Madhya Pradesh News: अमीर हो या गरीब घर बनाना सभी का एक सपना सा होता है. हर कोई अपने हिसाब से अपनी क्षमता से अपने आशियाने का सपना बुनते हैं और उस सपने को साकार करते हैं. बड़े उत्साह व उल्लास से गृहप्रवेश करते हैं, पर क्या हो जब कोई इंसान इतना परेशान हो जाए कि वह अपना ही घर (Break The House) तोड़ दे. जी हां! ऐसा ही कुछ देखने को मिला है जबलपुर जिले (Jabalpur District) के शहपुरा तहसील के खैरी ग्राम में, जहां 51 वर्षीय मजदूर सुखचैन चींटों (Ants) से इस कदर परेशान हो गए कि वह अपने ही हाथों से अपने घर को तोड़ दिया. सुखचैन मजदूरी (Labour Work) करके अपना घर चलाते थे, पैसों के अभाव के कारण उसका एक कच्चा घर था. सुखचैन ने बताया कि वह पिछले दो सालों से वह काले चींटों से बहुत ज्यादा परेशान हो गया था. उसने तरह-तरह की दवाइयां भी लाकर डाली थी और तरह-तरह के नुस्खे भी अपनाए थे, पर उसको दो सालों से किसी भी तरह की राहत नहीं मिल पा रही थी.
पहले देखिए वीडियो
जबलपुर में एक युवक काले चींटियों से इतना परेशान हो गया कि उसने अपने ही हाथों से अपना घर तोड़ दिया. मज़दूरी कर घर चलाने वाले सुखदेव ने बताया कि वह दो सालों से इन चींटों से बहुत परेशान था. इन्हें भगाने-मारने के लिए उसने तरह तरह के तरीके लेकिन विफल रहा. #ndtvmpcg #jabalpur pic.twitter.com/4mGPkHiZLX
— NDTV MP Chhattisgarh (@NDTVMPCG) March 14, 2024
अब खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हो रहा है ये मजदूर
सुखचैन अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ इस घर में रह रहे थे और जब से उन्होंने चींटो से परेशान होकर अपना घर तोड़ा है. तब से वह बेघर हो गए हैं और खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो रहे हैं. सुखचैन के दोनों बच्चे अभी बहुत छोटे हैं एक 9 साल और दूसरा 7 साल का है. यह चींटें इतने खतरनाक हैं कि कई बार बच्चों को काट चुके हैं. उनके दोनों बच्चे और पत्नी इन काले चींटों से रोजाना बहुत परेशान रहते थे. रात हो या दिन, बरसात हो या गर्मी यह चींटें हर मौसम और हर समय उनके घर में उनके आसपास ही घूमते रहते थे, इन सब से पूरा परिवार बहुत ज्यादा परेशान हो चुका था.
घर तोड़ना ही आखिरी उपाय बचा
सुखचैन ने बताया कि वह अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ इस घर में पहले बहुत सुख से रहा करते थे. पर करीब 2 साल पहले अचानक ही उनके घर पर काले चींटें निकलने लगे. पहले तो इनकी संख्या बहुत कम थी, पर समय के साथ-साथ इन चींटों की भी संख्या बढ़ने लगी. हालत ऐसी हो गई थी कि घर के चारों तरफ चींटें ही चींटें नजर आते थे. उनके पूरे गांव में कहीं भी इतने चींटें नहीं हैं, जितने कि उनके घर पर थे. इन सब से वह इतना ज्यादा परेशान हो गया था कि आखिर में उसे गैती–फावड़ा उठाना पड़ा और उसने अपने मकान को ही तोड़ दिया.
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