Lokniti-CSDS Post Poll Survey Chhattisgarh Assembly Election : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जिस तरीके से जीत हासिल की है, उसने सबको चौंका दिया है. कांग्रेस पार्टी (Congress Party) पर बीजेपी की दमदार जीत के पैमाने से कई विश्लेषक और पर्यवेक्षक आश्चर्यचकित हैं. कांग्रेस की करारी हार और बीजेपी की प्रचंड के मायने तक और बढ़ जाते हैं जब कई एग्जिट पोल (Exit Polls) ने या तो इस राज्य में कड़ी टक्कर या कांग्रेस की जीत का अनुमान लगाया था. आखिरकार परिणाम जब आए तो भाजपा ने 4 फीसदी वोट शेयर के अंतर से कांग्रेस को हरा दिया. इस बार दोनों पार्टियों के बीच सीटों का बड़ा अंतर देखने को मिला. जहां कांग्रेस 42.33 फीसदी वोट शेयर के साथ 35 सीटों पर सिमट कर रह गई वहीं बीजेपी 46.27 फीसदी वोट शेयर के साथ 54 सीटों का भारी बहुमत हासिल किया. नफा-नुकसान की बात करें तो बीजेपी को 39 सीटों का फायदा हुआ है और कांग्रेस को 33 सीटें गंवानी पड़ी हैं. वहीं एक सीट BSP+GGP के खाते में गई है, इसे भी एक सीट का नुकसान देखना पड़ा है. आंकड़ें बताते हैं कि जहां भाजपा ने पिछले चुनाव के बाद से जीती गई सीटों की संख्या में चार गुना वृद्धि दर्ज की, वहीं कांग्रेस की सीटों की संख्या लगभग आधी रह गई है. सबको हैरान करने वाले छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणाम पर विश्लेषण करने के लिए लोकनीति-सीएसडीएस (Lokniti-CSDS Survey) का सर्वे हुआ जिसमें उन फैक्टर्स या कारकों पर प्रकाश डाला गया है, जिसने कांग्रेस की करारी हार और बीजेपी की बंपर जीत में योगदान दिया.
कांग्रेस के खिलाफ थे बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार
लोकनीति-सीएसडीएस सर्वे के आंकड़ों को देखने पर पता चलता है कि बेरोजगारी (Unemployment), महंगाई (Price Rise) और भ्रष्टाचार (Corruption) जैसे मुद्दों ने कांग्रेस के खिलाफ काम किया. ऐसा प्रतीत होता है कि ये सभी कारक का इस्तेमान भाजपा ने अपने चुनाव अभियान ने किया और माहौल अपने पक्ष में कर लिया.
मोदी मैजिक का भी रहा असर
इस सर्वे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के प्रदर्शन के बारे में लोकप्रिय धारणाओं का असर दिखाई दिया. सर्वे में यह देखा गया कि केंद्र सरकार की सराहना काफी अधिक थी और इस फैक्टर ने मतदाताओं (Voters) के वोट को भाजपा के पक्ष में झुका दिया. राज्य सरकार के लिए वोटर्स का समर्थन कम था.
वोटिंग के दिन तक वोटर्स ने तय किया अपना मत
चुनाव अभियान (Election Campaign) ने भी मतदाताओं की पसंद को प्रभावित किया है. केवल एक-चौथाई उत्तरदाताओं (23%) ने कहा कि उन्होंने औपचारिक चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले अपना वोट तय कर लिया था. यह संख्या कुछ अन्य राज्यों की तुलना में बहुत कम है. वहीं अन्य एक-चौथाई (25%) मतदाताअें ने उम्मीदवारों की घोषणा के बाद अपना मतदान निर्णय लिया. दो-तिहाई (32%) ने चुनाव अभियान की अवधि के दौरान अपना वोट देने का निर्णय लिया और एक-छठे (17%) ने मतदान के दिन अपना निर्णय लिया. चूंकि अभियान के दौरान और मतदान के अंतिम दिन लगभग आधे मतदाताओं ने निर्णय लिया कि किसे वोट देना है, इससे ऐसा प्रतीत होता है कि अभियान के रुझान ने उन्हें स्पष्ट रूप से प्रभावित किया है. जिन लोगों ने कहा कि उन्होंने अभियान शुरू होने के बाद तय किया कि किसे वोट देना है, उनमें से बड़ी संख्या में लोगों ने बीजेपी को वोट दिया.
इनके वोटों से बीजेपी ने दर्ज की प्रचंड जीत?
सर्वे में जनसांख्यिकीय प्रोफाइल (Demographic Profile) को दर्शाता गया है जिसमें यह बताया गया है कि किस आयुवर्ग, क्षेत्र, शैक्षणिक योग्यता और कमाई के स्तर वाले वोट किस पार्टी को मिले हैं. यहां सबसे पहले हम आयु वर्ग की बात करते हैं. लोकनीति-सीएसडीएस सर्वे के अनुसार 25 वर्ष तक के वोटर्स का 43 फीसदी वोट कांग्रेस के पक्ष में गया जबकि 48 प्रतिशत वोट बीजेपी को मिला. वहीं 26 से 35 वर्ष तक के वोटर्स का 43 फीसदी वोट कांग्रेस के पक्ष में गया जबकि 46 प्रतिशत वोट बीजेपी को मिला. जबकि 36 से 45 वर्ष तक के वोटर्स का 41 फीसदी वोट कांग्रेस के पक्ष में गया और 47 प्रतिशत वोट बीजेपी को मिला. 46 से 55 वर्ष के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस वर्ग वोटर्स का 42 फीसदी वोट कांग्रेस के पक्ष में गया जबकि 44 प्रतिशत वोट बीजेपी को मिला. अंत में 55 और इससे अधिक आयु वर्ग के वोटों की बात करें तो 42 फीसदी वोट कांग्रेस के पक्ष में गया जबकि 46 प्रतिशत वोट बीजेपी को मिला.
अनपढ़ से लेकर ग्रेजुएट तक किसने किसका साथ दिया?
सर्वे के अनुसार निरक्षर या अनपढ़ वर्ग के मतदाताओं के 43 फीसदी वोट कांग्रेस को मिले जबकि 50 प्रतिशत बीजेपी को प्राप्त हुए. वहीं प्राइमरी तक पढ़े मतदाताओं के 41 फीसदी वोट कांग्रेस को मिले जबकि 44 प्रतिशत बीजेपी को प्राप्त हुए. मैट्रिक तक पढ़े मतदाताओं के 44 फीसदी वोट कांग्रेस को मिले जबकि 48 प्रतिशत बीजेपी को प्राप्त हुए. इंटरमीडिएट मतदाताओं के 41 फीसदी वोट कांग्रेस को मिले जबकि 45 प्रतिशत बीजेपी को प्राप्त हुए. ग्रेजुएट और इससे अधिक पढ़े-लिखे मतदाताओं के 40 फीसदी वोट कांग्रेस को मिले जबकि 47 प्रतिशत बीजेपी को प्राप्त हुए.
आर्थिक स्तर के वोटों का हाल कुछ ऐसा रहा
सर्वे में बताया गया है कि गरीब वर्ग के मतदाओं के 40 फीसदी वोट कांग्रेस के पाले में गए और 50 प्रतिशत मत बीजेपी के हिस्से आए. निम्न वर्ग के मतदाओं के 46 फीसदी वोट कांग्रेस को गए और 45 प्रतिशत मत बीजेपी को प्राप्त हुए. मध्यम वर्ग के मतदाओं के 43 फीसदी वोट कांग्रेस के पाले में गए और 45 प्रतिशत मत बीजेपी के हिस्से आए. अमीर वर्ग के 32% वोट कांग्रेस को मिले और 50 फीसदी वोट बीजेपी के हिस्से में गए.
जातियों और समुदायों ने किसका दिया साथ?
लोकनीति-सीएसडीएस पोस्ट पोल सर्वे के अनुसार उच्च जाति के मतदाताओं 39 फीसदी वोट कांग्रेस को मिले हैं जबकि 54% मत बीजेपी को गए हैं. पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी (OBC) जातियों के मतदाताओं 39 फीसदी वोट कांग्रेस को मिले हैं जबकि 49% मत बीजेपी को गए हैं. दलित मतदाताओं 48 फीसदी वोट कांग्रेस को मिले हैं जबकि 39% मत बीजेपी को गए हैं. आदिवासी मतदाताओं 42 फीसदी वोट कांग्रेस को मिले हैं जबकि 46% मत बीजेपी को गए हैं. मुस्लिमों मतदाताओं 53 फीसदी वोट कांग्रेस को मिले हैं जबकि 27% मत बीजेपी को गए हैं. बीजेपी ने उत्तर और दक्षिण छत्तीसगढ़ में असाधारण प्रदर्शन किया, जबकि मध्य क्षेत्र में कांग्रेस ने जीती गई सीटों के मामले में कड़ी टक्कर दी. यहां यह ध्यान देने वाली बात यह है कि कांग्रेस ने दक्षिण छत्तीसगढ़ में 2018 के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की थी.
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