![सामरी और रामानुजगंज विधानसभा : दोनों ही आदिवासी सीट पर क्यों हुई कांग्रेस की हार और BJP की जीत सामरी और रामानुजगंज विधानसभा : दोनों ही आदिवासी सीट पर क्यों हुई कांग्रेस की हार और BJP की जीत](https://c.ndtvimg.com/2023-12/1le9pgh_cg-election_625x300_09_December_23.jpg?downsize=773:435)
Chhattisgarh Assembly Election Results 2023 : प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को घोषित हो चुके हैं. बलरामपुर जिले में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने दोनों सीटों पर जीत का परचम लहराया है, जिले में पिछले दस साल के वनवास को खत्म किया है. जिले के सामरी एवं रामानुजगंज विधानसभा सीट पर पिछले दस वर्षों से कांग्रेस (Congress Party) का कब्जा था, लेकिन हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपनी सत्ता बरकार रखने में कामयाब नहीं हो सकी और भाजपा से करारी शिक्कत झेलनी पड़ी. आखिर दोनों सीटों के कांग्रेस प्रत्याशियों की हार क्यों हुई, इसकी वजह हम यहां जानेंगे.
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है दोनों सीट
बलरामपुर जिले के सामरी विधानसभा सीट और हाई प्रोफाइल सीट कहलाने वाली रामानुजगंज विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है, यहां आदिवासी समुदाय के मतदाता चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. दोनों विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के बहुताय वोटर भी हैं, हार जीत का फैसला इन्हीं के वोटों से होता है. इस विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं ने अपने चहते प्रत्याशियों को जीत दिलाने में पूरा दमखम झोंक दिया.
BJP ने कांग्रेस को बड़े अंतर से हराया
हाई प्रोफाइल सीट रामानुजगंज विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी राम विचार ने कांग्रेस प्रत्याशी डॉ अजय तिर्की को 29 हजार 740 वोटों से बड़ी शिक्कात दी. भाजपा के प्रत्याशी नेताम को डाक मत्र सहित कुल 99 हजार 574 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ तिर्की को 69 हजार 911 वोट मिले. इसके साथ ही सामरी से भाजपा प्रत्याशी उदेश्वरी पैकरा ने कांग्रेस प्रत्याशी विजय पैकरा को 13 हजार 643 वोटों से हराकर जीत दर्ज की. भाजपा को डाक मत पत्र सहित 83 हजार 483 वोट मिले जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार विजय को 69 हजार 540 वोट मिले.
रामानुजगंज सीट में कांग्रेस की बड़ी हार की प्रमुख वजह
भाजपा की पहली सूची में नेताम के नाम का ऐलान करना, वहीं सिटिंग विधायक बृहस्पति सिंह का टिकट कटना प्रमुख कारण है. रामानुजगंज सीट पर पिछले 10 सालों से कांग्रेस का कब्जा था और बृहस्पति सिंह विधायक थे, लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस ने उनका टिकट काटकर अंबिकापुर के महापौर डॉ अजय तिर्की को प्रत्याशी बनाया था. टिकट कटने की वजह से नाराज चल रहे बृहस्पति सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी का सपोर्ट नहीं किया. इससे खेरवार जनजाति का प्रभावित हुआ. बृहस्पति सिंह ने डॉ अजय तिर्की को चुनाव में समर्थन नहीं दिया और उनके समर्थन में प्रचार भी नहीं किया. बृहस्पति सिंह खेरवार समाज से ही आते हैं और कांग्रेस का यह पारंपरिक वोट बैंक रहा था, लेकिन इस चुनाव में खेरवार समाज का वोट बीजेपी की तरफ पलट गया, कांग्रेस की हार की बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है.
सामरी विधानसभा से कांग्रेस की हार के प्रमुख कारण
सामरी विधानसभा सीट में सिटिंग विधायक चिंतामणि महाराज का टिकट कटने और नए प्रत्याशी को टिकट देकर उम्मीदवार बनाना कांग्रेस को महंगा पड़ा. इसके साथ ही पार्टी के अंदर आंतरिक गुटबाजी भी हार की बड़ी वजह है. चिंतामणि महाराज टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर भाजपा में शामिल हो गए थे, वहीं उनके कई समर्थक जो कांग्रेस पार्टी में बने हुए थे, उन्होंने अंदर खाने से कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया. यही कारण रहा कि आदिवासी बाहुल्य सामरी सीट से बीजेपी की प्रत्याशी उद्देस्वरी पैकरा ने जीत दर्ज कर कांग्रेस को मात दी.
आंतरिक गुटबाजी कांग्रेस को बड़ी भारी
रामानुजगंज विधानसभा में कांग्रेस की बड़ी हार के प्रमुख कारण पार्टी की आंतरिक गुटबाजी बनी. इस सीट पर सिटिंग एमएलए बृहस्पति सिंह का टिकट काटा गया था, जिसकी जगह पर टीएस सिंह देव के करीबी डॉ अजय तिर्की को टिकट मिला. इसकी सबसे बड़ी वजह सिंह देव और बृहस्पति सिंह के बीच हुआ विवाद था, जिसके कारण सिंह देव के समर्थक बृहस्पति सिंह का विरोध कर रहे थे, हालांकि आलाकमान ने सिंह देव को नाराज ना करते हुए अजय तिर्की को टिकट दिया. ऐसा ही समरी विधानसभा सीट पर भी देखने को मिला जहां सिटिंग एमएलए चिंतामणि महाराज के कामकाज से नाराज कार्यकर्ताओं ने चिंतामणि के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन किया था, जिसे देखते हुए उनका भी टिकट काटते हुए नए प्रत्याशी पर दाव खेलना कांग्रेस को भारी पड़ गया.
यह भी पढ़ें : Lokniti-CSDS Survey : बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार, इन वजहों से कांग्रेस के हाथ से फिसला "धान का कटोरा"