Madhya Pradesh Assembly Elections: भारतीय जनता पार्टी ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए दूसरी सूची जारी करके भले ही बीजेपी के अपने नेताओं को चौंका दिया हो लेकिन कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Union Minister Jyotiraditya Scindia)और उनके समर्थकों की बल्ले बल्ले रही है. सोमवार को जारी सूची में से पांच टिकट सिंधिया के खाते में आये हैं. सिंधिया खेमे के अलावा पार्टी ने दो टिकट बांटे हैं जिनमें एक खुद उंसके कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) हैं.
सिंधिया के इन समर्थकों को मिला टिकट
सोमवार को बीजेपी ने जो अपनी दूसरी सूची जारी की है उसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पांच समर्थकों को टिकट दिलाने में सफल रहे है. टिकट पाने वालों में डबरा से इमरती देवी (Imarti Devi)और मुरैना से रघुराज कंसाना (Raghuraj Kansana)शामिल हैं जो बीजेपी के टिकट पर उप चुनाव हार चुके हैं लेकिन सिंधिया ने उनको एक बार फिर टिकट दिलाकर बीजेपी में भी अपनी शक्ति का अहसास कराया. इनके अलावा मैहर से वे अपने समर्थक श्रीकांत चतुर्वेदी (Shrikant Chaturvedi)को टिकट दिलाने में सफल रहे हैं. मोहन सिंह राठौर भितरवार और हीरेन्द्र सिंह बंटी बना को भी उन्होंने टिकट दिला दिया है.
एक के बदले सिंधिया ने दो टिकट लिए
दूसरी सूची में सिंधिया के एक समर्थक गिर्राज दण्डोतिया का टिकट कट गया लेकिन इसे काटने के लिए भी बीजेपी को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.दिमनी सीट से डंडोतिया 2018 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते लेकिन इस्तीफा देकर सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए,
इतना ही नहीं इसके बदले सिंधिया को दो टिकट मिले. एक ग्वालियर के भितरवार में उनके समर्थक मोहन सिंह राठौड़ टिकट पा गए और वहीं गुना की राघोगढ़ से भी उनके समर्थक को टिकट मिला.
राघोगढ़ का किला फतह करने का जिम्मा अब सिंधिया को सौंपा
ग्वालियर के सिंधिया राजवंश और राघोगढ़ के खींची राजवंश की अदावत ऐतिहासिक है. अब दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) का राघोगढ़ किला फतह करने की कमान ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही सौंप दी गई. यहां से बीजेपी ने उनकी ही अनुशंसा पर गढ़ा के जागीरदार परिवार के हीरेन्द्र सिंह बंटी बना को मैदान में उतारा है. उनके पिता मूल सिंह लंबे समय तक दिग्विजय सिंह के समर्थक रहे थे. दिग्विजय सिंह ने उन्हें विधायक भी बनाया लेकिन जब इस सीट से दिग्विजय ने अपने बेटे जयवर्धन सिंह को आगे बढ़ाया तो दोनों परिवार दूर हो गए. सिंधिया ने मूल सिंह के बेटे बना साहब पर डोरे डाले और अब उन्हें टिकट दिलाकर दिग्विजय सिंह के खिलाफ जंग की कमान अपने हाथ ले ली. जाहिर है इससे अब राघोगढ़ में मुकाबला रोचक बन गया है.
कानों-कान नहीं हुई खबर
सोमवार को प्रघानमंत्री नरेन्द्र मोदी भोपाल में थे और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल,फग्गन सिंह कुलस्ते और वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय (Prahlad Patel, Faggan Singh Kulaste and senior leader Kailash Vijayvargiya) उनके साथ मंच पर ही थे लेकिन इनमें से कोई नही भांप सका कि मोदी के मन में क्या चल रहा है ? मोदी ने अपना दौरा खत्म कर दिल्ली कूच किया और उधर से बीजेपी की सूची आ गयी. इसमें तोमर,पटेल,विजयवर्गीय अचानक राष्ट्रीय राजनीति से प्रदेश की सियासत में आ चुके थे. स्वयं कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि वे नाम देखकर चौंक पड़े.
कांटो भरा है रास्ता
अगर मोदी के इस फैसले पर गौर करे तो पाएंगे कि बीजेपी ने अपने केंद्रीय मंत्री और सांसद जैसे कद्दावर नेताओं को अचानक विधानसभा में उतारकर उनके लिए कोई फूलों की सड़क नहीं बिछाई है बल्कि उनका रास्ता कांटों भरा है.
कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर एक से उतारा गया जहां से कांग्रेस के संजय शुक्ला मैदान में हैं.रीति पाठक को मूत्रकाण्ड के चलते केदार शुक्ला का टिकट काटकर मैदान में उतारा गया है क्योंकि वहां हालात खराब हैं. जबलपुर में दिग्गज सांसद राकेश सिंह को जबलपुर पश्चिम से टिकट दिया गया है. यह सीट कॉंग्रेस के कब्जे में है और भनौत परिवार का यहां अच्छा प्रभाव है. इसी प्रकार नर्मदापुरम सीट से सांसद उदयप्रताप सिंह को गाडरवाड़ा से उतारा गया है जिस पर कांग्रेस का कब्जा है.
1984 के राजीव गांधी के फार्मूले की झलक
बीजेपी की इस सूची से अस्सी के दशक में कांग्रेस द्वारा अपनाई रणनीति की झलक मिलती है. 1984 में राजीव गांधी ने तब के विपक्ष के बड़े नेताओं को हराने के लिए चौंकाने वाले चेहरे उतार दिए थे। अटल विहारी वाजपेयी के खिलाफ माधव राव सिंधिया,हेमवती नंदन बहुगुणा के खिलाफ अमिताभ बच्चन इसके उदाहरण थे. इसका नतीजा यह निकला था कि उस संसद में विपक्ष का कोई भी नेता जीतकर नही पहुंच सका था.
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