Wildlife Tourism Campaign in MP: मध्य प्रदेश के मुखिया डॉ मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने कहा कि प्रकृति (Nature) ने मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) को कई वरदान दिए हैं. सघन वन, वृक्षों की विविधता के साथ ही वन्य-प्राणियों की भी विविधता मध्यप्रदेश में देखने को मिलती है. वनों और वन्य-प्राणियों से मध्यप्रदेश की एक अलग पहचान बनी है. मध्यप्रदेश बाघ, तेंदुआ और घड़ियाल जैसे प्राणियों की सर्वाधिक संख्या वाला प्रदेश है. चीता पुनर्स्थापन करने वाला मध्यप्रदेश एक मात्र प्रदेश है. CM मोहन यादव ने कहा है कि वन्य जीव पर्यटन की दिशा में मध्यप्रदेश महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है. शनिवार 4 जनवरी से वन्य-जीव पर्यटन को एक नया आयाम मिलेगा. मुख्यमंत्री डॉ. यादव चंबल अभयारण्य का भ्रमण कर चंबल नदी के घड़ियाल अभयारण्य की व्यवस्थाओं का अवलोकन कर पर्यटन सुविधाओं का जायजा लेंगे.
वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध मध्यप्रदेश सरकार
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) January 2, 2025
💠 वनों की सुरक्षा और बेहतर संसाधनों के माध्यम से नए कीर्तिमान किए जा रहे स्थापित...@DrMohanYadav51 @minforestmp @tourismdeptmp #CMMadhyaPradesh #MadhyaPradesh #मुख्यमंत्री_जनकल्याण_अभियान #1YearOfMohanYadavSarkar pic.twitter.com/XGJYvwS9vK
विश्व में सर्वाधिक घड़ियाल चंबल नदी में : CM मोहन
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि देश में ही नहीं पूरे विश्व में सर्वाधिक घड़ियाल चंबल नदी में पाए जाते हैं. उन्होंने बताया कि विश्व में लगभग तीन हजार घड़ियाल हैं, तो इनमें से 85 प्रतिशत चंबल नदी में हैं. करीब चार दशक पहले घड़ियालों की गणना का कार्य शुरू हुआ, जिससे घड़ियालों के इतनी बड़ी संख्या में चंबल में होने की जानकारियां सामने आईं. जनवरी और फरवरी महीने में अनुकूल तापमान का अनुभव कर घड़ियाल पानी से बाहर निकलते हैं और उस वक्त घड़ियालों और मगरमच्छों की गिनती आसानी से हो जाती है.
मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि देश में सबसे ज्यादा घड़ियाल मध्यप्रदेश में पाए जाते हैं।
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) January 3, 2025
देश भर में पाए जाने वाले लगभग 3 हजार घड़ियालों की संख्या में अधिकांश घड़ियाल चंबल नदी में हैं : CM@DrMohanYadav51 @minforestmp #CMMadhyaPradesh #MadhyaPradesh #मुख्यमंत्री_जनकल्याण_अभियान… pic.twitter.com/073ODwS8Em
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य को राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्य-जीव अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है. पर्यटकों में यह चंबल बोट सफारी के नाम से प्रसिद्ध है. यह तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के संयुक्त प्रयासों से एक प्रमुख संरक्षण परियोजना है. मध्यप्रदेश में वर्ष 1978 में इसे वन्य-जीव अभयारण्य के रूप में मान्यता दी गई थी. चंबल घड़ियाल वन्य-जीव अभयारण्य का मुख्य उद्देश्य लुप्तप्राय घड़ियाल, लाल मुकुट वाले कछुए और लुप्तप्राय गांगेय डॉल्फिन को संरक्षित करना है.
वन्यजीव जन जागरण और पर्यटन बढ़ाओ अभियान की शुरुआत मध्यप्रदेश सरकार की ओर से की जा रही है।
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) January 3, 2025
मैं कल मुरैना जिले के घड़ियाल अभयारण्य जा रहा हूँ, जहाँ वन विभाग द्वारा घड़ियाल संरक्षण का अद्भुत कार्य किया जा रहा है। pic.twitter.com/vJ0kFE1liB
घड़ियालों और गंगा डॉल्फिनों का निवास स्थान, पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है. घड़ियाल, लाल मुकुट वाले कछुए और डॉल्फ़िन यहाँ पाए जाते हैं. अन्य जानवर जो (दुर्लभ) श्रेणी में हैं, उनमें मगरमच्छ, चिकने-लेपित ऊदबिलाव, धारीदार लकड़बग्घा और भारतीय भेड़िये हैं, जो संरक्षण सूची की अनुसूची-1 में शामिल हैं. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि चंबल नदी में कछुआ परिवार की 26 दुर्लभ प्रजातियों में से 08 प्रजातियाँ पाई जाती हैं. इनमें भारतीय संकीर्ण सिर एवं नरम खोल वाला कछुआ, तीन धारीदार छत वाला कछुआ और मुकुटधारी नदी वाला कछुआ शामिल हैं, जो यहां की पहचान है.
घड़ियाल देखने का उपयुक्त समय क्या है?
चंबल में घड़ियाल अभयारण्य देखने के लिए यात्रा का सर्वोत्तम समय अक्टूबर से जून तक रहता है. शीतकाल में घड़ियाल देखने और यह क्षेत्र घूमने का सबसे अच्छा समय माना गया है. राष्ट्रीय चंबल वन्य-जीव अभयारण्य में प्रकृति को देखने की बहुत सी गतिविधियाँ होती हैं. घड़ियाल, डॉल्फ़िन, अन्य सरीसृप, जल निकायों और सुंदर परिदृश्य की फोटोग्राफी नाव की सवारी से की जा सकती है. यहां की घाटियों और नदियों के किनारे पगडंडियों पर चलना प्रकृति को करीब से देखने का मौका देता है. चंबल नदी लगभग एक हजार किलोमीटर लंबी है. पर्यटक चंबल घड़ियाल सफारी अभयारण्य का आनंद उक्त क्षेत्र के निकटवर्ती नगरों में रहवास सुविधा का उपयोग ले सकते हैं.
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