
International Women's Day Special Story: आज का दौर वूमेन (Women's Day) पावर का है. हर तरफ महिलाएं सभी भूमिकाओं में आपको दिख जाएंगी. यहां तक कि जिन कामों को पहले केवल पुरुषों के लिए माना जाता था वे काम भी अब महिलाएं बखूबी कर रही हैं. ऐसे में महिला दिवस (Mahila Diwas) के मौके पर बशीर बद्र साहब की कुछ पंक्तियां अचानक से याद आ गई. "सुब्ह का झरना हमेशा हँसने वाली औरतें, झुटपुटे की नद्दियाँ ख़ामोश गहरी औरतें... सड़कों बाज़ारों मकानों दफ़्तरों में रात दिन... लाल नीली सब्ज़ नीली जलती बुझती औरतें... शहर में इक बाग़ है और बाग़ में तालाब है... तैरती हैं इस में सातों रंग वाली औरतें..." कभी हमारे समाज में औरतों के बारे में यह तक कहा गया ये मर्दों के पैरों की जूतियां हैं, लेकिन महिलाएं हमेशा से ही पूरे परिवार को आकार देती आ रही हैं. इस समय हर क्षेत्र में महिलाएं न केवल पुरुषों के साथ बराबरी पर काम कर रही हैं बल्कि घर से कारखानों तक अहम जिम्मेदारियां निभा रही हैं. महिलाएं अब न केवल सशक्त बन रही हैं बल्कि पितृसत्तात्मक वर्जनाओं को तोड़कर परिवार में निर्णय लेने और नेतृत्वकर्ता की भूमिकाएं भी निभा रही हैं. इन सबके पीछे उनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता है. विभिन्न कंपनियों में न केवल महिलाओं पुरुषों की तुलना में ज्यादा बेहतर काम कर रही हैं बल्कि “मैन पॉवर” की बजाय “वूमेन पावर” के तौरपर पहचान बना रही हैं. देखिए महिला दिवस ये खास रिपोर्ट.
हैवी मशीनों पर बेझिझक काम करती महिलाएं
भोपाल के नजदीक औबेदुल्लागंज में संचालित SMPL इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल इंडस्ट्री में इस समय 60 फीसदी से ज्यादा महिला कर्मचारी काम कर रही हैं. इस फैक्ट्री में रुई की धुनाई से लेकर कपड़ा बनने तक की पूरी प्रक्रिया ऑटोमैटिक हैं. भारी-भरकम विदेशी मशीनें लगाई गई हैं. इन सभी मशीनों पर महिलाओं को बड़ी ही बारीकी से काम करते हुए देखा जा सकता है. जबकि कुछ वर्ष पहले ऐसी मशीनों पर केवल पुरुष ही दिखते थे, लेकिन अब दौर बदल चुका है.

Women's Day Special: SMPL फैक्टी की निटिंग मशीन पर काम करती महिला वर्कर
Photo Credit: Ajay Kumar Patel
निटिंग मशीन ऑपरेटर वर्षा धाकड़ बताती हैं कि "मुझे यहां ज्वॉइन किए हुए दो साल हो गए है. जब यहां आयी तो कुछ पता नहीं था. इस रोजगार से मेरे घर में भी बहुत मदद मिली है. मैंने कभी नहीं सोचा था कि इतनी बड़ी मशीनों पर काम कर पाउंगी, लेकिन आज मैं सक्षम हूं. यहां सारी सुविधाएं मिलती हैं. महिलाओं के साथ अपनी बातें भी कर सकती हूं. हम महिला किसी भी कार्यक्षेत्र में पीछे नहीं हैं. हमें आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता."
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क्या कहते SMPL फैक्ट्री के आंकड़े?
- 60% ज्यादा वर्कर्स महिलाएं
- 60,000 मीट्रिक टन यार्न प्रोडक्शन प्रति वर्ष
- 157 मीट्रिक टन यार्न प्रोडक्शन प्रति दिन
- 35+ देशों में एक्सपोर्ट
- 200+ वैश्विक ब्रांडों के साथ इंटीग्रेटेड
- 100 अत्याधुनिक बुनाई मशीनें
- प्रति वर्ष 18,000 मीट्रिक टन कपड़ा तैयार
- प्रति दिन 50 मीट्रिक टन कपड़े की मैन्युफैक्चरिंग

Women's Day Special: SMPL फैक्टी में काम करती महिला वर्कर
Photo Credit: Ajay Kumar Patel
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फैब्रिक टेस्टिंग मशीन ऑपरेटर ललिता कुशवाहा का कहना है कि मेरे घर में 7 लोग हैं. हम मिडिल क्लास हैं. यहां पर काम करने से हमारे घर में भी बहुत सुधार हुआ है. पहले दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज थे, लेकिन ऐसी कोई समस्या नहीं है. हम जेंट्स से अपने आप को कम नहीं समझते हैं, हम जेंट्स की तरह ही काम करते हैं. हम महिलाएं बड़ा से बड़ा काम कर सकती हैं.
क्वालिटी डिपार्टमेंट की इंजीनियर श्वेता मिश्रा बताती हैं कि "आजकल की सोच हो गई है कि लड़के ही सबकुछ कर सकते हैं लड़किया कुछ करती ही नहीं हैं. यहां पर आप देखेंगे कि आधे से ज्यादा लड़कियां वर्क कर रही हैं. तो इस सोच को बदल रहीं हैं यहां पर. आप हमसे कोई भी काम करवा लीजिए. पुरुषों की सोच को बदलकर महिलाओं को आगे बढ़ाना है."

Women's Day Special: SMPL फैक्टी में काम करती महिला वर्कर्स
Photo Credit: Ajay Kumar Patel
SMPL की सीनियर मैनेजर एचआर साची रैना बताती हैं कि "हमारे पास 5 हजार से ज्यादा इम्प्लॉयी स्ट्रेंथ हैं, जिसमें से 60 से 65 परसेंट फीमेल ऑपरेटर हैं हमारे साथ. पहले ये धारणा होती थी कि पुरुष महिलाओं से ज्यादा बेतहर तरीके से काम करते हैं, वो इन महिलाओं ने गलत साबित कर दिया है. आज की डेट में महिलाएं पुरुषों से कम नहीं हैं काम करने में और उनमें जो ललक है वो कहीं ज्यादा है. जिन महिलाओं ने हमारे यहां ट्रेनी के तौर पर शुरुआत की थी वो आज ट्रेनी मास्टर भी काम कर रही हैं और टीम भी लीड़ कर रही हैं."

Women's Day Special: सिद्धार्थ अग्रवाल, MD, सागर ग्रुप
महिलाओं का सही मायने में सशक्तिकरण कैसे हो सकता हैं. इस बारे में सागर ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर सिद्धार्थ अग्रवाल का कहना है कि हमारा ये मानना है कि "महिलाओं का मेजर इंपॉवरमेंट तभी हो सकता है जब वे मेनस्ट्रीम इंप्लॉयमेंट के इंडियन इको सिस्टम में आएं. मध्य प्रदेश में काफी अच्छा काम हो रहा है. मध्य प्रदेश का जो एक ओवर ऑल इन्वॉयरमेंट हैं, पॉजिटिव इन्वॉयरमेंट, सेफ इन्वॉयरमेंट, स्ट्रॉन्ग लॉ एंड ऑर्डर पोजिशन. ये सब इनकरेज करता है महिलाओं को आगे घर से निकलकर वो फैक्ट्री में काम करें. हम महिला दिवस के दिन कुछ कहना नहीं चाहेंगे बल्कि कॉन्ट्रीब्यूट करना चाहेंगे." महिला दिवस पर आपने देखा कि किस तरह से महिलाएं न केवल पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं बल्कि हैवी मशीनों को भी चला रही हैं. ये वही महिलाएं जो पुरुषवादी सोच को तोड़कर आगे बढ़ रही हैं.
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