
MP High Court: इंदौर जेल (Indore Jail) में बंद अपने पति को पैरोल दिए जाने की मांग कर रही महिला ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (MP High Court) में मां बनने के अधिकार का हवाला दिया है. पूर्व में इस मामले में अदालत ने मेडिकल कॉलेज (Medical College) की डीन की अध्यक्षता में महिला की मेडिकल जांच के लिए कमेटी गठित की थी. जानकारी के मुताबिक कमेटी ने अपनी जांच में महिला की ज्यादा उम्र को मां बनने के लिए असुरक्षित बताया था. दूसरी तरफ याचिकाकर्ता की ओर से आईवीएफ (IVF) समेत अत्याधुनिक पद्धति से संतान प्राप्ति की दलील दी गई है.
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क्या है पूरा मामला?
सोमवार को इस मामले में मेडिकल रिपोर्ट में पर्याप्त दस्तावेज न होने के चलते सुनवाई को जनवरी महीने के पहले हफ्ते के लिए टाल दिया गया. वाराणसी निवासी महिला ने खंडवा में घटित एक अपराध में जेल में बंद अपने पति के लिए पैरोल की मांग के लिए याचिका दायर की थी. इसमें उसने मां बनने की इच्छा जाहिर करते हुए पति की पैरोल मांगी थी. बता दें कि यह याचिका बीते 6 महीने से लंबित है. मामले में शासन का तर्क यह है कि याचिकाकर्ता की उम्र रजोनिवृत्ति की तय उम्र से ज्यादा हो चुकी है. अतः याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए.
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याचिकाकर्ता के वकील ने दी दलील
याचिकाकर्ता के वकील बसंत डेनियल ने कहा है कि राजस्थान हाई कोर्ट ने ऐसे ही मामले में याचिकाकर्ता के पक्ष में यह कहते हुए फैसला दिया था कि संतान प्राप्ति हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक है. उक्त मामले को राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी थी, लेकिन शीर्ष कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के फैसले को यथावत रखा था. उन्होंने यह भी कहा कि संतान प्राप्ति के लिए आईवीएफ और अन्य आधुनिक पद्धति में मोनोपॉज की अवस्था भी आड़े नहीं आती है. ऐसे में उनकी क्लाइंट को मां बनने का अधिकार है.