायक और मंत्री हैं यह उस समय भी विधायक थे. इन्हीं के कार्यकाल में इस जलाशय का काम हुआ था. जलाशय के रूपों का दोनों हाथों से बंदरबांट हुआ है. इससे लोगों को कोई लाभ नहीं हुआ.

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