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Driving License Rules: एक जून के बाद सुलझेगा ड्राइविंग लाइसेंस का पेंच या होगी परेशानी? इन चुनौतियों का कैसे निकलेगा समाधान..

MP News: एक जून से ड्राइविंग लाइसेंस बनाना आसान हो जाएगा. ऐसा दावा सरकार ने किया है. लेकिन प्रदेश के ड्राइविंग स्कूलों की जो वर्तमान में हालत है, उसको देखकर ऐसा लग तो नहीं रहा है..

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Driving License Rules: एक जून के बाद सुलझेगा ड्राइविंग लाइसेंस का पेंच या होगी परेशानी? इन चुनौतियों का कैसे निकलेगा समाधान..
मध्य प्रदेश के ज्यादातर शहरों में नहीं है सरकार के नए नियम के मुताबिक ड्राइविंग स्कूल.

Driving License New Rules: ना ड्राइविंग स्कूल ना टेस्टिंग ट्रैक है.. ऊपर से सरकार का दावा है कि 1 जून से आसान हो जाएगा ड्राइविंग लाइसेंस (Driving License) बनाना... ये बात कितनी सच है? बता दें कि परिवहन मंत्रालय (Ministry of Transportation) ने 1 जून से ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के नियमों में बदलाव किया है और अब कहा गया है कि ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए आरटीओ ऑफिस (RTO Office) के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे.

इसके लिए परिवहन विभाग का कहना है कि ड्राइविंग स्कूल होंगे और वहीं से ड्राइविंग की ट्रेनिंग ली जाएगी. फिर सर्टिफिकेट मिलेगा. इस सर्टिफिकेट के आधार पर बिना किसी झंझट के ड्राइविंग लाइसेंस भी उपलब्ध हो जाएगा. लेकिन, सवाल यह है कि मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में ऐसे कई जिले हैं, जहां इस तरह के ड्राइविंग स्कूलों की उपस्थित तो दूर, अभी हवा तक नहीं है... तो सरकार का यह दावा की ड्राइविंग लाइसेंस बनाना आसान होगा कैसे सच में बदलेगा या फिर ये दावा भी कागजी है.

अब 1 जून से नियम बदलने वाले हैं

ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने आने वाले लोगों का कहना है कि यह सरकार का नियम हवा हवाई है. ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए जिला परिवहन कार्यालय पहुंची कीरत कौर ने कहा की  वह ड्राइविंग लाइसेंस के लिए अप्लाई करना चाहती हैं, लेकिन अब 1 जून से नियम बदलने वाले हैं. ड्राइविंग लाइसेंस अब आरटीओ ऑफिस से नहीं बल्कि ड्राइविंग स्कूल में ट्रेनिंग लेने के बाद बनाए जाएंगे, तो मैंने जब पता किया तो शिवपुरी में इस तरह के कोई ड्राइविंग स्कूल मौजूद नहीं हैं. जो हाईटेक हों और सरकार के नए नियमों से सरोकार रखते हैं, तो फिर हमारे जैसे लोगों का ड्राइविंग लाइसेंस अब 1 दिन के बाद बनेगा कैसे?

ड्राइविंग स्कूलों में दाखिला लेना पड़ेगा

कुछ इसी तरह की बात करते हुए ड्राइविंग लाइसेंस अप्लाई करने पहुंचे तनिष्क जैन ने एनडीटीवी को बताया कि ऐसे शहरों में जहां इस तरह के हाईटेक स्कूल मौजूद नहीं हैं, वहां के लोगों को अब बड़े शहरों की तरफ रुख करना पड़ेगा. ड्राइविंग स्कूलों में दाखिला लेना पड़ेगा. 

इन स्कूलों के लिए भी निर्धारित किए हैं मापदंड

ड्राइविंग ट्रैक.

ड्राइविंग ट्रैक.

सरकार ने साफ किया है कि ऐसे स्कूल बनाए जाएंगे जिन स्कूलों में ड्राइविंग की पूरी तालीम दी जाएगी सरकार का ख्याल अच्छा है, हर व्यक्ति को ड्राइविंग की पूरी तालीम होना जरुरी है. सरकार ने यह भी निर्धारित किया है कि अगर आप दो पहिया वाहन चलाने की ट्रेनिंग देते हैं, तो आपके करीब एक एकड़ जमीन पर ड्राइविंग स्कूल बनाना होगा. जहां बाकायदा ड्राइविंग ट्रैक बनाया जाएगा.

इसके अलावा वहां सिम्युलेटर मशीन की मदद से क्लासेस लगाई जाएगी. अगर आप चार पहिया वाहन चलाने की ट्रेनिंग देने का स्कूल खोलना चाहते हैं, तो सरकारी नियमों के मुताबिक उसके लिए आपके पास 5 एकड़ जमीन का होना जरुरी है, एक लंबा चौड़ा सुविधाओं से युक्त ड्राइविंग टेस्ट ग्राउंड होगा. जहां पूरी तरह से पक्की सड़क डाली जाएगी और उसके साथ-साथ ट्रैफिक के नियम यातायात से जुड़ी हर बारीक चीज को समझने की किताबें और इसके अलावा जो निशान उपयोग में ले जाते हैं. वह भी वहां मौजूद रहेंगे. थ्योरीकल क्लासेस होगी. सिम्युलेटर मशीन को समझने के लिए उसके लिए क्लासेस अलग से लगाई जाना जरुरी है.

ज्यादातर शहरों में नहीं है इस तरह के कोई स्कूल

 सरकार के नियमों को पूरी तरह से मापदंडों के अनुसार लागू करते हुए संचालित किए जाने वाले मध्य प्रदेश में इस तरह के स्कूल न के बराबर हैं, बताया तो यह भी जाता है कि कल 10 ऐसे शहर हैं, जहां यह स्कूल आज मौजूद हैं. बाकी अगर जिलों की बात करें तो वहां इस तरह की सुविधा अभी लोगों को मुहैया नहीं है. इस संबंध में शिवपुरी में एक ड्राइविंग स्कूल को संचालित करने वाले सुनील शर्मा ने एनडीटीवी को बताया कि काफी सारी परेशानियां हैं, और नियमों-कायदे कानून को फॉलो करते हुए इस तरह के स्कूल चलाने की परमिशन सरकार से मिलती है. इसके लिए एक बड़ा इन्वेस्टमेंट करना पड़ता है, जो इस तरह के छोटे शहरों में फिलहाल सामने नहीं आया है. और हम जैसे छोटे रूप में ड्राइविंग स्कूल चलाने वाले लोगों के लिए भी इतना बड़ा निवेश करके ड्राइविंग स्कूल चलना मुश्किल की बात है. 

सरकार का ये कदम कितना कारगर

सरकार ने यह महत्वपूर्ण कदम इसलिए उठाया है कि आरटीओ ऑफिस में सक्रिय रहने वाले दलालों से छुटकारा मिल सके. आम आदमी को आसानी से ड्राइविंग लाइसेंस उपलब्ध हो सके. लेकिन क्या सरकार का यह कदम वास्तविक रूप से जमीन पर काम करता हुआ दिखाई दे रहा है. इस संबंध में जब हमने कई सारे लोगों से पूछा तो उन्होंने कहा कि 6000 रुपये स्कूल में एडमिशन की फीस देनी पड़ेगी. स्कूल में एडमिशन लेने के बाद ड्राइविंग सीखनी पड़ेगी. वहां से प्रमाण पत्र जारी होगा और फिर ड्राइविंग लाइसेंस मिलेगा.

इन आम लोगों का कहना है कि अब तक ₹2500 में लगभग ड्राइविंग लाइसेंस एजेंट के माध्यम से बन जाया करता था, लेकिन अब यही ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए सहारा इस एजेंट का लेना पड़ेगा, और रकम चार गुना से ज्यादा खर्च होगी. यानी आप इस ड्राइविंग लाइसेंस के लिए 10000 रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं, फिलहाल लोगों की बात में सच्चाई है या फिर सरकार की बात में वजन. यह तो 1 जून के बाद आने वाली परिस्थितियों से तय हो पाएगा.

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अधिकारियों को भी नहीं पता क्या होगा 1 जून के बाद

 जिला परिवहन कार्यालय शिवपुरी में पदस्थ ड्राइविंग लाइसेंस इंचार्ज तरुण शाक्य ने एनडीटीवी से बात करते हुए बताया कि सरकार के क्या नियम हैं? इस संबंध में विस्तार से कोई जानकारी अभी हम तक नहीं पहुंची है, जैसे ही जानकारी पहुंचेगी हम आप तक पहुंचाएंगे. हालांकि सरकार जो भी कुछ करने वाली है, वह ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से करेगी. अब 1 जून के बाद ही यह पता लगेगा कि किस तरह से सरकार के नए नियमों के मुताबिक परिवहन विभाग ड्राइविंग लाइसेंस जारी करेगा.

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