विधानसभा चुनाव 2023 से पहले दल बदलने का दौर शुरू हो गया. भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच दल बदलने की होड लगी हुई है. कभी भाजपा विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस को झटका देती है तो कहीं पर कांग्रेस भी भाजपा नेताओं को तोडऩे में कामयाबी हासिल कर रही है. गुरूवार को कांग्रेस ने भाजपा को तगड़ा झटका देते हुए रैगांव के पूर्व विधायक जुगुल किशोर बागरी के बेटे और बहू को अपने खेमे में कर लिया. माना जा रहा है कि रैगांव से टिकट का भरोसा मिलने के बाद दोनों ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली है. हालांकि यह थोड़ा मुश्किल होगा क्योंकि यहां कांग्रेस की सिटिंग एमएलए कल्पना वर्मा हैं जिनकी लोकप्रियता का ग्राफ सक्रिय नेताओं की तुलना में काफी अधिक है.
बताया जाता है कि अब तक भाजपा में रहे देवराज बागरी और वंदना बागरी पिछले उपचुनाव में पार्टी से टिकट के प्रबल दावेदार थे. लेकिन अचानक उना पत्ता काटकर बीजेपी ने प्रतिमा बागरी को टिकट थमा दी. इस बात से नाराज होकर काफी विरोध किया. इसके बाद लगातार वे भाजपा में बने रहे, लेकिन जैसे ही चुनाव नजदीक आया दोनों ने पाला बदल लिया.
बड़े भाई अभी भी भाजपा में.
पीसीसी चीफ कमलनाथ से सपत्नीक कांग्रेस पार्टी की सदस्यता लेने वाले देवराज बागरी के बड़े भाई अभी भी भाजपा में बने हुए हैं. पिता के निधन के बाद विरासत को लेकर दोनों के बीच काफी खटपिट हुई थी. दोनों पिता का राजनैतिक उत्तराधिकार चाह रहे थे, लेकिन पार्टी ने दोनों की लड़ाई को देखते हुए प्रतिमा को प्रत्याशी बना दिया था. भाजपा के इस कदम से नाराज होकर पुष्पराज ने भी नाराजगी जाहिर की थी. तब सीएम शिवराज ने उन्हें भविष्य का भरोसा देकर मना लिया था. यह बात और है कि उन्होंने प्रतिमा का प्रचार नहीं किया था. बावजूद इसके वे अब भी भाजपा से उम्मीद लगाकर बैठे हुए हैं.
जिला पंचायत सदस्य रहे देवराज
वंदना बागरी फिलहाल कोई भी चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हुईं. जबकि देवराज जिला पंचायत सतना के सदस्य रहे चुके हैं. राजनीति के क्षेत्र में लगभग दो दशक से सक्रिय हैं, हालांकि अब तक उन्हें भाजपा में वह मुकाम नहीं मिल पाया जिसकी उम्मीद लगाकर बैठे थे. उनके पिता रैगांव विधानसभा के स्थापित नेता रहे, जिसके कारण पुत्रों को अधिक मौके नहीं मिले. वहीं जब अवसर आया तो भाईयों के बीच विवाद हो गया.