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CG News : खतरे में नदियां, अवैध-निरंकुश तरीके से हो रहा रेत खनन, जिम्मेदार क्यों नहीं ले रहे एक्शन?

जिले में नदियों का दोहन करना कोई नया काम नहीं है, यह काफी लंबे समय से चला आ रहा है, जब जी चाहे, जितना चाहे वे नदी से बगैर परमिशन बालू (रेत) उठाकर ले जाता है. बलरामपुर जिले में बहने वाली सेंदुर, चनान, बेनगंगा, कन्हर, गलफुला, मोरन सहित कई छोटी से बड़ी नदियों से रोजाना 200 से 300 ट्रैक्टर एवं छोटे ट्रक में बालू भरकर लोकल एरिया से लेकर अन्य प्रांतों में भी भेजा जा रहा है.

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CG News : खतरे में नदियां, अवैध-निरंकुश तरीके से हो रहा रेत खनन, जिम्मेदार क्यों नहीं ले रहे एक्शन?
बलरामपुर:

Sand Mining in Chhattisgarh : बलरामपुर जिले (Balrampur District) में इन दिनों नदियों में अवैध रेत उत्खनन (Illegal sand mining in rivers) जोरों पर है. रेत माफियाओं (Sand Mafia) द्वारा रेत उत्खनन का गोरख धंधा काफी दिनों से किया जा रहा है, ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि रेत उत्खनन करने वाले एवं माफियाओं पर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा एक्शन क्यों नहीं लिया जा रहा है. बता दें कि जिले में नदियों का दोहन करना कोई नया काम नहीं है, यह काफी लंबे समय से चला आ रहा है, जब जी चाहे, जितना चाहे वे नदी से बगैर परमिशन बालू (रेत) उठाकर ले जाता है. बलरामपुर जिले में बहने वाली सेंदुर, चनान, बेनगंगा, कन्हर, गलफुला, मोरन सहित कई छोटी से बड़ी नदियों से रोजाना 200 से 300 ट्रैक्टर एवं छोटे ट्रक में बालू भरकर लोकल एरिया से लेकर अन्य प्रांतों में भी भेजा जा रहा है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) व स्थानीय प्रतिनिधि के संरक्षण में रेत माफिया फल-फूल रहे हैं और रेत उत्खनन जैसे अनैतिक कार्य कर नदियों का दोहन कर रहे हैं.

बलरामपुर में अवैध और निरंकुश तरीके से हो रहा है रेत खनन

बलरामपुर में अवैध और निरंकुश तरीके से हो रहा है रेत खनन

प्राकृतिक संपदा से भरपूर है बलरामपुर

छत्तीसगढ़ प्रदेश में बलरामपुर जिला अपना एक अलग ही पहचान रखता है. बलरामपुर जिले की धरती में प्राकृतिक धन संपदा की कमी नहीं है. जिले में कोल माइंस (Coal Mines), एलमुनियम (Aluminum), बॉक्साइट (Bauxite) से लेकर गिट्टी, सोना (Gold) और चांदी (Silver) जैसी धातुओं व खनिजों की उपलब्धता है. लेकिन जिले के प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा इन प्राकृतिक संपदाओं को लेकर कभी भी गंभीरतापूर्वक ध्यान नहीं दिया.

बालू तस्करों का अड्डा बना बलरामपुर

कुछ बालू तस्करों के द्वारा यहां की नदियों के अस्तित्व पर हमला किया जा रहा है. बालू तस्कर जिले की हर छोटी बड़ी नदियों को अपना शिकार बना रहे हैं. चाहे रामानुजगंज शहर की जीवनदायनी कहे जाने वाली कन्हर नदी हो या चाहे बलरामपुर जिला मुख्यालय से होकर गुजरने वाली सेंदूर, चनान या फिर शंकरगढ़ कुसमी के बॉर्डर पर बहने वाली गलफूल नदी हो, हर जगह बालू तस्करों का अड्डा बना हुआ है.

बता दें कि विकासखंड रामचंद्रपुर के सनवाल गांव में पगन नदी का पुल रेत उत्खनन की वजह से ही धस गया था, जिस पर आज तक कोई कार्यवाही तक नहीं हुई. इस घटना से कोई सबक नहीं लिया गया जिससे बाकी नदियों के अस्तित्व पर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है.

विकासखंड कुसमी और विकासखंड शंकरगढ़ के बीच सीमा पर बहने वाली गलफुला नदी पर प्रतिदिन सुबह से लेकर शाम तक रोजाना सैकड़ों ट्रिप बालू माफियाओं के द्वारा ले जायी जा रही है. इतनी भारी मात्रा में नदियों से बालू ले जाया जा रहा है तो सवाल उठना भी लाजमी है कि जिले की नदियों की अस्मिता कैसे बचेगी? यहां की नदियां जिंदा रह पाएगी या नहीं? इस मामले पर खनिज विभाग (Mining Department), खाद विभाग, राजस्व विभाग (Revenue Department) और पुलिस विभाग (Police Department) जरा सा भी ध्यान नहीं दे रही है.

क्या रेत माफियाओं को मिल रहा है राजनीतिक संरक्षण?

NDTV ने ग्रामीणों से जब रेत उत्खनन पर कार्यवाही को लेकर पूछा तो ग्रामीणों ने दावा किया कि रेत माफियाओं द्वारा पिछले महीना से रेत का अवैध खनन किया जा रहा है. यहां से बालू ले जाकर लोकल एरिया एवं अन्य जगहों में भी चोरी-छिपे भेजा जा रहा है, प्रशासन को भी इस बात की जानकारी है, लेकिन प्रशासन कोई एक्शन नहीं ले रहा है. सवाल यह है कि उत्खनन एवं माफियाओं पर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है? कुछ लोगोंका कहना है कि कहीं ना कहीं राजनीति से संबंध रखने वाले लोगों का संरक्षण इन्हें प्राप्त है. यही वजह है कि जिला प्रशासन इस अनैतिक कार्य पर हस्तक्षेप नहीं कर पा रहा है.

जिम्मेदारों ने दिया रटा रटाया जवाब

इस मामले को लेकर NDTV ने जब शंकरगढ़ कुसमी SDM से बात की तो उन्होंने बताया कि बालू तस्करी पर जल्द ही कार्यवाही करेंगे. अब देखने वाली बात यह है कि कब नदियों से बालू तस्करी का काम रुकता है या फिर माफियाओं खेल जारी रहेगा.

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