Bhopal News: मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम (Deputy Chief Minister of Madhya Pradesh) राजेंद्र शुक्ल ने मंगलवार को डीईआईसी (District Early Intervention Center) भोपाल से मध्य प्रदेश में जापनीज़ इन्सेफेलाइटिस टीकाकरण अभियान (Japanese Encephalitis Vaccination Campaign) का शुभारंभ किया. उप मुख्यमंत्री ने यहां उपस्थित जन को जापनीज़ इन्सेफेलाइटिस या दिमाग़ी बुख़ार के प्रति जागरूकता लाने और टीकाकरण अभियान में सहयोग करने का संकल्प दिलाया, इसके साथ ही टीकाकरण अभियान के पोस्टर (Vaccination Campaign Posters) का विमोचन किया और टीकाकृत बालकों को प्रमाण-पत्र प्रदान किये.
क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है ये बीमारी
जापनीज़ इन्सेफेलाइटिस वेक्टर बोर्न डिजीज है. यह बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है. यह मच्छर रुके हुए पानी में रहते हैं और रात के समय काटते हैं. आर्डिडाई प्रजाति के विचरण करने वाले पक्षी और सुअर इस बीमारी के फ्लेवी वायरस के मुख्य संवाहक होते हैं. जापानी इन्सेफेलाइटिस बीमारी को पहली बार जापान में देखा गया था, इसलिए इस बीमारी का नाम जापानी इन्सेफेलाइटिस पड़ा.
इनको रहता है सबसे ज्यादा खतरा
जापनीज़ इन्सेफेलाइटिस बीमारी का खतरा 1 से 15 साल की उम्र के बच्चों को अधिक होता है. इस बीमारी से संक्रमित 80% से अधिक लोग इसी आयु वर्ग के होते हैं. इसीलिए प्राथमिकता के आधार पर 1 से 15 साल के बच्चों को टीके लगाए जा रहे हैं. टीके से ही इस बीमारी से बचाव संभव है. भोपाल जिले में पिछले 8 सालों में जापनीज़ इन्सेफेलाइटिस के 23 प्रकरण सामने आए हैं. यह सभी लोग स्वस्थ हो चुके हैं. वहीं आज से भोपाल के 20 सेंटर्स पर ये टीकाकरण किया जाएगा, यह वैक्सीन 1 से 15 साल तक के 9 लाख बच्चों को लगाई जाएगी.
इस अभियान के तहत 1 साल से 15 साल तक की उम्र के बच्चों को इस गंभीर बीमारी से बचाव के लिए टीका लगाया जाएगा. भोपाल में करीब 9 लाख बच्चों को टीके लगेंगे और अभियान के पहले चरण में जेई टीके रूटीन वैक्सीनेशन सेशन में लगाए जाएंगे जबकि दूसरे फेज में यह टीके स्कूलों में भी लगाए जाएंगे.
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी प्रभाकर तिवारी ने NDTV से बातचीत के दौरान बताया कि मध्य प्रदेश में इसके केस नहीं है पर यह एक गंभीर बीमारी है. यदि कोई बच्चा इससे संक्रमित होता है तो इसमें 30% बच्चों की मौत हो जाती है, वहीं 30 से 50% बच्चे ऐसे होते हैं जिनमें स्थाई विकलांगता भी देखने को मिलती है. संक्रमण के बाद विषाणु मरीज के दिमाग और रीढ़ की हड्डी सहित केंद्रीय नाड़ी तंत्र में जाता है.
भारत के कई राज्यों में पहले से ही लग रही है ये वैक्सीन
इस बीमारी का प्रकोप देश के 22 राज्यों में है. देश के 333 जिलों में यह वैक्सीन अभियान पूर्व में संचालित किया गया है. 21 राज्यों के 234 जिलों में यह वैक्सीन नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल हो चुकी है.
उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने NDTV से बातचीत की और इस टीकाकरण के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि हमने इस वैक्सीनेशन की शुरुआत भोपाल में की है और हम बहुत जल्द एमपी के बाकी जिलों में भी टीकाकरण की शुरुआत करेगें.
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