Heritage Of Madhya Pradesh
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UNESCO ने ग्वालियर के किले को अस्थायी सूची में किया शामिल, जानें इसकी खासियत?
Gwalior Fort: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में मौजूद ग्वालियर किले का निर्माण 8वीं शताब्दी में किया गया था. ये किला मध्यकालीन स्थापत्य के अद्भुत नमूनों में से एक है. ये ग्वालियर शहर के गोपांचल नामक छोटी पहाड़ी पर स्थित है. ये किला लाल बलुए पत्थर से निर्मित है.
- Saturday March 16, 2024
- Reported by: देव श्रीमाली, Edited by: Priya Sharma |
- mpcg.ndtv.in
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सागर : 206 साल पुरानी है "पुतरियो के मेले" की यह परंपरा
भादों के माह में प्रतिवर्ष गाँव में एक मेले का आयोजन होता है ,जिसे "पुतरियो के मेले" के नाम से जाना जाता है. आपको बता दे बुंदेलखंड में मिट्टी की मूर्तियों को "पुतरिया" कहा जाता है. प्राचीनकाल में ग्राम के पाण्डेय परिवार द्वारा प्रारम्भ की गई मिट्टी की मूर्तियो की झांकी की परम्परा चौथी पीढ़ी तक बरकरार है.
- Thursday October 5, 2023
- Reported by: रचित दुबे, Edited by: प्रेरणा किरण |
- mpcg.ndtv.in
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UNESCO ने ग्वालियर के किले को अस्थायी सूची में किया शामिल, जानें इसकी खासियत?
Gwalior Fort: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में मौजूद ग्वालियर किले का निर्माण 8वीं शताब्दी में किया गया था. ये किला मध्यकालीन स्थापत्य के अद्भुत नमूनों में से एक है. ये ग्वालियर शहर के गोपांचल नामक छोटी पहाड़ी पर स्थित है. ये किला लाल बलुए पत्थर से निर्मित है.
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सागर : 206 साल पुरानी है "पुतरियो के मेले" की यह परंपरा
भादों के माह में प्रतिवर्ष गाँव में एक मेले का आयोजन होता है ,जिसे "पुतरियो के मेले" के नाम से जाना जाता है. आपको बता दे बुंदेलखंड में मिट्टी की मूर्तियों को "पुतरिया" कहा जाता है. प्राचीनकाल में ग्राम के पाण्डेय परिवार द्वारा प्रारम्भ की गई मिट्टी की मूर्तियो की झांकी की परम्परा चौथी पीढ़ी तक बरकरार है.
- Thursday October 5, 2023
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