
Jabalpur High Court News: जबलपुर हाई कोर्ट में एक महिला ने जेल में बंद पति की जमानत याचिका दाखिल की थी, जिसमें हवाला दिया गया था कि वह मातृत्व सुख चाहती है. इसके लिए जेल में सजा काट रहे पति को 1 महीने की अस्थाई जमानत दी जाए. याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस विवेक अग्रवाल (Justice Vivek Agarwal) की अदालत ने महिला की मेडिकल जांच (Medical Test) के निर्देश दिए थे, जिसमें वह अधिक उम्र के चलते मां बनने के अयोग्य पाई गई.
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डॉक्टरों की टीम ने पाया अयोग्य
करीब 50 वर्षीय खंडवा निवासी महिला ने जबलपुर हाई कोर्ट में एक याचिका लगाई थी. इसमें उसने शपथ पत्र प्रस्तुत कर कहा था कि वह संतान प्राप्त करने में सक्षम है इसलिए इंदौर जेल में बंद पति को एक महीने के लिए अस्थाई जमानत दी जाए. जबकि सरकार की ओर से दलील दी गई थी कि महिला रजोनिवृत्ति की उम्र पार कर चुकी है. ऐसे में प्राकृतिक या कृत्रिम तरीके से गर्भाधान संभव नहीं है.
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सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का दिया हवाला
अदालत की ओर से 5 सदस्यीय डॉक्टरों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में महिला को संतान प्राप्ति के लिए अयोग्य करार दिया है. हालांकि याचिकाकर्ता के वकील ने मेडिकल रिपोर्ट पर अपना पक्ष रखने के लिए समय की मांग की, जिस पर अदालत ने 18 दिसंबर को अगली सुनवाई नियत की है. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए संतान प्राप्ति को मौलिक अधिकार बताया था. याचिका में कैदियों के वैवाहिक अधिकार का भी हवाला दिया गया था.