
शहडोल जिले के ग्रामीण इलाकों की स्वास्थ्य व्यवस्था काफी लचर है. यहां न तो डॉक्टर मौजूद हैं, ना ही कोई कंपाउंडर. ऐसे में यहां मौजूद सिक्योरिटी गार्ड रोगियों के ब्लड प्रेशर की खुद जांच करते हैं. सबसे हैरान कर देने वाली बात ये है कि गार्ड ही पर्ची भी लिखता है. यहां रोगियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जानकारी के मुताबिक, शासन द्वारा यहा डॉक्टर के पद 2 स्वीकृत है. इसके अलावा 6 पद स्टाफ नर्स के 1 एक पद ड्रेसर का एक पद कम्पाउंडर का स्वीकृत है.
4 स्टाफ नर्स यह अभी वर्तमान में काम कर रही है. ड्रेसर का पद रिक्त है और कम्पाउंडर रिटायर हो गया है.
पहले यहां पदस्थ डॉक्टर भूपेंद्र सिंह सेंगर पीजी के लिए जिला अस्पताल में प्रशिक्षण के लिए आ गए.जिससे ये सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डॉक्टर विहीन हो गया और आने वाले रोगियों का उपचार नही हो पा रहा है. वहीं पुलिस को भी MLC केस और पोस्टमार्टम में काफी परेशानी होती है.
डॉक्टर विहीन अस्पताल होने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी शहडोल द्वारा जैतपुर और केशवाही के डॉक्टरो की सप्ताह में दो दो दिन के लिए यहां ड्यूटी लगाई गई है, जिससे यह मरीजो का इलाज हो सके. इन डॉक्टरों का आने का भी कोई समय निर्धारित नहीं रहता, जिसके कारण रोगियों का उपचार इलाज समय पर नही हो पा रहा है.