
Maratha Military Landscapes of India: भारत की सांस्कृतिक विरासत में यूनेस्को ने 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप' यानी 'मराठा सैन्य परिदृश्य' को अपनी विश्व धरोहर सूची में शामिल किया है. इसमें मराठा साम्राज्य के 12 ऐतिहासिक किलों को शामिल किया गया है, जिनमें 11 महाराष्ट्र और 1 तमिलनाडु में स्थित हैं. यह भारत की 44वीं संपत्ति है जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पोस्ट में लिखा, "इस सम्मान से हर भारतीय गदगद है. इन 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप' में 12 भव्य किले शामिल हैं, जिनमें से 11 महाराष्ट्र में और 1 तमिलनाडु में है."
भारत के लिए गर्व एवं ऐतिहासिक दिन 🇮🇳
— Nidarshana Gowani (@Nidarshana2207) July 12, 2025
यूनेस्को ने ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स ऑफ इंडिया मराठा साम्राज्य के 12 प्रतिष्ठित किलों को विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित किया है।
17वीं–19वीं सदी के ये भव्य किले 11 महाराष्ट्र में और 1 तमिलनाडु में, यह भारत के समृद्ध इतिहास, सांस्कृतिक… pic.twitter.com/pIZ1JiSlGE
ऐसा है मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स
"भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य" वर्ष 2024-25 के लिए यूनेस्को की विश्व विरासत सूची के लिए नामांकन किया गया था. इसमें बारह घटक भाग हैं- महाराष्ट्र में सालहेर किला, शिवनेरी किला, लोहागढ़, खंडेरी किला, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजय दुर्ग, सिंधुदुर्ग और तमिलनाडु में जिंजी किला. वैविध्यपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों एवं क्षेत्रों में फैले हुए ये घटक मराठा शासन की रणनीतिक सैन्य शक्तियों को प्रदर्शित करते हैं.
सुवर्णदुर्ग किला
17वीं और 19वीं शताब्दी के बीच विकसित हुए भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य तत्कालीन मराठा शासकों द्वारा परिकल्पित की गई एक असाधारण किलेबंदी और सैन्य प्रणाली का प्रतिनिधित्व करते हैं. किलों का यह असाधारण तन्त्र, पदानुक्रम, पैमाने और प्रतीकात्मक वर्गीकरण की विशेषताओं में भिन्नता लिए हुए भारतीय प्रायद्वीप में सह्याद्री पर्वत श्रृंखलाओं, कोंकण तट, दक्कन के पठार और पूर्वी घाटों के लिए विशिष्ट परिदृश्य,क्षेत्र एवं भौगोलिक विशेषताओं को एकीकृत करने का परिणाम है.
सिंधुदुर्ग किला
महाराष्ट्र में विद्यमान 390 से अधिक किलों में से केवल 12 किले भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य के अंतर्गत चुने गए है और इनमें से आठ किले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (आर्कियोलोजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया) द्वारा संरक्षित हैं. ये हैं शिवनेरी किला, लोहगढ़, रायगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग और जिंजी किलाI जबकि सालहेर किला, राजगढ़, खंडेरी किला और प्रतापगढ़ पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय, महाराष्ट्र सरकार द्वारा संरक्षित हैं. भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य में सालहेर किला, शिवनेरी किला, लोहागढ़, रायगढ़, राजगढ़ और जिंजी किला पहाड़ी किले हैं, वहीं प्रतापगढ़ पहाड़ी-वन्य किला है एवं पन्हाला पहाड़ी-पठार किला है तथा विजयदुर्ग तटीय किला है जबकि खंडेरी किला, सुवर्णदुर्ग और सिंधुदुर्ग द्वीपीय किले हैंI
पन्हाला किला
मराठा सैन्य विचारधारा की शुरुआत 17वीं शताब्दी में मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल के समय 1670 ई. में हुई और यह बाद के नियमों के अनुसार 1818 ई. तक चले पेशवा शासन तक जारी रही.
🔴 BREAKING!
— UNESCO 🏛️ #Education #Sciences #Culture 🇺🇳 (@UNESCO) July 11, 2025
New inscription on the @UNESCO #WorldHeritage List: Maratha Military Landscapes of India, #India 🇮🇳.
➡️ https://t.co/seTyyVu3sT #47WHC pic.twitter.com/mEpa6RWLRx
सुशासन, सैन्य शक्ति, सांस्कृतिक गौरव और सामाजिक कल्याण
पीएम मोदी ने आगे लिखा, "जब हम गौरवशाली मराठा साम्राज्य की बात करते हैं, तो हम इसे सुशासन, सैन्य शक्ति, सांस्कृतिक गौरव और सामाजिक कल्याण पर जोर से जोड़ते हैं. महान शासक किसी भी अन्याय के आगे न झुकने के अपने साहस से हमें प्रेरित करते हैं. मैं सभी से इन किलों को देखने और मराठा साम्राज्य के समृद्ध इतिहास के बारे में जानने का आह्वान करता हूं."
A proud moment for India's architectural heritage! 🇮🇳
— Ministry of Culture (@MinOfCultureGoI) July 12, 2025
Including the 'Maratha Military Landscapes of India' as the 44th #UNESCO World Heritage Site highlights our country's remarkable historical heritage and enduring cultural legacy on the global stage. (1/3)#CultureUnitesAll pic.twitter.com/jXe7faYsz6
वहीं, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यह सम्मान भारत की प्राचीन सभ्यता और मराठा साम्राज्य की वास्तुकला की उत्कृष्टता को रेखांकित करता है.
ऐसा है इतिहास
ये किले 17वीं से 19वीं सदी के बीच निर्मित हुए और मराठा साम्राज्य की सैन्य रणनीति, स्थापत्य कला और पर्यावरण के साथ सामंजस्य का प्रतीक हैं. इन किलों में रायगढ़, शिवनेरी, तोरण, लोहगढ़ और साल्हेर जैसे नाम शामिल हैं, जो मराठा शौर्य और साहस की कहानियां बयां करते हैं. इस उपलब्धि से महाराष्ट्र में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
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