
Madhya Pradesh Assembly Election 2023 : मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव 2023 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के कुछ किले ढह गए हैं जबकि कुछ गढ़ ऐसे रहे हैं जो अभी भी अभेद्य बने हुए हुए हैं. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी कांग्रेस का एक मजबूत क्षेत्र है जहां भारतीय जनता पार्टी कामयाब नहीं हो पा रही है. इस क्षेत्र में केवल एक ही नाम के भरोसे कांग्रेस पार्टी दम भरती आयी है. वह नाम है आरिफ अकील, जो काफी बुजुर्ग हो गए हैं. यही कारण रहा कि इस बार वे स्वास्थ्य कारणों से चुनावी मैदान पर नहीं उतरे, लेकिन उन्होंने अपने बेटे आतिफ अकील को अपना सियासी वारिस बनाते हुए चुनाव रण में उतार दिया. इस बार के चुनावी संग्राम में आरिफ के भाई आमिर अकील भी निर्दलीय कूद पड़े थे, वहीं बीजेपी ने पूर्व महापौर आलोक शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया था. लेकिन जब जनादेश आया तो एक बात स्पष्ट हो गई, यहां अभी भी व्हील चेयर पर बैठे आरिफ अकील का जादू चल गया. उनके आगे न तो बागी चाचा टिक पाए न ही बीजेपी का 'आलोक' दिखा.
आरिफ अकील का गढ़ है ये क्षेत्र , पहली बार निर्दलीय जीता था चुनाव
भोपाल उत्तर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो इसे आरिफ अकील का गढ़ माना जाता है. 1990 के चुनाव में आरिफ यहां से निर्दलीय विधायक चुने गए थे. वहीं 1993 में जब देश में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद सांप्रदायिक दंगों और ध्रुवीकरण का महौल था तब इस क्षेत्र से बीजेपी के रमेश शर्मा 'गुट्टू' ने जीत दर्ज की थी. लेकिन1998 में कांग्रेस पार्टी के आरिफ अकील को यहां की जनता से फिर से विधायक बनाया. उसके बाद से वे लगातार जीतते आए. आंकड़ों की बात करें 1998 के बाद 2003, 2008, 2013 और 2018 में आरिफ अकील विधायक को यहां से जीत मिलती गई. 6 बार विधायक रहे अकील को कांग्रेस सरकार ने कैबिनेट मंत्री भी बनाया था.
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बागी चाचा की वजह से चर्चा में थी ये सीट
इस बार आरिफ अकील ने स्वस्थ्य कारणों से चुनाव लड़ने से मना कर दिया था. वहीं कांग्रेस ने उनकी जगह बेटे आतिफ अकील को मैदान में उतारने का फैसला किया, इस बात से नाराज होकर आतिफ के चाचा और आरिफ के भाई आमिर अकील ने यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था. इस बार के चुनाव में बीमार होने के बाद भी अपने बेटे के पक्ष में महौल बनाने के लिए आरिफ अकील ने सभा को संबोधित किया था.
2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कुल 2 लाख 34 हजार 489 मतदाता थे तब उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार आरिफ अकील को 90 हजार 403 वोट देकर विधायक बना दिया था, जबकि बीजेपी उम्मीदवार फातिमा रसूल सिद्दीकी (गुड़िया) को 55546 मतदाताओं का भरोसा हासिल हो पाया था.
इसी तरह, विधानसभा चुनाव 2008 में भोपाल उत्तर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार आरिफ अकील को कुल 58 हजार 267 वोट हासिल हुए थे, और वह विधानसभा पहुंचे थे, जबकि बीजेपी प्रत्याशी आलोक शर्मा दूसरे पायदान पर रह गए थे, क्योंकि उन्हें 54 हजार 241 वोटरों का ही समर्थन मिल पाया था, और वह 4026 वोटों से चुनाव में पिछड़ गए थे.
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