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This Article is From Nov 07, 2023

Diwali 2023: MP के इस मंदिर में दिवाली पर प्रसाद में बाटंते हैं सोने-चांदी के आभूषण, लग जाता हैं भक्तों का तांता

मध्य प्रदेश के रतलाम (Ratlam) जिले में एक माता महालक्ष्मी (Mata Mahalaxmi Mandir) का अनोखा मंदिर है. जहाँ सोने-चाँदी के रूप में प्रसाद वितरित किया जाता है. यहां माता महालक्ष्मी की पूजा के बाद दर्शन करने आए भक्तों को सोना-चाँदी से बने आभूषण प्रसाद के रूप में दिए जाते हैं.

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Diwali 2023: MP के इस मंदिर में दिवाली पर प्रसाद में बाटंते हैं सोने-चांदी के आभूषण, लग जाता हैं भक्तों का तांता

Festival of Lights: दिवाली का त्यौहार पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन माता लक्ष्मी-कुबेर (Laxmi Kuber Pooja) की पूजा की जाती है. साल के सबसे बड़े त्यौहार को मनाने की हर जगह अलग-अलग परंपरा हैं. दिवाली (Diwali) के दिन पूजा के बाद प्रसाद भी बांटा जाता है, जिसमें मिठाइयां या अन्य खाद्य सामग्री बांटी जाती हैं. लेकिन मध्य प्रदेश में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां प्रसाद में सोना-चांदी वितरित किया जाता है. आइए जानते हैं मंदिर के इतिहास के बारे में.

रतलाम का ये मंदिर है बेहद खास

मध्य प्रदेश के रतलाम (Ratlam) जिले में माता महालक्ष्मी (Mata Mahalaxmi Mandir) का अनोखा मंदिर है. जहां सोने-चांदी के रूप में प्रसाद वितरित किए जाते हैं. यहां माता महालक्ष्मी की पूजा के बाद दर्शन करने आए भक्तों को सोने-चांदी से बने आभूषण प्रसाद के रूप में दिए जाते हैं. इसके साथ यहां आए लोग माता महालक्ष्मी के चरणों में सोना-चांदी ही अर्पण करते हैं और जीवन में खुशियां और सफलता पाने के लिए प्रार्थना करते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से साल के अंत में उनकी आय दोगुनी हो जाती है.

नोटों और आभूषणों से सजाया जाता है मंदिर

दिवाली के समय इस मंदिर की खास सजावट की जाती है. मंदिर इस तरीके से सजाया जाता है कि दर्शन करने आए श्रद्धालु सजावट देखकर भौचक्के रह जाते हैं. पूरे मंदिर को नोटों और आभूषणों से सजाया जाता है, जिसकी कीमत सौ करोड़ तक पहुंच जाती है जितना धन मंदिर की सजावट के लिए श्रद्धालु दान करते हैं उसे उसके बाद वह वापस भी कर दिया जाता है. जिसके लिए उन्हें धनराशि की रसीद दी जाती है और भाई दूज के दिन टोकन वापस करके उनका धन और आभूषण भी वापस कर दिया जाता है.

धनतेरस के दिन खुलता है मंदिर

मध्य प्रदेश के रतलाम में माता लक्ष्मी का ये मंदिर केवल धनतेरस के दिन ही शुभ मुहूर्त में खोला जाता है. जहां पांच दिनों तक हर्षोल्लास के साथ दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है. कहा जाता है कि भक्त माता महालक्ष्मी के लिए घर से आभूषण लाते हैं और जो ऐसा करता है उसके घर में सुख समृद्धि बनी रहती है.

प्रसाद में मिले आभूषणों को नहीं करते हैं खर्च

मंदिर की वो खास बात जो इसे बाकी मंदिरों से अलग बनाता है. वह ये है कि दीवाली के पर्व के दौरान दर्शनार्थियों को प्रसाद के रूप में आभूषण और नकदी चीजें दी जाती है. इसे प्राप्त करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. कहा जाता है कि इस मंदिर में मिले आभूषण को श्रद्धालु ख़र्च नहीं करते हैं, बल्कि तिजोरी में रख देते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से दोगुनी नहीं, बल्कि चौगुनी हो जाती है.

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